लखनऊ में कोविड -19 की विस्फोटक स्थिति - अध्यक्ष- शहर कांग्रेस कमेटी लखनऊ


लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना की स्थिति दिन पर दिन विस्फोटक होती जा रही है। मुख्यमंत्री से लेकर पूरी सरकार की मौजूदगी के बाद भी लखनऊ में कोरोना मरीजों को सही इलाज तक नहीं मिल पा रहा है। निजी अस्पतालों में से बहुत कम को कोरोना मरीजों को भर्ती करने की अनुमति दी गयी है और उन्हें खुद ही मंहगा इलाज कराना पड़ रहा है।


शहर कांग्रेस अध्यक्ष  ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बीते एक सप्ताह से सबसे ज्यादा कोरोना के केस राजधानी लखनऊ में मिल रहे हैं। अकेले शनिवार को राजधानी दो दिन के लाकडाउन के बाद भी 392 कोरोना संक्रमित मिले हैं। उन्होंने कहा कि राजधानी में तमाम चिकित्सीय सुविधाओं का दावा खोखला है और दर्जनों संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती तक होने के लाले पड़े हुए हैं।


 उन्होंने कहा कि कैसरबाग कोतवाली के एक पुलिस अधिकारी को अपने वरिष्ठों से गुहार लगाने के बाद भी घंटों तक एंबुलेंस नही मिली और एरा मेडिकल कालेज में गाड़ी न मिलने के चलते 17 घंटे तक लाश पड़ी रही। उन्होंने कहा कि बड़ी तादाद में योगी सरकार के मंत्री और अधिकारी तक कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। शहर के भैंसाकुंड में विद्युत शवदाह गृह तक खराब पड़ा हुआ है।


शहर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश की राजधानी का यह हाल है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाकी जिलों में क्या हाल होगा। उन्होंने कहा कि राजधानी में दो दिन का लाकडाउन पूरी तरह से बेअसर रहा है। जहां इससे हजारों लोगों की रोजी रोटी प्रभावित हुयी है वहीं कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। मुकेश चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार लाखों कोविड बेड उपलब्ध कराने का केवल कागजी दावा कर रही है जबकि राजधानी में ही ज्यादातर अस्पताल फुल हो चुके हैं।


उन्होनें  के कहा कि कोरोना मरीजों के ईलाज के लिए महज चंद निजी अस्पतालों को अनुमति दी गयी है जबकि राजधानी में बड़ी तादाद में बेडों की जरुरत है। उन्होंने कहा कि शहर के अस्पतालों में बेडों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही प्रदेश सरकार और भी ज्यादा तादाद में निजी अस्पतालों को कोरोना संक्रमितों के नि:शुल्क ईलाज के लिए निर्देशित करे। इसके साथ ही दो दिन के लाकडाउन के बेबी पैक के चलते जिन लोगों की रोजी रोटी प्रभावित हो रही है उनको आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।





इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ब्राह्मण वंशावली

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा