कोविड 19 से लड़ाई में सी.एस.आई.आर-सी.एम.ई.आर.आई. ने तैयार किए कीटाणुशोधन मार्ग और सड़क स्वच्छता इकाई !

दुनिया भर में नोवेल कोरोना वायरस (कोविड 19) का संकट बढ़ने के साथ विज्ञान और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में तेजी से प्रयास किए हैं। दुर्गापुर में स्थित सीएसआईआर की प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग प्रयोगशालाओं में से एक प्रयोगशाला सीएसआईआर- सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमईआरआई) ने कई प्रौद्योगिकी और उत्पाद विकसित किए हैं, जिनसे इस वायरस की चुनौती का सामना करने में सहायता मिल सकती है।


ऐसी कुछ अनुकूलित तकनीक का निम्नलिखित उल्लेख किया जा रहा है, जो हालात को देखते हुए खासी महत्वपूर्ण हैं :


 


कीटाणुशोधन मार्ग (वाकवे) : कीटाणुशोधन मार्ग (डिसइंफेक्शन वाकवे) को वर्तमान में उपलब्ध सबसे ज्यादा व्यापक कीटाणुशोधन डिलिवरी प्रणालियों में एक माना जा सकता है। वाकवे एक व्यक्ति के लिए न्यूनतम छाया (शैडो) क्षेत्र के साथ अधिकतम लक्षित क्षेत्र सुनिश्चित करता है। कीटाणुशोधन मार्गों को आइसोलेशन/ क्वारंटाइन इकाइयों, मास ट्रांजिट सिस्टम एंट्री प्वाइंट्स, चिकित्सा केंद्रों और किसी अन्य लोकेशन जैसी विविध अहम लोकेशंस पर लगाया जा सकता है, जहां बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही होती है।


सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा दो प्रकार के कीटाणुशोधन मार्ग विकसित के गए हैं :


 



  1. कीटाणुशोधन मार्ग का न्युमेटिक (वायवीय) संस्करण : कीटाणुशोधन मार्ग के इस संस्करण में छह बार प्रेशर एयर कम्प्रेशर लगे होते हैं, जिनसे उपयुक्त धुंध निर्माण सुनिश्चित होता है। इस मार्ग में लगे कई सेंसर सुनिश्चित करते हैं कि प्रणाली का परिचालन समय 20 सेकंड से 40 सेकंड के बीच रह सकता है। भले ही इस संस्करण की आरंभिक लागत कुछ ज्यादा है, लेकिन इस प्रणाली के कीटाणुशोधन के रूप में उपयुक्त इस्तेमाल को देखते हुए इसकी परिचालन लागत खासी कम है। इसे सीएमईआरआई में स्थापित किया गया है। सीएमईआरआई इंस्टीट्यूट के मेन गेट पर लगे इस मार्ग की ऊंचाई 2 मीटर, लंबाई 2.1 मीटर और चौड़ाई 1 मीटर है।



  1. कीटाणुशोधन मार्ग का हाइड्रोलिक संस्करण : उपयुक्त धुंध निर्माण सुनिश्चित करने के लिए इसमें आवश्यक नोजेल सेटअप के साथ 1 एचपी प्रेशराइज्ड मोटर हाई विलोसिटी पम्प लगा होता है। इस संस्करण की शुरुआती लागत खासी कम है। इस मार्ग में लगे सेंसरों से सुनिश्चित होता है कि प्रणाली का परिचालन समय 20 सेकंड से 40 सेकंड के दायरे में रहे। कीटाणुशोधन मार्ग के इस संस्करण को सीएमईआरआई चिकित्सा केंद्र पर लगाया गया है।


दिल्ली के राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र, दुर्गापुर नगर निगम और दुर्गापुर के ही ईश्वर चंद्र हाई स्कूल ने अपने यहां कीटाणुशोधन मार्ग लगाने में दिलचस्पी जाहिर की है।



कीटाणुशोधन मार्ग कीटाणुशोधन मार्ग से गुजरता डीएमसी का प्रतिनिधिमंडल !


रोड सैनिटाइजर यूनिट :


सीएसआईआर-सीएमईआरआई की रोड सैनिटाइजर यूनिट (सड़क स्वच्छता इकाई) एक ट्रैक्टर पर लगी रोड सैनिटाइजिंग प्रणाली है। यह रोड सैनिटाइजेशन यूनिट राजमार्गों के लंबे टुकड़ों, टोल प्लाजा के आसपास आदि क्षेत्रों पर प्रभावी तौर पर तैनात किया जा सकता है, जहां यातायात खासा ज्यादा होता है और संक्रमण फैलने की आशंकाएं ज्यादा होती हैं। इसे आवासीय परिसरों, कार्यालय परिसरों, खेल क्षेत्रों, अपार्टमेंट वाली इमारतों आदि में भी लगाया जा सकता है।


रोड सैनिटाइजर का आकार 16 फुट का होता है, जिसमें लगे 15 से 35 बार के दबाव के सहारे सैनिटाइजर की प्रभावी डिलिवरी सुनिश्चित होती है। सैनिटाइजर से उपयुक्त कवरेज सुनिश्चित करने के लिए इसमें 12 नोजेल उपयोग किए जाते हैं। इस प्रणाली में 22 एलएमपी के पम्प के साथ 2000 से 5000 लीटर तक के टैंक का उपयोग किया जाता है, जिससे 75 किलोमीटर लंबे सड़क के टुकड़े को स्वच्छ किया जा सकता है।


इस यूनिट के परीक्षण के बाद आसनसोल नगर निगम ने ऐसी चार प्रणाली खरीदने के लिए ऑर्डर दिया है, जिसमें एक की डिलिवरी भी हो चुकी है। दुर्गापुर नगर निगम ने भी ऐसी यूनिट खरीदने के लिए दिलचस्पी जाहिर की है और इससे जुड़ी प्रक्रिया पर विचार-विमर्श जारी है। कुछ एमएसएमई और छोटे बिजनेस क्लस्टर्स ने भी यूनिट लेने के लिए दिलचस्पी जाहिर की है और इसके लिए बातचीत जारी है।



ट्रैक्टर चालित सड़क कीटाणुशोधन स्प्रे प्रणाली !


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