आपदाग्रस्त स्थिति में दुधारु पशुओं के लिये चारा प्रबंधन

 डा. ए. के. सिंह’, एंव डा. सतीश कुमार सिंह’’. 

आपदा एंव गरमी के दिनो मे जहाँ हरा चारा उगाने मे कठिनाई है वहाँ के पशुओं को आपदा एंव सुखे के दिनों में चारे के लिये संकट का सामना करना पड़ता है। उनको गेहूँ  ,जौ का भूसा धान का पुआल तथा ज्वार बाजरा मक्का की कडवी आदि पर निर्भर रहना पडता है। जो कि निम्न कोटि के चारे माने जाते   है, इससे पशुओ को निर्वाह के लिये भी पोषक तत्व नही मिल पाते है। पशुओं से दुग्ध उत्पादन के लिये तो सोचा भी नही जा सकता। हमारे य  कृषि योग्य भूमि का लगभग 90-95 प्रतिशत अंश फसलो के लिये प्रयोग होता है। देश में बढती हुई जनसंख्या के भारी दबाब के कारण कृषि योग्य भूमि में हरे चारे की खेती का क्षेत्रफल 6 प्रतिशत से भी कम है। ऐसी स्थिती में पशुओं को हरा चारा आसानी से नही उपलब्ध हो पाता है। कृषि भूमि से खाद्यान्नो के उत्पादन से जो कृषि अवशेष/सह उत्पाद बचते है उन्हें  पशुओ को खिलाया जाता है। पशुओं के चारे में ज्यादातर गेहूँ का भूसा धान के पुआल आदि का ही अधिक से अधिक प्रयोग होता है। ये दोनो ही चारे पौष्टिकता की दृष्टि से घटिया किस्म के चारे होते है और उन चारो को पशु बहुत चाव से खाते भी नही है और यदि खाते भी है तो खाने के बाद पेट खराब होने की संम्भावना बहुत बढ जाती है। ऐसी स्थिती मे पशुओं को पुआल तथा भूसा खिलाने के साथ साथ दाना मिश्रण भी अलग से दिये जाने की आवश्यकता होती है। अधिक मात्रा मे दाना  मिश्रण देने से दुग्ध उत्पादन मंहगा पड़ता है और गावँ के पशुपालको कों दुध की उत्पादन लागत के अनुसार दुग्ध मुल्य नही मिल पाता है इससे पशुपालकों  को आर्थिक रुप से नूकसान होता है। अतः इस समस्या के समाधान हेतु सुखे चारे को यूरिया से उपचार कर चारें  की पौष्टिकता  बढाई जा सकती है जिसे पशु बहुत चाव से खाते है। ज्वार बाजरा मक्का की शुष्क  कडवी का भी युरिया से उपचार किया जा सकता हैै। 

भूसे को यूरिया से उपचार करने की विधिः- 

सर्वप्रथम 4.0 कि.ग्रा. यूरिया 65 ली. पानी में घोल लेना  चाहिये यह घोल 1.0 कु. चारे के लिये पर्याप्त होता है। भूसे को 3 भाग मे बाटकर पहले भाग की पहली परत बिछाकर स्पे्रयर या हजारे से यूरिया घोल को छिडके। इसी प्रकार परत दर परत पुरे घोल को बराबर छिडक के तथा अच्छी तरह पैरो से रौदकर इसको दबा दे। इस प्रकार हर बार निश्चित मात्रा मे भूसा परत के बाद परत बिछाते जाय तथा र्निधारित मात्रा में घोल छिडकते जाय उपचारित भूसे के ढेर को प्लास्टिक सीट से अच्छी तरह चारो तरफ से ढक दें ताकि हवा का अदान प्रदान न हो सके। चार साप्ताह तक उपचारित भूसे को ढका रहने दे ताकि यूरिया भूसे मे अच्छी तरह मिल जाय। इसके बाद खिलाने से पूर्व भूसे को हवा मे एक दो घंटे तक फैला देना चाहिये जिससे कि गैस एंव अतिरिक्त गंध निकल जाय। 

