कीटनाशकों का उपयोग और सावधानिया

फसलों पर कीटों का प्रकोप होना आम बात है। इन कीटों से निपटने के लिए ज्घ्यादातर किसान रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन जिस तरह से दुनियाभर में केमिकल और पेस्टीसाइड का अंधाधुध प्रयोग हुआ है, उससे खेती और इंसान दोनों को बहुत नुकसान पहुंचाया है।
दुनिया भर में हुए शोधों में पता चला है कि कैंसर समेत कई बीमारियों के लिए कुछ हद तक ये कीटनाशक जिम्मेदार हैं। लेकिन कई बार खाने की थाली तक पहुंचने से पहले ये कीटनाशक खुद किसानों की जान ले लेते हैं। कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग पर लगाम लगाने की कोशिशें तेज हुई हैं। इसी बीच संसद में इन जहर बनते कीटनाशकों को लेकर नया बिल लाने की सुगबुगाहट है।
अगस्त 2017 में महाराष्ट्र के यवतमाल में कपास के खेत में कीटनाशकों का छिड़काव करते वक्त 800 लोग बीमार हुए थे, इनमें से 50 मजदूरों की मौत हो गई थी, 25 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। 2017 में राज्यसभा में इस संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में .षि राज्यमंत्री ने संसद को बताया था कि पिछले तीन सालों में खेत में कीटनाशकों को छिड़काव करते समय 5114 किसानों की मौत हो गई थी। वेबसाइट मदरजोंस के मुताबिक, कैलिफोर्निया के कर्न काउंटी में अगस्त 2017 में ही खेतों में काम करने वाले 167 मजदूरों का समूह लहसुन की कटाई करते समय अचानक बीमार हो गए। केर्न काउंटी के .कृषि वैज्ञानिकों को बाद में पता चला कि उनमें से 92 मजदूरों में कीटनाशकों के संपर्क में थे। इसके बाद केर्न काउंटी के संबंधित अधिकारियों ने पेस्टीसाइड बनाने वाले पांच कंपनियों को दंडित किया।
लेकिन सिर्फ इन कंपनियों को दोष देने से बात खत्म नहीं होगी, जरुरी है कि कीटनाशक समय लेकर हटाए जाएं, उनके विकल्प आएं और खुद किसान उसके सही इस्तेमाल का तरीका समझें।
काफी बढ़ गया है कीटनाशकों का इस्तेमाल
केयर रेटिंग के अनुसार 1950 में देश में जहां 2000 टन कीटनाशक की खपत थी वहीं अब ये बढ़कर 90 हजार टन पर पहुंच गई है। 60 के दशक में देश में जहां 6.4 लाख हेक्टेयरक्षेत्र में कीटनाशकों का छिड़काव होता था वहीं अब 1.5 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में कीटनाशकों का छिड़काव हो रहा है। इसका परिणाम यह है कि भारत में पैदा होने वाले अनाज, सब्जी, फलों व दूसरे .षि उत्पादों में कीटनाशक की मात्रा तय सीमा से ज्घ्यादा पाई गई है।
केयर रेटिंग ने इसको लेकर अपनी रिपोर्ट में बताया है कि भारतीय खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों का अवशेष 20 फीसदी तक है जबकि वैश्विक स्तर पर यह सिफ्र 2 फीसदी तक होता है। भारत में केवल ऐसे 49 प्रतिशत ही खाद्य उत्पाद हैं जिनमें कीटनाशकों के अवशेष नहीं मिलते हैं जबकि वैश्विक स्तर पर 80 प्रतिशत खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों के अवशेष नहीं हैं।
आदर्श किसानसेन्टर
भारत सरकार व कृषि मंत्रालय जल्द ही एक कीटनाशक प्रबंधन बिल जाने वाला है, जिसमें ये निर्धारित किया जाएगा कि कीटनाशक कंपनियां किन रसायनों से कितनी मात्रा में कीटनाशक में इस्तेमाल किया जाए और किन रसायनों को प्रतिबंधित कर दिया जाए। देश में अभी ऐसे बहुत से कीटनाशकों का इसतेमाल किया जा रहा है जो काफी जहरीले हैं। इनमें से दो कीटनाशक ऑक्सीडेमेटॉन मिथाइल और मोनोक्रोटोफॉस हैं। इन दोनों कीटनाशकों को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अत्यधिक विषैली श्रेणी 1ए में रखा है।
