मोटे अनाज की विश्व स्तर पर बढ़ी मांग


भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्राप्त निर्देश एवं अटारी, कानपुर द्वारा संचालित पोषण माह कार्यक्रम के क्रम में आयोजित सतत् कार्यक्रम की क्षृखला में  जनपद लखीमपुर खीरी के विकास खण्ड मितौली से कृषि विज्ञान केन्द्र कटिया, सीतापुर पर आयी हुई प्रगतिशील महिलायों के समूह को सम्बोधित करते हुए केन्द्र के अध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि पुराने मोटे अनाज जैसे कि ज्वार, बाजार, मकई, जौ, सावां, कौदो, काकुन, मडुआ आदि की विश्व स्तर पर मांग बढ़ रही हैैं। हमारे आस-पास उगने वाले बहुत सारे सब्जियों, फलों एवं औषधीय पौधें के महत्व की जानकारी ने होने कारण हम अपने आहार में उपयोग नहीं कर रहे हैं, वही केन्द्र अध्यक्ष ने अंकुरित अनाजों एवं मौसमी फसलों के महत्व पर विस्तृत जानकारी दी। केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक श्री सचिन प्रताप तोमर ने मृदा स्वास्थ प्रबंधन का मानव पोषण में महत्व पर जानकारी देते हुए बताया कि मृदा परीक्षण एवं संतुलित पोषक तत्वों का प्रबंधन बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। मृदा स्वास्थ के लिए फसल चक्र, फसल अवशेष प्रबंधन, गहरी जुताई, हरी खाद का प्रयोग एवं मिट्टी में अधिक से अधिक जीवांश वृद्धि पर बल देते हुए वैज्ञानिक ने बताया कि बहुत ही सरल तरीके से केचुआ की खाद, वर्मीवाॅश एवं विभिन्न प्रकार के जैविक उत्पादों का ग्रमीण स्तर पर सरलता से उत्पादन एवं प्रयोग किया जा सकता हैं। इस अवसर पर केन्द्र में विकसित विभिन्न प्रकार के जैविक घटकों एवं केन्द्र के प्रक्षेत्र पर लगे हुए विभिन्न इकाईयों का महिलायों का भ्रमण कराया गया तथा आयी हुई महिलयों को वर्षभर चारा उत्पादन हेतु हाईब्रिड नेपियर एवं एजोला तथ साथ ही 5 महिलायों को केचुआ खाद उत्पादन हेतु जय गोपाल प्रजाति के केचुआ भी दिए गयें। 


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