धान के पुआल को यूरिया से उपचार करने की विधिः- 

पुआल के चारे को कुटटी के रुप में काटकर छोटे-छोटे टुकडे कर लेना चाहिये। 1.0 कु. पुआल को 3 भाग मे बाँटकर पहले भाग की पहली परत को पक्के फर्स पर बिछाकर फैला लेना चाहिये। तैयार घोल (4.0 कि.ग्रा. यूरिया 65 ली. पानी) को स्प्रेयर या हजारे से छिडकाव कर उपरोक्त घोल से परत दर परत 1.0 कु. चारे का उपचार करे। इसे अच्छी तरह पैरो से रौदकर मिला लेना चाहिये। उपचारित पुआल के ढेर को प्लास्टिक सीट से अच्छी तरह चारो तरफ से ढक दें ताकि हवा का अदान प्रदान न हो सके। इसे एक महीने तक उपचारित भूसे को ढका रहने दे ताकि यूरिया भूसे मे अच्छी तरह मिल जाय। इसके बाद खिलाने से पूर्व पुआल को हवा मे एक दो घंटे तक फैला देना चाहिये जिससे कि गैस एंव अतिरिक्त गंध निकल जाय।  

ज्वार/बाजरा/मक्का की शुष्क कढ़वी का यूरिया से उपचारः- अपौष्टिक शुष्क चारे को कुटटी के रुप में काटकर छोटे-छोटे टुकडे़ कर लेना चाहिये। पक्के फर्स पर 1.0 कु. कुटटी चारे को फैलाकर 65 ली. पानी मे 4.0 कि.ग्रा. यूरिया से बने घोल को स्पे्रयर या हजारे से चारेे पर अच्छी तरह छिड़कर पैरो से रौदकर मिला लेना चाहिये। उपचारित कुटटी को ढेर के रुप में बटोरकर प्लास्टिक सीट से अच्छी तरह ढककर एक माह तक रखना चाहिये इसको भी खिलाने से पूर्व भूसा/पुआल कीे तरह हवा मे 3-4 घंटे तक हवा मे फैला देना चाहिये जिससे कि अमोनिया की अवान्छनीय गंध निकल जाय। इसके बाद पशुओ को खिलाना चाहिये। 

यूरिया उपचारित चारे को खिलाने का तरीकाः- 

यूरिया द्वारा उपचारित चारे को शुरु मे अमोनिया की गंध की वजह से पशु खाना पसंन्द नही करते है। यदि यूरिया उपचारित सुखे चारे को हरे चारे की कुटटी मे मिलाकर पशु का दिया जाय तो वे उसे बडे़ चाव से खाने लगेगे। यदि शुरु मे युरिया उपचारित सुखे चारे को पशु खाना न पसंद करे तो सुखे चारे पर ऊपर से आटा/चोकर थोडा-थोडा छिड़क कर खिलाये इसकी आदत पड जाने पर पशु इस चारे को इतना चाव स खायेगे कि इसके मुकाबले दूसरे चारे को खाना चसंन्द नही करेगें । 

यूरिया उपचारित सुखे चारे को खिलाने से लाभः- 

जहाँ  बिना यूरिया उपचारित भूसा पुआल मे प्रोटीन की मात्रा 2.5-3.0 प्रतिशत रहती है वही उपचार के बाद इसमे 7.0-9.0 प्रतिशत तक बढ जाती है। इस तरह से दुधारु पशु को यूरिया उपचारित 5.0-6.0 कि.ग्रा. भूसे के साथ 25-30 कि.ग्रा.ज्वार/बाजरा/ मक्का का हरा चारा दिया जाय तो 6.0 ली. दूध प्राप्त किया जा सकता है। ऐसे ही अगर दलहनी हरा चारा जैसे मटर ऊर्द मूँग लोबिया या वरसीम उपलब्ध हो तो 5 कि.ग्रा. उपचारित भूसे कडवी के साथ 25-30 कि.ग्रा. उपरोक्त हरा चारा दिया जाय तो 10 ली. दूध प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रकार 10 ली. दूध बिना किसी दाने चोकर से प्राप्त किया जा सकता है। इससे पशुपालको को काफी लाभ मिलता है। पंजाब हरियाणा में यूरिया उपचारित भूसे का काफी प्रचलन है वहँा के किसानो के यहाँ आयताकार जमीन के अन्दर पक्के टैंक मिलेगे उसी में यूरिया से उपचारित चारे को  किसान रखते है। पूर्वान्चल के किसान अभी यूरिया उपचारित चारे का प्रयोग पशुओ के लिये नही करते है जिसकी की आज की परिस्थिति के अनूसार सख्त आवश्यकता है। 

