हिंदी विश्‍वविद्यालय ने रैंकिंग में लगाई छलांग

वर्धा,  एजुकेशन वर्ल्ड (ई. डब्ल्यू) ने विभिन्न श्रेणियों में उच्च शैक्षणिक संस्थानों को व्यापक मानकों पर उनके प्रदर्शन के आधार पर ‘ई. डब्ल्यू इंडिया हायर एजुकेशन रैंकिंग 2021-22’ जारी की है। भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग का यह लगातार आठवां संस्करण है। नैक द्वारा  ग्रेड प्राप्‍त महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालयवर्धा (केंद्रीय विश्‍वविद्यालय) ने इस वर्ष की रैंकिंग में जबर्दस्त छलांग लगाई है। 2020 में विश्‍वविद्यालय जहाँ 120 वें स्थान पर थावहीं इस वर्ष की रैंकिंग में इसे 76 वां स्थान प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही महाराष्ट्र के पहले 10 संस्थानों में भी विश्‍वविद्यालय ने जगह बनाई है। 

उल्लेखनीय है कि इस वर्ष की रैंकिंग के लिए भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों का सर्वेक्षण डिजिटल मीडिया के माध्यम से एक संरचित प्रश्‍नावली का उपयोग करके किया गया था जिसमें देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों के 1823 चयनित शिक्षकों एवं  अंतिम वर्ष के 2133 विद्यार्थियों से संपर्क कर उनका साक्षात्कार लिया गया एवं उच्च शिक्षा की उत्कृष्टता के छह मापदंडों- संकाय व शिक्षकों की गुणवत्ता और अनुसंधान तथा नवाचारउद्योगों के साथ संबंधआधारभूत संरचनाभौतिक व अकादमिक संसाधन व सुविधाएंप्लेसमेंटउद्यमिताविकास कार्यक्रमों की विविधताआदि के अंतर्गत उन्हें दस अंकों के पैमाने पर मूल्यांकन करने के लिए कहा गया। इस प्रकार प्राप्त आंकड़ों के विश्‍लेषण के आधार पर उच्च शिक्षा संस्थानों व विश्‍वविद्यालयों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया। इस प्रकार की रैंकिंग से नवांतुक विद्यार्थियों को विभिन्न मापदंडों के आधार पर विश्‍वविद्यालयों का चयन करने में सहायता मिलती है। साथ ही इस रैंकिंग के माध्यम से विश्‍वविद्यालयों को विभिन्न रैंकिंग मापदंडों पर अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने और अपनी क्षमताओं एवं खामियों की पहचान कर सुधार करने में मदद मिलती है। 

विश्‍वविद्यालय के कुलपति आचार्य रजनीश कुमार शुक्ल ने इस उपलब्धि पर विश्‍वविद्यालय के शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि उन्हें विश्‍वास है कि अगले वर्ष रैंकिंग में विश्‍वविद्यालय और सुधार करेगा। उन्होंने कहा कि ज्ञान के क्षेत्र में उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग ग़ुणवत्ता के लिए की जा रही है और यह वास्तव में हम सभी के लिए प्रोत्साहन का एक स्रोत है। उन्होंने कहा कि रैंकिंग में सुधार के लिए ज्यादातर संस्थान खुद को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने का प्रयास कर रहे हैं। प्रो. शुक्ल ने कहा कि भारत के सामने एक बड़ी चुनौती गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्रदान करना है। इस समस्या को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पहचाना गया है तथा वर्ष 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रोफेसर शुक्ल ने आशा व्यक्त की है कि इस रैंकिंग से विश्‍वविद्यालय को स्वस्थ प्रतिस्पर्धात्मक भावना के साथ राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न रैंकिंग मापदंडों पर अपने बेहतर प्रदर्शन के लिए मदद मिलेगी एवं विश्‍वविद्यालय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता के अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहेगा तथा स्थानीय आवश्यकता आधारितसामाजिक रूप से प्रासंगिक एवं राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण शिक्षा प्रदान करने की आकांक्षा को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा।

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