कृषि क्षेत्र में महिलाओं की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका


प्रदेश सरकार द्वारा मिशन शक्ति के अंतर्गत प्रदेश की महिलाओं एवं बालिकाओं के सुरक्षा, सम्मान तथा स्वावलंबन के प्रति जागरूकता एवं उसे अमली जामा पहनाए जाने के उद्देश्य प्रदेश सरकार द्वारा चलाए गए अभियान के अंतर्गत कृषि विभाग द्वारा महिला कृषकों के सशक्तिकरण हेतु लखनऊ स्थित योजना भवन के एनआईसी सेंटर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गत दिवस एक कार्यशाला संपन्न हुई। कार्यशाला में प्रदेश के सभी जनपदों के जनपद मुख्यालयों के साथ ही विकास खंडों के राजकीय कृषि बीज भंडारों पर उपस्थित 25,000 से अधिक महिला कृषकों ने लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से सहभागिता की।

प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने गोरखपुर के एनआईसी सेंटर से संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार किसानों के हितों के संरक्षण तथा उनकी आय वृद्धि के लिए दृढ़ संकल्पित है उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। जरूरी है कि उन्हें हर स्तर पर प्रशिक्षित कर और विशिष्ट योजनाओं से जोड़कर लाभकारी उद्यम के लिए प्रेरित किया जाए, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो सके। उन्होंने शारदीय नवरात्रि से वासंतिक नवरात्रि तक चलाए जा रहे इस अभियान को महिलाओं की शक्ति एवं सामर्थ्य को बढ़ाने तथा सम्मान देने का मिशन बताया।

प्रमुख सचिव गृह, श्री अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा मिशन शक्ति के अंतर्गत वृहद स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलंबन को रेखांकित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग द्वारा महिला कृषकों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए जरूरी है कि उन्हें अन्य विभागों की गतिविधियों से भी जोड़ा जाए।

अपर मुख्य सचिव, कृषि, श्री देवेश चतुर्वेदी ने अपने उद्बोधन में कृषि प्रसार की गतिविधियों में महिलाओं की अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित कराने तथा कृषि यंत्रीकरण एवं अन्य योजनाओं में महिला कृषकों को
जोड़कर योजनाओं के क्रियान्वयन में बल दिया। उन्होंने कहा कि देश में 12ः जबकि प्रदेश में 18ः महिला किसानों के पास जोत उपलब्ध है, ऐसी स्थिति में महिला किसानों को और अधिक सशक्त किये जाने की आवश्यकता है। उन्होनें एन.आर.एल.एम. समूहों की महिलाओं को कृषि एवं अन्य सम्बन्धित विभागों की योजनाओं को जोड़कर उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाये जाने का निर्देश दिए।

कार्यशाला में यूनिसेफ संस्था की स्टेट कोआर्डिनेटर श्रीमती पियूष एंटोनी ने कहा कि महिलाओं के विरूद्ध बराबरी परिवार के स्तर से ही शुरू होती है। महिलाओं के खिलाफ घर एवं समाज में होने वाले भेद-भाव के लिए उन्हें खुद आवाज उठानी होगी। उन्होंने कहा कि प्रकृति में स्त्री और पुरूष में कोई भेद-भाव नहीं किया है। ऐसी स्थिति में यह कृत्रिम भेद-भाव क्यों है, इसके बारे में हम सबको सोचना होगा। वाराणसी से जुड़ी उप कृषि निदेशक, भूमि संरक्षण स्मिता वर्मा ने महिलाओं द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन पर जोर देते हुए मृदा एवं जल सरंक्षण, मृदा में कार्बनिक पदार्थ का प्रबंधन तथा पराली न जलाने का आह्वाहन करते हुए उनसे जैविक खाद बनाकर खेतों में उपयोग करने की सलाह दी।

इस अवसर पर आत्मा योजना की स्टेट जेंडर कोआर्डिनेटर, डा0 अनिता सिंह ने कृषि कार्यों में कार्यरत महिलाओं की क्षमता विकास के लिए उन्हें प्रशिक्षणों में अनिवार्य रूप से सहभागी बनाने तथा विकास की योजनाओं में जोड़ने का आह्वाहन किया। सीतापुर की महिला कृषक उद्यमी श्रीमती सुधा पाण्डेय ने महिला स्वयं सहायता समुह द्वारा दुग्ध उत्पादन की सफलता की कहानी बताते हुए कहा कि इस समय उनके समुह में बीस गाॅव की महिलाएं जुड़ी हैं और लगभग प्रतिवर्ष 60 लाख रूपये का आर्थिक लाभ हो रहा है। लखनऊ जिले के मोहनलालगंज की महिला स्वयं सहायता समुह की संचालिका श्रीमती उमेश कुमारी ने कृषि क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं को सहायता समुह से जोड़कर किये जा रहे विभिन्न कार्यों का विवरण देते हुए उन्हें सक्षम बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में इस समुह द्वारा 45000 मास्क बनाकर उनका विक्रय किया इसके अतिरिक्त उन्होंने विभिन्न कार्यों का उल्लेख किया।
अन्त में अपर कृषि निदेशक, आनन्द त्रिपाठी ने प्रदेश के सभी जनपदों और विकास खण्डों से जुड़े प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।


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