दो हजार की नोट-
पति-पत्नी में हो गई जोरदार तकरार।
व्यंग्य वॉण की हो गई आपस में बौछार।।
पति-मुझको तुम न समझ सकी हो,न मुझ पर एतवार।
रहती हो बिन बात के हरदम लडने को तैयार।।
पत्नी-मैने तुम को समझ लिया है तुम मे भरी है खोट।
मैंने तुमको समझ लिया तुम दो हजार का नोट।।
तुम्हें बदलना नामुमकिन है छुट्टा न मिल पाये।
काला धन सा तुम्हें सम्हालूं,रक्खूं नजर गडाये।।
कहीं किसी नागिन की तुम पर नजर नहीं पड़ जाये।
मार कुण्डली बैठे तुम पर हम बैठे पछतायें।।
पति-जब मैं इतना बुरा हूँ रानी,फिर कैसी निगरानी।
छोड़ दो मेरा पीछा अब तुम,दे ही चुका निशानी।।
पत्नी- अरे नहीं मुन्नी के पापा,मैं क्यों तुम्हें भुलाऊँगी।
इतना सीधा-सादा नौकर मुफ्त कहाँ मैं पाऊँगी।।