क्यों बदसूरत हो गए आम


शैलेंद्र राजन निदेशक
केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ 226101



इस वर्ष आम बागवानो को बहुत सारी समस्याओं से जूझना पड़ा| लॉकडाउन की वजह से सही समय पर सही रसायनों पर छिड़काव नहीं हो पाया | मार्च से हो रही रुक रुक कर बारिश के कारण बीमारियों और कीटों से संबंधित समस्याओं में बढ़ोतरी हुई| शुरू में थ्रिप्स के आक्रमण से फलों पर धब्बे पड़ गए | उसके बाद फल भेदक ने  फलों को नुकसान पहुंचाया जिससे कि फल फटने साथ  काले होने लगे| लगातार हो रही बारिश के कारण फल मक्खी का भी प्रकोप अधिक हुआ  जिससे ऊपर से दिख  रहे साबुत फल भी अंदर से लारवा के कारण उपयोग के लिए अनुपयुक्त हो गए| इस वर्ष गर्मी कम पड़ने और पर्याप्त नमी  के कारण एंथ्रेक्नोज का आक्रमण जल्दी प्रारंभ हो गया| एंथ्रेक्नोज नामक बीमारी फैलने के लिए उचित तापक्रम और नमी उपलब्ध थी | यह बीमारी फल पकने  से पहले आमतौर पर  नजर नहीं आती परंतु पकने  शुरू होते ही फल पर काले काले धब्बे दिखने लगते हैं| कीटनाशकों का अत्याधिक उपयोग भी प्रभाव ना रहा क्योंकि उनका सही चुनाव ना होने से कई छिडकाव के वावजूद कीटों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई| भुंगा द्वारा स्रावित मधु स्राव के कारण पत्तियों एवं टहनियों एवं फलों पर फफूद के कारण भी कालापन आ गया| कई स्थानों पर अधिक वर्षा के साथ-साथ इन सभी कारकों के कारण फलों पर धब्बे विकसित हो जाते हैं |


इस साल आम के फल की त्वचा को प्रभावित करने वाले कीटों और बीमारियों की बढ़ती घटनाओं के सामान्य मुख्य कारण:


बेमौसम बारिश के कारण, तापमान तुलनात्मक रूप से कम रहा और आम की फसल के पूरे मौसम में हवा में नमी  अधिक रही।


तापमान में उतार-चढ़ाव और भारी गिरावट के बाद धूप दिन के कारण सापेक्ष आर्द्रता। वे किसान जो उचित कवकनाशी का छिड़काव नहीं करते हैं, वे उपर्युक्त समस्याओं के कारण सबसे अधिक प्रभावित होते हैं


उपर्युक्त समस्याएं कीट कीट, फफूंद रोगजनकों, बेमौसम बारिश, पौधों की सुरक्षा के उपायों में देरी के साथ-साथ फफूंदनाशक स्प्रे का गलत विकल्प हैं।


 


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