कृषि मंत्री ने कृषक उत्पादक संगठनों की भूमिका एवं महत्ता की चर्चा 



प्रगतिशील एवं अनुभवी किसानों का एक समूह बनाया जाए, जो विभिन्न जनपदों में जाकर किसानों को कृषक उत्पादक संगठनों के प्रति जागरूक करेगा -कृषि मंत्री




उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री,  ने  विधान भवन स्थित कक्ष संख्या-80 में कृषि कार्यों में कृषक उत्पादक संगठनों की आवश्यकता, उनकी भूमिका एवं महत्ता के बारे में चर्चा की। इस अवसर पर कृषक उत्पादक संगठन नीति-2020 के प्रारूप पर भी विचार विमर्श किया गया। वर्तमान परिवेश में किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य उपलब्ध कराने, कृषि उत्पाद के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन में कृषक उत्पादक संगठनों की अहम भूमिका है।  कृषक उत्पादक संगठनों के सहयोग से जहां एक ओर किसानों की आय में वृद्धि हो सकेगी, वहीं दूसरी ओर सरकार द्वारा किसानों के हितार्थ चलाई जा रही योजनाओं का लाभ भी उन्हें अनुमन्य हो सकेगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि लगभग 20 प्रगतिशील एवं अनुभवी किसानों का एक समूह बनाया जाए, जो विभिन्न जनपदों में भ्रमण कर किसानों को कृषक उत्पादक संगठनों के प्रति जागरूक करेगा। साथ ही उन्हें कृषक उत्पादक संगठनों के माध्यम से होने वाले लाभों के बारे में बताते हुये उन्हें इसके प्रति आकृष्ट करेगा। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग एवं अन्य सम्बद्ध विभागों के अलग-अलग एफ0पी0ओ0 बनाये जायेंगे, जिनका नोडल कृषि विभाग होगा।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में 447 से अधिक कृषक उत्पादक संगठन कंपनी अधिनियम 1956 के अधीन पंजीकृत हैं। इसमें उ0प्र0 भूमि सुधार निगम के अन्तर्गत 120, नाबार्ड के अंतर्गत 273 तथा उ0प्र0 जैव ऊर्जा बोर्ड के अंतर्गत  134 कृषक उत्पादक संगठन गठित हैं। मंत्री जी को बताया गया कि प्रदेश की 75 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। जिनकी आजीविका का आधार कृषि एवं उनसे सम्बद्ध क्षेत्र है। प्रदेश में कुल 2.38 करोड़ कृषक परिवार हैं, जिसमें से 93 प्रतिशत छोटे किसान है। बैठक में कृषक उत्पादक संगठनों के समक्ष आने वाली चुनौतियों एवं उनके समाधान के बारे में भी अवगत कराया गया।


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