किसान बदल रहे है खेती का परिदृश्य

भारतीय कृषि अनुसांधान परिषद  केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्था  रहमानखेड़ा द्वारा अनुसूचित जाति जन जाति योजना के अंतर्गत आयोजित किसान मेला एवं प्रदर्शनी का मे काकोरी मलिहाबाद तथा माल क्षेत्र के किसानो ने बड़ी संख्या में हिस्सा लियासाथ ही आस पास के जनपदों से आये हुए किसानो ने संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों के विषय में जानकारी हासिल की ।मुख्य अतिथि माननीय निदेशक उद्यान विभाग उत्तर प्रदेश आर के तोमर ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया के अध्यक्ष संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ. घनश्याम पांडेय ने संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों के विषय में विस्तृत जानकारी दी तथा संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों से कम जोत  वाले किसानो को भी कैसे आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिल रही है इस विषय में चर्चा की । तुड़ाई उपरांत प्रबंधन विभाग की प्रभागाध्यक्षा डॉण् नीलिमा गर्ग बताया कि किसान बागवान मुख्य रूप से महिलाएं संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों द्वारा फल एवं सब्जियों से बनने वाले विभिन्न प्रकार के उत्पा  दों को बनाकर न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं बल्कि उद्यमिता विकास भी कर रही है।

डॉ. एच एस सिंह ने कीट नियंत्रण तथा डा.  पी के शुक्ल ने रोग नियंत्रण में सावधानी तथा रसायनो की गुणवत्ता का ध्यान रखने की वैज्ञानिक जानकारी दी ? डॉ.एस आर सिंह ने संस्थान द्वारा विकसित हीड्रोपोनिक्स तकनीक द्वारा सब्जी उत्पादन एवं श्री क्षेत्रों के इसकी उपयोगिता के विषय में जानकारी दी द्य डा मनीष मिश्रा ने बताया कि उधान तकनीकों को व्यवसाय में कैसे बदले। डॉ. अशोक कुमार ने अनुसूचित जाती के किसानों की आय वृद्धि के लिए संस्थान के प्रयासों तथा किये  गए कार्यों के विषय में किसानों को अवगत कराया द्य किसान मेला में आये किसानों ने भी अपने अपने अनुभव साझा कियेए  करधनए काकोरी निवासी रविंद्र ने बताया कि संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा बताई गई तकनीकों का उपयोग करके न केवल उन्होंने बल्कि उनके गांव के अन्य किसानों ने भी लाभ अर्जित किया और अब उनका गांव गेंदे के फूल की खेती के लिए खेत्र का एक अग्रणी गांव है द्य ककराबाद, माल के किसान राजेश ने बताया की पिछले कुछ वर्षों से वह  संस्थान द्वारा बताई गई तकनीकों का उपयोग करके अपनी आय दोगुनी करने में सफल रहे है ।

मेले का आकर्षण का केंद्र रही किसानों द्वारा स्ट्रॉबेरी की खेती । संस्थान से सहायता और पौधे पाकर अनुसूचित जाति के किसानों ने इसकी खेती व्यापक पैमाने पर की जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हुयी ।विदेशी सब्ज़ियों की भी खेती को बड़े स्तर पर किसानों ने अपनाया। करझन गाँव के किसान बताते है कि कैसे उनके गांव में सब्ज़ियों की पौध संस्थान ने दी जो उनके व्यवसाय का साधन बना। स्वयं सहायता समूहों ने भी इस मेले में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। जहां स्वावलंबन ने टमाटर, चुकंदर, लहसुन और मिर्च के पाउडर को प्रदर्शित किया वही सहभागिता ने उन्नत मुर्ग़ों की किस्मों का प्रदर्शन किया। हाइड्रोपोनिकस में लोगों ने विशेष दिलचस्पी दिखाई ।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ब्राह्मण वंशावली

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा