गोवंश का संरक्षण या वोट की राजनीति

 समीक्षक- जितेन्द्र द्विवेदी 

गोवशं संरक्षण इस सरकार का प्रमुख ऐजेन्डा रहा है यदि गोवंश का संरक्षण ईमानदारी से धरातल पर करना है तो इन स्लाटर हाउसो को ही कम से कम उप्र में बन्द कर दिया  जाना चाहिए। *एक ओर गाय को माता और दूसरी ओर माता की नृशंस तरीके से हत्या* ?गौशालाओ में गोसंरक्षण के नाम पर प्रति माह लाखों का न्यारा -वारा हो रहा है ऊपर वाला सब देख रहा है जिस गोमाता का दुग्ध पान किया उसकी ऐसी दुर्गति! और सब तरफ खामोशी? *नाली नापदान और छोटी -छोटी बातों पर बड़ी से बड़ी जंग लड़ने वालो के दिल दिमाग में भी इस माँ की चीख, तड़प का कोई असर नहीं* गऊमाता के दूध का कोई मोल नहीं! *यदि हनुमंत जीव आश्रय संस्थान की सेवाओ को हटा दे तो पूरे उन्नाव में गोवशं की दुर्गति का क्या आलम होगा* यह बताने की आवश्यकता नहीं है  *गो संरक्षण के नाम पर खुला खिलवाड़ और लूट चहुँओर जाहिर है लेकिन शासन- प्रशासन और सरकार सहित उनके प्रतिनिधियों के अलावा यह सच सभी को दिखाई दे रहा है* ऐसा नहीं है कि यह केवल उन्नाव में ही हो रहा है पूरे प्रदेश में कमोवेश ऐसी ही स्थिति है।। सरकार यदि ईमानदारी से गो संरक्षण के प्रति समर्पित है तो *जिन लोगों को फ्री राशन, फ्री मकान, प्रति माह नकद/ खाते में धनराशि सहित अन्य सुविधाएं दे रही है तो उसमें केवल एक शर्त जोड़ दें कि अब इन सभी सुविधाओं का पात्र वहीं होगा जिसके घर गाय पाली जा रही हो,* इसमें भी खेल न हो तो इसकी स्वप्रमाणित कापी भी प्रति माह ग्राम पंचायत/नगर पंचायत में जमा करना अनिवार्य किया जाये, साथ ही *ग्राम प्रधान सहित ग्राम पंचायत अधिकारी/नगर पंचायत अधिकारी को इसकी सही पुष्टि की जिम्मेदारी सौंपी जाये। नियमों में सख्त प्रावधान हो कि गाय पालन का प्रमाण पत्र झूठा पाये जाने पर किसी तरह की माफी नहीं होगी झूठ में संलिप्तता पर सभी दण्ड के भागीदार होंगें


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