दूधिया मशरूम उगाना हुआ आसान

मशरूम उगाने का यदि सरल तरीका मिल जाए तो  ज्यादातर लोग चाहेंगे कि वे अपने घर में ही ताजे  मशरूम उगा कर स्वास्थ्य वर्धन करें और भोजन में विविधताका भी मजा ले है| दूधिया मशरूम की रेडी टू फ्रूट बैग तकनीकी संस्थान ने विकसित की ताकि इसकी खेती आसान हो जाए| केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने तेलीबाग स्थित परिसर में दूधिया मशरूम के रेडी टू फ्रूट बैग उपलब्ध कराएं और जानकारी भी दी की इन बैग से मशरूम की अच्छी उपज कैसे लें| 


मशरूम उत्पादन धीरे-धीरे लोकप्रिय होते जा रहा है परंतु अधिकांश लोग तकनीकी जानकारी की कमी या कुछ गलती हो जाने के कारण असफलता के कारण हिम्मतहार जाते हैं| संस्थान में ट्रेनिंग के लिए आए बहुत से लोग ट्रेनिंग  पूरी करके जानकारी ले लेते हैं परंतु  इस कार्य के लिए सामग्री  छोटा कर बैग बनाने में सफल नहीं होपाते हैं| संस्थान ने रेडी टू फ्रूट बेड बनाकर मशरूम उत्पादन की विधिअत्यंत सरल कर दीसाथ ही साथ आवश्यक ट्रेनिंग प्रदान करके तकनीकी गलतियों कीसंभावनाओं को भी कम किया|


इस ट्रेनिंग में 60 से अधिक लोगों ने भाग लिया जिसमें सभी आयु वर्ग के लोग सम्मिलित थे| कुछ कॉलेज के विद्यार्थी तो कई रिटायर्ड अधिकारी थे जो  मशरूमउगाने के लिए  रूचि रखते है| इस ट्रेनिंग में 6 महिलाओं ने सम्मिलित होकर रेडी टू  फ्रूट  मशरूम बैग प्राप्त किए|  कुछ लोग संस्थान में पहले ऑयस्टर मशरूमपर ट्रेनिंग कर चुके थे परंतु अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए दोबारा ट्रेनिंग में सम्मिलित हुए|  अखबार में समाचार पढ़कर 9:30 बजे ट्रेनिंग में आ जाना लोगोंके अंदर मशरूम उत्पादन के लिए जागरूकता का प्रमाण है|


ट्रेनिंग के दौरान प्रश्नों की बौछार  से वैज्ञानिकों को प्रसन्नता का अनुभव हुआ क्योंकि यह इस बात का संकेत हे की प्रशिक्षणार्थी तल्लीनता से सीखने की कोशिश कररहे थे और उन्हें मस्तिष्क में आने वाली शंका का निवारण करने का अवसर प्राप्त हुआ| आजकल की व्यस्त जिंदगी में लोगों के पास समय नहीं है कि वह मशरूमउगाने के लिए भूसा एवं अन्य आवश्यक चीजें लाकर तैयारी करें|  बाज़ार में जिस तरह से रेडीमेड  जरूरत की चीजें उपलब्ध है ठीक उसी सिद्धांत पर रेडी टू फ्रूटमशरूम बैग भी बनाए गए हैं|  प्रशिक्षण के दौरान अधिकतर लोगों ने अपने घर की आवश्यकता के लिए ही मशरूम उगाने में रुचि दिखाई परंतु कुछ लोग ऐसे भी थेजो व्यवसायिक रूप से इसे अपनाने के इच्छुक हैं| एक प्रशिक्षणार्थी को ऑयस्टर मशरूम उगाने का अनुभव है और  उसी के आधार पर उन्हें प्रतिदिन 20 से 30 किलोदुधिया मशरूम हैदराबाद भेजने का ऑर्डर प्राप्त हो चुका है| वे चाहते हैं कि दूधिया मशरूम की खेती में भी अनुभव प्राप्त करके मशरूम की मांग को पूरा करें|


कुछ प्रशिक्षणार्थी इंटरनेट के उपयोग द्वारा  ग्राहकों से संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं|  ट्रेनिंग के दौरान परिचर्चा से यह भी स्पष्ट हुआ कि इंटरनेट के उपयोग से मशरूम की मार्केटिंग में काफी सहायता मिल रही है और यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मशरूम को कुछ ही दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है |मशरूम  की खेती के लिए लोगों में जिज्ञासा यह भी संकेत देती है कि भविष्य में लखनऊ एवं उसके आसपास मशरूम का उत्पादन अधिक मात्रा में हो सकेगा|


अभी मशरूम केवल सर्दियों में ही लखनऊ के बाजारों में उपलब्ध रहता है| आमतौर पर लोग बटन मशरूम को ही जानते हैं और बहुत कम लोग ही  ऑयस्टर और दूधिया मशरूम के बारे में जानते हैं| धीरे धीरे यह मशरुम भी प्रचलित हो जाने पर बाजार में उपलब्ध होंगे|  विभिन्न प्रकार  के मशरूम से बने हुए मूल्य संवर्धित उत्पादों के बारे में भी लोगों में रुचि उत्पन्न हो रही है| आशा है कि भविष्य में अधिक संख्या में मशरूम उत्पादन इकाइयों के स्थापित हो जाने से बाजार में उपलब्धता बढ़ेगी और बहुत  से मूल्य संवर्धित पदार्थ भी बाज़ार उपलब्ध होंगे| ग्राहकों में धीरे धीरे मशरूम के इन  उत्पादों मैं रूचि होने से  मशरूम उत्पादकों को अच्छा दाम मिलने में कठिनाई नहीं होगी| कभी कभी अधिक मात्रा में मशरूम उत्पादन हो जाने पर  उत्पादक को अच्छा बाजार नहीं मिल पाता है| ऐसी अवस्था में मूल्य संवर्धन द्वारा  मशरूम को खराब होने से बचाया जा सकेगा|


कई लोगों की रुचि  विषैले  मशरूम के बारे में जानने की थी और कुछ ने यह भी जानना चाहा कि बरसात में अपने आप उगने वाले मशरूम क्या भोजन के लिए सुरक्षित हैं|  कुछ को यह भी शंका थी की मशरूम में कीटनाशकों का प्रयोग होता है या नहीं यदि हां तो वह किस स्तर तक हानिकारक है| वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया बटन मशरूम में ठंड के मौसम में कीटनाशकों की आवश्यकता ना के बराबर पड़ती है परंतु अधिक तापक्रम होने पर उत्पादन करने में  कभी-कभी रसायनों का प्रयोग आवश्यक हो जाता है| ऑयस्टर और दूधिया मशरूम  की खेती में इस प्रकार की समस्या नहीं आती है|


संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ पी के शुक्ला ने प्रायोगिक रूप से लोगों को  रेडी टू फ्रूट बैग को किस तरह से उपयोग में लाए इसकी जानकारी दी|उन्होंने यह भी बताया की रेडी टू फ्रूट बैग केसे बनाया जा सकता है ? केशिंग मिट्टी का प्रयोग तथा नमी संरक्षित रखने के उपाय भी बताएं| प्लास्टिक के पाइप से बनाए गए एक  सस्ते मॉडल का भी प्रदर्शन किया  जिससे मशरूम उत्पादन में घर में सरलता रहेगी| प्लास्टिक पाइप से बनाया गया यह मॉडल ₹200 के अंदर बनाया जा सकता है और कई वर्ष तक प्रयोग में लाए जाने के लिए उपयुक्त है|  कई लोगों ने यह भी जानना चाहा कि फिर दोबारा यह ट्रेनिंग कब होगी और नियमित रूप से हम रेडी टू फ्रूट मशरूम बैग केसे प्राप्त कर सकते हैं


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