गोद लिए गॉंव, गोद में ही रह गये


गोद लिए गॉंव, गोद में ही रह गये,
अरे-गाँव वाले अँगूठा पीते रह गये.
जनता के नारे, बैनरों में रह गये,
जनता सूख गयी, नेता हरे-हरे.


राजनीति पढ़कर सेवा बहुत करी,
साधू नहीं था, टिकट मेरी कट गयी,
जातपात, धर्म में जनता बँट गयी.
मेरी सारी नेतागिरी धरी रह गयी.


पार्टी कार्यालय में जूते उतर गये.
जो नंगे पाँव गए थे, हम धरे गये.
बेकार अपनी किस्मत आजमा रहे,
चुनाव में खड़े हुए, सब दिखे हरे हरे.


ट्रम्प और मोदी दो छोर बने हैं,
मीडिया उनकी गोदी में जोर बने हैं
साहूकार को कभी चोर न कहो,
अर्धरात्रि सूरज में भोर न कहो.


वोट देने वाले, भिखारी हो गये,
सरकारी स्कूल बंद हुए, बच्चे रो रहे.
रैलियों में भीड़ की क्या नौकरी मिली,
जिस दल में गये, साथ टोपी ले गये.


हम हाथ पर हाथ धरे ही रह गये,
गोद लिए गॉंव, गोद में ही रह गये,
अमरीका वाले डालर की वर्षा कर रहे,
नार्वे वाले जुकाम में नाक पोंछते रहे.


साधू को टिकट मिली,
मुँह में लालीपाप दे, नेता चले गये.


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ब्राह्मण वंशावली

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा