सिकाडा कीट को टिड्डी न समझे किसान
इन दिनों टिड्डी को लेकर जनपद स्तर पर जागरूकता प्रसारित की जा रही है ताकि किसान भाई अपनी फसलों को टिड्डी के प्रकोप से बचा सकें किंतु कुछ जगहों पर टिड्डी जैसा ही एक दूसरा कीट " सिकाडा "का प्रकोप सीतापुर के कुछ ब्लाक बेहटा, सकरन, खैराबाद में देखा जा रहा है जिससे किसान भयभीत होकर परेशान हो रहे हैं।
भूरे रंग का पंखदार 1-1.5 इंच लंबा कीट जो दूर से देखने पर टिड्डी की भांति प्रतीत होता है तथा झुंड में पेड़ों पर बैठता दिखाई देगा जिसके पास जाने पर काफी तीव्र ध्वनि सुनाई देगी वह सिकाडा कीट है।
सिकाडा कीट मूलतः 5 रूपों में दिखाई दे सकता है शिशु सिकाडा जमीन के अंदर 6 से 18 इंच गहराई पर जड़ों के पास रहता है तथा यह बाद में सुरंग भी बना लेते हैं जब जमीन का तापमान अधिक हो जाता है तो यह अगली अवस्था में परिवर्तित होने सुरंग से बाहर आ जाते हैं और अपने शरीर की ऊपर की खाेल हटा देते हैं नर सिकाडा मादा को आकर्षित करने के लिए अपने उधर के ड्रम से बहुत तीव्र ध्वनि निकालते हैं जोकि साइलेंसर रहित मोटरसाइकिल की ध्वनि के बराबर भी हो सकती है
वयस्क सिकाडा जो पेड़ों पर दिखाई देंगे उन्हें उनमें पंख एवं लाल रंग की आंख दिखाई देगी नर सिकाडा जोकि केवल 4 से 6 सप्ताह तक ही जीवित रहते हैं प्रजनन उपरांत मर जाते हैं मादा सिकाडा प्रजनन उपरांत पेड़ की छोटी टहनी में कई दर्जन अंडे देती है जो कि 6 से 10 सप्ताह तक पड़े रहते हैं तत्पश्चात इनमें से निमफ बाहर आते हैं और जमीन के अंदर मादा इन्हें सुरक्षित कर देती है और यह पुनः जड़ों से रस कई वर्ष तक लेते रहते हैं ।
क्या करें क्या ना करें
सिकाडा फसलों को किसी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचाते किंतु या वन वृक्षों की जड़ों से निवास कर अपना भोजन लेते रहते हैं जिससे कोई विशेष आर्थिक नुकसान नहीं होता है ।
सिकाडा कीट से किसान भाइयों को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है यह कीट स्वत: ही कुछ सप्ताह पर उपरांत पुनः जमीन में प्रवेश कर जाएगा ।