छः वर्षो से कृषक परिवारों की स्थिति का कोई सर्वेक्षण नही


देश में किसानों की स्थिति कैसी है, किसानों के परिवारों की
हालत कैसी, उनकी आय की क्या स्थिति है, इन सबको लेकर
पिछले पांच सालों में कोई अध्ययन सरकार द्वारा नहीं किया गया
है. किसानों की स्थिति को लेकर देश में जारी बहस के बीच
पिछले पांच वर्षो में कृषि परिवारों की आय में वृद्धि का कोई
तुलनात्मक अनुमान उपलब्ध नहीं है. राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण
कार्यालय (एनएसएसओ) ने 2013 के बाद से कृषि परिवारों की
स्थिति के आकलन का कोई सर्वेक्षण नहीं किया. संसद के हाल
में सम्पन्न बजट सत्र के दौरान एक प्रश्न के लिखित उत्तर में
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने यह बात बतायीराष्
ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा पिछला 'कृषि परिवारों
की स्थिति का आकलन सर्वेक्षणश् कृषि वर्ष जुलाई 2012...जून
2013 के लिये 70वीं पारी के संदर्भ में किया गया था. मंत्रालय
ने कहा, 'एनएसएसओ ने 2013 के बाद ऐसा कोई सर्वेक्षण नहीं
किया. इसलिये 2014 से 2018 के दौरान कृषि परिवारों की आय
में वृद्धि के तुलनात्मक अनुमान उपलब्ध नहीं हैं. श् इस सवाल
पर कि सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना
करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिये किन आंकड़ों पर निर्भर
है, कृषि मंत्रालय ने बताया, 'वर्ष 2022 तक किसानों की आय
को दोगुना करने संबंधी अंतर-मंत्रालयी समिति की उपलब्ध
रिपोर्टो के अनुसार समिति ने कृषि परिवारों की स्थिति का
आकलन सर्वेक्षण की 70वीं पारी के इकाई स्तरीय आंकड़ों से
प्राप्त कृषि परिवारों की आय के अनुमानों को आधार माना है।
मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने कृषि वर्ष जुलाई 2018 से जून
2019 के संदर्भ में अगला श्कृषि परिवारों की स्थिति का आकलन
सर्वेक्षणश् संचालित करने का निर्णय किया है . कृषि एवं किसान
कल्याण मंत्रालय ने सदन को बताया कि गृह मंत्रालय के अंतर्गत
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) 'भारत में दुर्घटनावश
मृत्यु और आत्महत्याएंश् शीर्षक वाले अपने प्रकाशन में
आत्महत्याओं के बारे में सूचनाओं को संकलित और प्रसारित
करता हैबैंक
के कर्ज में डूबे महाराष्ट्र के किसान ने आत्महत्या की
2015 तक की आत्महत्याओं संबंधी ये रिपोर्ट इसकी वेबसाइट
पर उपलब्ध है. वर्ष 2016 से आगे की रिपोर्ट अभी तक प्रकाशित
नहीं हुई है. 'भारत में दुर्घटनावश मृत्यु और आत्महत्याएंश्
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014 के दौरान कृषि क्षेत्र में शामिल
कुल 12,360 व्यक्तियों ने आत्महत्याएं की जिसमें 5650 किसान
या कृषक और 6710 कृषि मजदूर शामिल हैं. इसी प्रकार से
2015 में कृषि क्षेत्र में शामिल कुल 12,062 व्यक्तियों ने आत्महत्या
की जिसमें 8007 किसान एवं कृषक तथा 4595 कृषि श्रमिक
शामिल हैं


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