किसान भाई पराली कदापि न जलाये-डा. नन्द किशोर उप कृषि निदेशक उन्नाव

किसान भाइयों से अनुरोध है की फसल कटाई के उपरांत पराली तथा अन्य फसल अवशेषों को कदापि न जलाएं।क्योंकि: 


1.यह प्रकृति चक्र में बाधक क्रिया है जिससे आपके जमीन की उर्वरता नष्ट होती है इससे दीर्घ काल तक सतत रूप से कृषि करना असंभव हो जाएगा।



2.आप फसल अवशेष जलाकर धरती माता को प्राकृतिक रूप से मिलने वाले पोषण अर्थात कार्बन अंश से बंचित कर दे रहे हैं जिससे आपके खेत अनुपजाऊ व बंजर हो जाएंगे जो आने वाली पीढ़ी के साथ घोर अन्याय है।


3. वातावरण में प्रदूषण के कारण तत्काल भी विभिन्न बीमारियां, स्वांस कष्ट आदि उत्पन्न हो रहे हैं तथा ठंडे मौसम की शुरुआत में कोहरे के साथ धुआं के संयोग से उत्पन्न धुंध से बहुतायत में वाहन दुर्घटनाएं व जन हानि भी होती हैं।


4. फसल अवशेष जलाना मानवता के प्रति अपराध है।अतः खेत में पराली व अन्य अवशेषों का प्रबंधन करें। मशीनों का प्रयोग कर उसे मिट्टी में पलट दें अथवा डिकंपोजर का प्रयोग कर खेत में ही सड़ा दें, जिससे आपकी जमीन की उत्पादकता बढ़े व खाद के लिए आपको कम खर्च करना पड़े।


6.मा. सर्वोच्च न्यायालय तथा राष्ट्रीय हरित न्यायधिकरण के निर्देशों के क्रम में फसल अवशेष जलाना दंडनीय अपराध है जिसमें 2 एकड़ तक 2500 रु,2 से5 एकड़ तक 5000 रु व उसके बड़े किसानों पर 15000रु का जुर्माना तथा कारावास की सजा का भी प्रावधान है।


7.फसल अवशेष जलाने पर आपको सरकार की तरफ से मिलने वाली विभिन्न योजनाओं के लाभ,अनुदान व किसान सम्मान निधि से भी बंचित किया जा सकता है।


अतः अपील है कि सभी किसान भाई पर्यावरण की सुरक्षा करें, अपने खेतों की उर्वरता सुरक्षित रखें!तथा


" फसल अवशेष में आग लगाकर मिट्टी की सेहत, पोषक तत्वों, सूक्ष्म जीवों के साथ ही अपनी आने वाली पीढ़ी का भविष्य नष्ट न करें"


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