पेट की आग से मीरा में सोने की चमक

 
पेट की आग से आयी मीरा में सोने की चमक घर में गैस का चूल्हा नही था .. वह सिर्फ 12 साल की उम्र में लकड़ीया बीनने के लिए सूदूर  जंगल मे मिलो नंगे पाँव चलती थी ।

उस बेटी ने इतनी कम उम्र में ही अपनी ताकत की पहचान कर ली थी ,जब गुड्डे गुड़ियों से खेलने की उम्र थी तब वो बचपन में लकड़ियों का लट्ठा उठाने की इतनी आदि हो गयी थी कि वह आसानी से लकड़ी का एक बड़ा बंडल अपने घर ले जा सकती थी जिसे उसके बड़े भाई को उठाना भी मुश्किल था।

अपनी मजबूरियों को अपनी ताकत बनाने का हुनर कोई भारत की इस बेटी से सीखे , उनके इस हुनर ने ही उन्हें वेटलिफ्टिंग में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया था।

लकड़ियों के बंडल उठाने से लेकर दुनिया मे दूसरे सबसे ज्यादा वजन उठाने का सफर इतना आसान नही रहा होगा लेकिन "मीरा" आपकी सफ़ल होने की जिद ने आज फिर यकीन दिला दीया की जब तक आप जैसी बेटियां इस देश में रहेगी इस देश का नाम ऐसे ही ऊंचा होता रहेगा ।

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