यूरिया उपचारित चारे को खिलाते समय सावधानियाः- सुखे चारे/भूसे को उपचारित करते समय यूरिया को निर्धारित मात्रा से ज्यादा कदापि नही प्रयोग करना चाहिये।  

* पशुओं को खिलाने से पहले खुली हवा मे चारे को 3-4 घंटे  पहले फैलाकर सुखाना चाहिये जिससे कि घातक गैस अमोनिया पुरी तरह निकल जाय। सीधे गढढे से निकालकर खिलाने से पशु के पेट मे अमोनिया गैस ज्यादा मात्रा मे उत्पन्न हो जायेगी जिससे पशु की मृत्यु भी हो सकती है।

* छोटे बछड़े एंव बीमार पशु को यूरिया से उपचारित चारे को नही खिलाना चाहिये।

* यूरिया से उपचारित चारे को पहली बार में पशुओ को एक बार मे पुरा न खिलाये थोड़ी थोड़ी मात्रा में चारे को बढ़ाते हुअे 15 दिन मे पुरी दैनिक निर्धारित मात्रा खिलाई जाय ताकि पशु को खाने की आदत बन जाय एंव पशु के पाचन क्रिया पर प्रतिकुल प्रभाव न पड़े। 

* यूरिया उपचार के समय ध्यान रक्खे कि घोल समान रुप से पुरे चारे मे फैलाये कही ज्यादा कही कम न होने पाये। 

* यूरिया से उपचारित चारे को खिलाने से पशु को कोई परेशानी नही होती है। यदि कोई परेशानी समझ मे आती है तो 20 ली. ठंडे पानी मे सिरका मिलाकर पिलााना चाहिये। 

* यूरिया उपचारित चारे को खिलाने को खिलाने के बाद शीरा गुड़ या चोटटा पिलाना चाहिये।

पशुआंे को रोज खिलाने के लिये पौष्टिक सस्ता चाराः- पशुओ के लिये हरे पौष्टिक चारे एंव दाने की निरन्तर कमी होती जा रही है ऐसे में शीरा यूरिया घोल के माध्यम से भूसे एंव कड़वी को पौष्टिक बनाकर रोज प्रयोग कर सकते है।

  ज्वार/बाजरा/मक्का की शुष्क कढवी 10 कि.ग्रा.

युरिया         50 ग्राम

शीरा                1.0 लीटर

लवण मिश्रण         50 ग्राम

नमक        30 ग्राम


पहले युरिया, लवण मिश्रण एंव नमक को 2 लीटर पानी मे क्रमशः डालकर अच्छी तरह मिलाये फिर उस घोल मे निर्धारित मात्रा में शीरा डालकर अच्छी तरह मिलायें। तदोपरान्त ज्वार/बाजरा/मक्का की शुष्क कढवी में उक्त घोल को उलट पलट कर अच्छी तरह मिलाये। घोल तथा चारे का अच्छी तरह मिश्रण हो जाय तो इस मिश्राण को कुछ देर सुखा ले इसके बाद पशुओ की चरही या नाद में डालकर खिलाये। गाय/भैस/बैल को अनुमानित 8.0-10.0 कि.ग्रा., 6 माह से ऊपर के बछड़े बछिया को 2.0-4.0 कि.ग्रा. एंव भेड़ बकरी को 500 ग्राम तक खिला सकते है।


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ब्राह्मण वंशावली

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा