संदेश

प्रदेश के कृषकों को मौसम आधारित पाक्षिक कृषि परामर्श

izFke lIrkg ¼25 vizSy ls 02 ebZ] 2024½ dk ekSle iwokZuqeku ·    Hkkjr ekSle foKku foHkkx ls çkIr ekSle iwokZuqeku ds vuqlkj izFke lIrkg ds nkSjku 26 vizSy ,oa 27 vizSy] 2024 dks çns'k ds if'peh Hkkx cqansy[k.M {ks= ds nf{k.kh Hkkx esa es?kxtZu ds lkFk LFkkuh; Lrj ij dgha&dgha fNV&iqV o"kkZ gksus dh laHkkouk gS tcfd izns'k ds vU; d`f"k tyok;q vapyksa esa dksbZ izHkkoh o"kkZ u gksus ls ekSle eq[;r;k 'kq"d jgus dh laHkkouk gSA bl lIrkg ds vkjfEHkd 3 ls 4 fnuksa ds nkSjku izns'k ds e/;orhZ ,oa nf{k.kh Hkkxksa esa fnu ds nkSjku 25 ls 35 fd-eh- izfr ?kaVk dh xfr ls rst iNqvk gok;sa pyus dh Hkh laHkkouk gSA ·    çns'k ds mÙkj&iwohZ eSnkuh {ks= ds iwohZ Hkkx esa vkSlr lkIrkfgd vf/kdre rkieku lkekU; ls 2 ls 4 fMxzh lsfYl;l vf/kd] mÙkj&iwohZ eSnkuh {ks= dk 'ks"k Hkkx ,oa iwohZ eSnkuh {ks= ds mÙkjh Hkkx   esa vkSlr lkIrkfgd vf/kdre rkieku lkekU; ls vkaf'kd :i ls vf/kd] Hkkoj rjkbZ{ks= ds iwohZ Hkkx] iwohZ eSnkuh {ks= d

सांवा

चित्र
जिंदगी के लिए जरूरी है सावा जैसे मोटे अनाज। इसका नियमित सेवन हमारे इम्यून सिस्टम को फौलाद जैसा मजबूत बनाता है। आप में से जितने भी लोग इस पोस्ट को पढ़ रहे होंगे उनमें से बहुत से कम लोगों ने सावा के बारे में सुना होगा। खाना तो और भी दूर की बात रही होगी। यह भारत में एक उत्पादित मोटा अनाज है जिसे हम दशकों पहले भूल चुके हैं। महज 60 साल पहले तक हम भारतीय मुख्य रूप से मोटे अनाजों को खाने वाले लोग थे। हरित क्रांति के  बाद हमारी डाइट मुख्य रूप से चावल और गेहूं के जैसे अनाजों तक ही सिमट के रह गई है। पिछले 60 सालों में खेती में हुए परिवर्तन से हम बड़े गुमान के साथ इस बात को स्वीकार करते हैं कि आज हर भारतीय के थाली में खाने के लिए अनाज है। हमारे गोदामों में इसके पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। पर इस क्रांति की एक ड्रॉबैक भी रही है । हमारे व्यवसायिक नीतियों के कारण हमने खेती की उत्पादन क्षमता तो बहुत बड़ा ली है लेकिन इसके गुणात्मक गुणों में बहुत भारी क्षति हुई है। कुछ दशक पहले तक हमारे तालियों में मोटे अनाज से बने चावल हलवा रोटी और अन्य व्यंजन शोभा बढ़ाते थे।   कोदो, सामा, बाजरा, सांवा, कुटकी, चिन्ना, जौ

अरहर

चित्र
अरहर शुद्ध शब्द है पर बोलचाल के भाषा में बिहार में रहर ही उपयोग में होता है। दलहन की फसलों में सबसे ज्यादा महंगा। मानसून के समय खेतों में इसकी बुवाई होती है अंग्रेजी के महीने से समझे तो जुलाई के अंतिम सप्ताह और अगस्त का प्रथम सप्ताह होता है साथ में  भदई फसल भी लगती है जिसमें मक्का ज्वार बाजरा शामिल होता है। अगस्त के प्रथम सप्ताह में खेतों में जी अरहर की बुवाई होती है वह मार्च के अंतिम सप्ताह या अप्रैल के मध्य में तैयार होता है पूरे 9 महीने का समय लगता है अरहर की दाल तैयार होने में। इसी कारण से अरहर की फसल अब धीरे-धीरे सिमटने लगी है जिस कृषिगत भूमि पर एक फसल अरहर की तैयार होती है इस भूमि पर किस दो तीन फैसले तैयार कर लेता है यह बात अलग है कि अरहर के फसल में अन्य फसलों की अपेक्षा मेहनत काम है।ये एकदम देशी अरहर है और दाल बनाने का एकदम देशी तरीका है! हमारे यहां पर दो ही तरह की दाल मुख्य रूप से खाई जाती है। प्रतिदिन अरहर की दाल और कभी कभी स्वाद बदलने के लिए या अतिथि आने पर, शुभ कार्य में उड़द की दाल बनाई जाती थी। इन दोनों दालों में सहायक दाल के रूप में मटर की दाल डाली जाती थी। खेती तो अरहर,

बैंक कर्मियों को होली का उपहार

चित्र
बैंककर्मियों का वेतन 17 फीसदी बढ़ा, 7-50 हजार रुपये तक बढ़ेगी सैलरी, 11 लाख कर्मियों को होगा फायदा। लोकसभा चुनाव से पहले बैंककर्मियों व अधिकारियों को 17 फीसदी वेतन वृद्धि का तोहफा मिल गया है। इसको लेकर शुक्रवार को इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) व ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन ने समझौते पर दस्तखत कर दिए।  वेतन वृद्धि समेत अन्य सुविधाएं तत्काल प्रभाव से लागू हो गई हैं। इनका लाभ एक नवंबर, 2022 से मिलेगा। हफ्ते में पांच दिन बैंकिंग को भी आईबीए ने स्वीकार कर लिया* है। इसे सरकार के पास भेजा जाएगा, जिस पर छह माह के अंदर फैसला लिया जाएगा। *17 फीसदी वेतन वृद्धि से देश भर के बैंककर्मियों को 12949 करोड़ ज्यादा मिलेंगे*। इस फैसले से *बैंक कर्मियों की बेसिक सेलरी डेढ़ गुना* हो गई है। वी बैंकर्स के राष्ट्रीय सचिव आशीष मिश्र ने बताया कि बैंकिंग संगठन की लंबे समय से अवकाश व वेतन वृद्धि सहित कई मांगों को लेकर आईबीए के साथ वार्ता चल रही थी लेकिन अंतिम सहमति शुक्रवार को बनी। इन्हें स्वीकार कर आईबीए ने समझौता पत्र पर दस्तखत कर दिए। 7-50 हजार तक अधिक वेतन मोटे तौर पर एक क्लर्क का वेतन 7 हजार से 30 हजार रुप

झारखंड में हुआ ट्रेन हादसा। 12 की मौत

चित्र
जामताड़ा। झारखंड के जामताड़ा जिले के जामताड़ा-करमाटांड़ के कलझारिया के पास आज देर शाम ट्रेन की चपेट में आने से कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई। वहीं अपुषट सूत्रों ने मृतकों की संख्या 14 बताई है। बताया जाता है कि अंग एक्सप्रेस में आग लगने की सूचना पर यात्री ट्रेन से कूद गये थे, इसी बीच सामने से आ रही झाझा-आसनसोल ट्रेन इन यात्रियों के ऊपर से गुजर गई। कुछ लोग घायल भी हैं। घटनास्थल पर रेलवे प्रशासन, रेल पुलिस और स्थानीय प्रशासन पहुंच चुका है। घायलों को ऋअस्पताल पहुंचाने की तैयारी चल रही है। अंग एक्सप्रेस में आग लगने की सूचना पर ट्रेन को रोक दी गई थी।

कासगंज में बड़ा हादसा

कासगंज, उत्तर प्रदेश SP अपर्णा रजत कौशिक ने बताया*, "थाना क्षेत्र पटियाली में ट्रॉली से कुछ श्रद्धालु जा रहे थे और उनकी ट्रॉली का नियंत्रण बिगड़ने से ट्रॉली तालाब में गिर गई। पुलिस की टीमें मौके पर पहुंची हैं और ग्रामीणों की सहायता से लोगों को निकाल कर अस्पताल पहुंचाया गया है। घटना में करीब 14 से 15 लोगों की मृत्यु की सूचना है। घायलों का इलाज जारी है। टीम अभी सर्च ऑपरेशन चला रही है।"  

पुलिस भर्ती परीक्षा निरस्त

चित्र
मुख्य मंत्री योगी का बड़ा निर्णय, निरस्त होगी यूपी पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा-2023 06 माह के भीतर ही पूर्ण शुचिता के साथ आयोजित होगी परीक्षा-मुख्यमंत्री युवाओं की मेहनत और परीक्षा की शुचिता से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ होगी कठोरतम कार्रवाई-मुख्यमंत्री