जामुन के फसल पर जलवायु परिवर्तन का असर
शैलेंद्र राजन निदेशक
केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमान खेड़ा, लखनऊ 226101
इस साल जामुन की फसल बहुत से स्थानों पर अच्छी नहीं हुई कहीं कहीं पर तो कोई भी फल नहीं आए वैसे भी सभी जामुन की किस्में सब जलवायु में समान रूप से नहीं चलती हैं | कहीं फसल अच्छी होती है और कहीं बिल्कुल भी फल नहीं आते हैं जलवायु परिवर्तन का असर जामुन के फसल पर इस बार देखने को मिला | जनवरी से लगातार हो रही बारिश और काफी दिनो तक ठंड ने अधिकतर पेड़ो में फूल की जगह पत्तियों वाली टहनियों को प्रेरित किया| आमतौर पर जाड़े का मौसम कुछ ही दिन में खत्म हो जाता है मौसम कि आंकड़ों के आधार पर ही कहा जा सकता है कि इस वर्ष लगातार कई दिन तक ठंड तत्पश्चात तुरंत तापक्रम के बढ़ जाने से जामुन में बहुत से स्थान पर फूल भी नहीं आए | सावंतवाड़ी (कोंकण, महाराष्ट्र) जामुन के लिए मशहूर है परंतु इस वर्ष किसानों को फल ना लगने से नुकसान उठाना पड़ा |
बहुत से नए उद्यमी जिन्होंने जामुन के मूल्य संवर्धित बनाने में प्रवीणता हासिल कर ली है फल उपलब्ध ना होने के कारण काफी निराश हुए | आमतौर पर जामुन कुछ क्षेत्रों में जहां पर यह जनजातियों द्वारा तोड़ कर इकट्ठा किया जाता है कम दाम पर आसानी से प्रोसेसिंग के लिए मिल जाता है परंतु जलवायु परिवर्तन का जामुन के उत्पादन पर एक विशेष प्रभाव देखा गया | जब पेड़ो पर फूल आते हैं उस समय पत्तियां निकली परिणाम स्वरूप उपज बहुत कम हो गई | फिर भी कुछ स्थानों पर फसल आई और वही जामुन बाजार में दिखाई दे रहे हैं| सारांश में ही कहा जा सकता है कि फसल बहुत कम थी |