ताकि कोई भूखा न रहे


कोविड-19 की चनौती से निपटने के लिये जहां एक ओर सरकार ने व्यापक रणनीति बनाकर काम किया वहीं दूसरी ओर आम लोग भी एकजुट हुये और एक दूसरे की मदद के लिए आगे बढे।लोगों ने प्रदेश में जगह जगह सामुदायिक रसोई शुरु की ।एसी रसोईयों में जनता के ही लोगों ने मिलकर सहयोग किया और लोगों तक मदद पहुंचायी ।एसा ही एक प्रयास बलिया जिले में मालदेपुर मोड़ के पास किया जा रहा है।गांव के ही कुछ उत्साही लोग एनएच-31 के किनारे मालदेपुर मोड़ पर एक जनता की रसोई चला रहे है।पिछले साल भी लाकडाउन के दौरान इन लोगों ने एक एसा ही प्रयास किया था।गांव के लोग जिनमें ज्यादातर किसान है और खेती करते हैं आपस में अनाज इकट्ठा कर लेते हैं और यही के लोग रोज भोजन पकाते है।इससे इनके उपर जहां एक ओर आर्थिक खर्चा नहीं आता वहीं दूसरी ओर 100 से 200 लोगों तक ये रोज भोजन दे देते है।खिचड़ी से लेकर पूड़ी सब्जी तक जिस दिन जैसी भी व्यवस्था इनके पास होती है ये खाना बनाते हैं और जरुरतमंद लोगों तक पहुंचाते है।समय के साथ इन्होंने युवा चेतना नाम का एक संगठन भी बना लिया है ।हालांकि ये पंजीकृत नहीं है।रसोई के प्रबंधन का काम मुख्य रुप से  अभिषेक ब्रह्मचारी , रोहित सिंह और अजय ओझा जैसे लोग करते है।अजय ओझा बलिया के भीखपुर गांव के रहने वाले है औऱ किसान है । ओझा पिछले कई महीनों से इस काम में लगे हैं।इसी तरीके से हैबतपुर गांव के 75 वर्षीय किसान  बैजू और जलालपुर के 57 वर्षीय श्री मोहन सिंह भी परोपरकार की भावना से इस जनता रसोई के साथ जुड़े हुये है ।हमारी बातचीत बहेडी के रहने वाले 22 वर्षीय सैफ नवाज से हुई ।इन्होंने फार्मेसी में डिग्री हासिल की है और आगे की पढाई में लगे हैं।इन्होंने बताया कि वे भी जनता की रसोई में सहयोग करते है।इससे उन्हें काफी संतोष होता है। श्री रोहित सिंह ने बताया कि गांव के लोग स्वेच्छा से अपनी क्षमता के मुताबिक बराबर इस जनता की रसोई में सहयोग करते आये है।रोहित सिंह का मानना है कि इस प्रकार के सामूहिक प्रयासों से जहां एक ओर जरुरतमंद लोगों को भोजन मिल जाता है वहीं दूसरी ओऱ समाज में पारस्परिक सौहार्द का वातावरण भी बनता है।जनता की यह रसोई सभी के लिए समान रुप से खुली रहती है ।कोई  भी कभी भी आकर के यहां पर खाना पा सकता है।लाकडाउन के दौरान इस बार भी लोगों के काम धंधे बंद हो गये और उनके सामने चुनौती आ खड़ी हुई ।एसे में उत्साही लोगों द्वारा जनता की रसोई जैसे प्रयास शुरु करने से लोगों को काफी राहत मिली है।


डा.श्रीकांत श्रीवास्तव

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