कैसे होगा किसानों का उद्धार



  • भारत में जितने भी राजनीतिक दल हैं ,सभी खु द को कृषको ं का सबसे बड़ा हितैषी सिद्ध करने का होड़
    लगाये हुए हैं मगर कृषकों की असल समस्याओं को जानते हुए भी वे उससे अनजान बने हुए है। किसान चूँकि
    असंगठित है इसलिए वह सर्वाधिक संख्या बल वाला होते हुए भी बेहद कमजोर एवं असहाय है । अभी विगत
    माह आये केन्द्रीय आम बजट में 80 करोड़ की संख्या वाले किसानों के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना शुरू
    करने की घोषणा की गई जिसके लिए मात्र 1000 कर ोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है जबकि देश का 60
    प्रतिशत कृषि क्षेत्र अभी भी असिंचित है। सरकार ने माटी के प्रति मोह दिखाते हुए 100 सचल मृदा परीक्षण
    प्रयोगशालाओं के संचालन के लिए 56 करोड़ रुपये की व्यवस्था किया है ताकि सभी किसानों को मृदा उर्वरता
    कार्ड उपलब्ध कराया जा सके। सरकार ने जहां 100 स्मार्ट शहरों के विकास के लिए 70 अरब 60 करोड़ रुपये
    की बजटीय व्यवस्था की है वहीं कृषि व उससे जुड़े क्रिया कलापों के लिए मो दी सरकार ने मात्र 1 1531 करोड़
    रुपये का प्राविधान किया है जबकि गत वर्ष के बजट मे इन कार्यो ं के लिए यू पी ए सरकार ने 18781 करोड़
    रुपये का बजट पास किया था जिसमे से 10000 करोड़ रुपये खाद्य सुरक्षा के लिए थे। पिछले बजट मे ं केन्द्रीय
    आयोजना के तहत 18781 करोड ़रुपये आवंटित किए गए थे जो कि इस बार घंटा कर मात्र 11531 करोड़ रुपये
    कर दिया गया है । पिछले बजट में योजनागत व्यय जहां 17075 करोड़ रुपये था वहीं नये बजट मे ं इसे घटाकर
    मात्र 10694 करोड़ कर दिया गया है। यद्यपि इस बजट में सरकार ने कृषि उत्पादों के भण्डारण एवं विपणन के
    लिए कुछ धान की व्यवस्था की है जो कि बहुवांछित था मगर उत्तर प्रदेश जैसे राज्य के कृषि विभाग में फील्ड
    फोर्स नगण्य है और जब कर्मचारी ही नहीं होंगे तो कृषि विभाग तमाम लोक लुभावन योजनायें पर वान कैसे
    चढ़ेंगी ? मोदीजी गाँवो ं को जबरन हाइ टेक बनाने पर तुले हुए हैं श्रीमन प्रधानमंत्री जी ! जरा आकर अपने उस
    उत्तर प्रदेश की जमीनी हकीकत तो जानिये, कितने गाँव अभी तक हो पाये हैं ऊर्जीकृत, और कितने घंटे आती
    है इन गाँवों में बिजली ? आप बिन बिजली वाले गाँवों में ई-टिकटिंग का सपना बेंच रहे हैं। ज्यादातर किसान
    निजी नलकूपों से डीजल चालित मशीन से खेतों की सिंचाई करते है। डीजल चालित इंजन से मड़ाई तथा अन्य
    कृषि कार्य करते हैं । उसे तो आप ने मंहगा कर दिया घाटे का व्यवसाय होने के कारण आज 40 प्रतिशत से
    अधिक किसान कृषि व्यवसाय छोड़ना चाहता हैं, पहले से लिए हुए कर्जे को चुका न पाने के कारण किसान
    आत्मह त्या कर रहे हैं ,सरकार में बैठे आला अफसर इन मौतों को झूठा साबित करने में अपनी प्रशासनिक
    क्षमता का प्रदर्शन कर रहे है । आपकी सरकार समेत तमाम सरकारें इन मौतों को सच सिर्फ इसलिए नहीं मानती 
    ताकि उन पर कोई जवाब देही न आने पाये। अधिकारीगण तो उसे झूठा मानते ही है  जनता द्वारा चुने गये
    जन प्रतिनिधि भी उसकी ब ात पर विश्वास न कर अफसर की ही बात को सच मानते हैं । अब आप सात प्रतिशत ब्याज
    पर उसे ऋण द ेने का लालीपाप देकर उसका उद्धार करने की बात सोच रहे है  बड़ी दरिया दिली दिखाते
    हुए बजट में आठ लाख करोड़ रुप ये की व्यवस्था किसानो  को कर्ज के लिए की गई है पिछले बजट में भी इस
    कार्य के लिए थी सात करोड़ रुपये की व्य वस्था पर किसान को कर्ज नहीं उसकी कृषि उपज का वाजिब दाम
    चाहिए उसे अपनी कृषि उपज की कीमत तय करने का अधिकार चाहिए वह कर्ज लेकर 'लयमारी' नहीं करना
    चाहता उसे कर्जमाफी के नाम पर बे इमानी मत सिखाइए, कर्ज का और बोझा लाद कर उसे मौत की ओर मत
    ढकेलिये। किसान को चाहिये प्राकृतिक अथवा मानवकृत आपदाओं से होने वाली हानि की भरपाई, समय प र
    कृषि निवेश ों की सुनिश्चित उपलब्धता ,अनुदानित दरो  पर उर्वरक ,कीटनाशी रसायन, उन्नत बीज,नवीनतम तकनीक
    एवं कृषि उपकरण ,उसकी कृषि उपज की समुचित भण्डारण व्यवस्था और उसकी कृषि उपज पर बोनस की
    सुविधा। बड़ी उम्मीद थी आपसे किसानों को,उन्हें आशा थी गुजरात मॉडल से नई व्यवस्था और नये परिवेश
    की ले किन आप ने भी वही किया जो कि पिछली सरकारें करती आई थी  मोदी जी!देश की जनता को आपसे
    कुछ विशेष अपेक्षाएं है ,व्यवस्था एवं कार्य संस्कृति मे  बदलाव की उम्मीद है,तंत्र नहीं जनता की सरकार साबित
    होने की है। सवा अरब जनमानस के उम्मीदों की डोर आप से बंधी है बेहतर जीवन-यापन समान शिक्षा व्यवस्था
    सबको एक समान स्वास्थ्य सुविधायें और भौतिक सुख-सुविधाओं की आश आम आदमी को भी है। नेताओ 
    की भारी भीड़ मे ं से उसने आपको चुना है इसलिए उसे उम्मीदें भी आप से ही हैं ।


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