मोनोक्रोटोफॉस दुनिया के 60 देशों में प्रतिबंधित है और कुछ दूसरे कीटनाशक जैसे फोरेट - 37 देशों में, ट्राइजोफॉस - 40 देशों में व फास्फोमिडान - 49 देशों में प्रतिबंधित है लेकिन हमारे देश में अभी भी इनका उपयोग किसान कर रहे हैं और ये बाजार में बिक रहे हैं। ऐसे ही कीटनाशकों को सरकार प्रतिबंधित करना चाहती है लेकिन कीटनाशक बनाने वाली कंपनियां इसके विरोध में हैं। बीती 11 जनवरी को नई दिल्ली में डॉ. एस.के. पटनायक, सेक्रेटरी, .षि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग की अध्यक्षता में आयोजित हुई, जिसमें इस बिल से संबंधित सभी पहलुओं पर विचार किया गया।
किसान ध्यान दें इन बातों पर
सरकार अपनी कोशिशें करेगी, बिल भी आएगा लेकिन इसमें काफी वक्त लगेगा लेकिन फिलहाल आपको जिस बात पर सबसे ज्घ्यादा ध्यान देने की जरूरत है वो है कीटनाशकों के छिड़काव के समय अपनी सुरक्षा करने की। कीटनाशकों के छिड़काव के समय अगर आप कुछ सावधानियां बरतेंगे तो इससे होने वाले दुष्प्रभाव से काफी हद तक बचा जा सकता है।
जैविक भवन, केन्द्रीय एकीक्ृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, लखनऊ के प्रभारी डॉ. टीए उस्मानी बताते हैं कि कीटानाशकों का इस्तेमाल करते समय सीआईआर नंबर जरूर देख लेना चाहिए। साथ ही .षि विशेषज्ञ से भी सलाह ले लें। वह कहते हैं कि हरे तिकाने निशान वाला कीटनाशक ही खघ्रीदें। लाल नीले व पीले तिकोने निशान वाले कीटनाशक का प्रयोग करने से बचें। हरी तिकोने निशान वाले कीटनाशक का प्रयोग उचित मात्रा में, सही समय पर, सही फसल पर, सही तरीके से व सही यंत्र से करें।
पेस्टीसाइड खरीदते समय
-सिर्फ उतना ही कीटनाशक खरीदें जितने की उस वक्त जरूरत हो। कई बार किसान एक साथ अधिक मात्रा में कीटनाशक खरीद लेते हैं और सोचते हैं कि इसे दोबारा इस्तेमाल करने के लिए रख लेंगे लेकिन ऐसा न करें।
-कभी भी कीटनाशक की सील टूटी हुई शीशी न खरीदें या इसे खुला हुआ न खरीदें। ध्यान रखें कि इसका कंटेनर लीक भी न कर रहा हो।
-उचित या स्वीत लेबल के बिना कीटनाशक को न खरीदें।
इसे कैसे रखें
-घर में कीटनाशक कभी भी न रखें
-इसके असली कंटेनर में ही इसे रखें और कंटेनर को ठीक से बंद करें।
-दूसरे कंटेनर में कीटनाशक न डालें
-कीटनाशक को ऐसी जगह न रखें जहां खाना या चारा रखा हो
-पानी और सूरज की रोशनी की पहुंच से दूर रखें
-कीटनाशक और घासफूस नाशक को एक साथ न रखें
कीटनाशक को तैयार करते वक्त
-जब आप कीटनाशक को खेत में स्प्रे करने के लिए तैयार कर रहे हों तो उसमें साफ पानी का इस्तेमाल करें।
-हमेशा अपने हाथ, नाक, आंखें, कान और मुंह को ठक लें।
-सिर को भी कैप से ढक लें।
-हाथों को ढकने के लिए पॉलीथिलिन बैग्स से बने दस्ताने पहनें, सिर को ढकने के लिए पॉलीथिलिन बैग का इस्तेमाल न करें, सिर को कैप या तौलिये से ढकें और चेहरे को रुमाल, साफ कपड़े या मास्क से ढकें।
-स्प्रे का घोल तैयार करने से पहले कंटेनर के ऊपर लगे लेबल को पढ़ लें। उसमें घोल तैयार करने का तरीका लिखा होता है।
-सांद्रित कीटनाशक को खोलते समय विशेष ध्यान रखें कि वो आपके हाथ पर न गिरे।
-स्प्रेयर टैंक को कभी न सूंघें।
-स्प्रेयर टैंक को भरते समय ध्यान रखें कि कीटनाशक जमीन पर न फैले।
-स्प्रेयर तैयार करते समय कुछ खाएं, पिएं, चबाएं या नशा न करें।
उपकरण
-लीक करने वाला या कहीं से भी डिफेक्टिव उपकरण को स्प्रे करने के लिए न लें
-नोजल सही होनी चाहिए
-कभी भी नोजल को मुंह से फूंक कर साफ नहीं करना चाहिए। इसके लिए स्प्रे से बंधे पुराने टूथब्रश का उपयोग करें और पानी से साफ करें।
-घासफूस नाशक और कीटनाशक को कभी भी एक स्प्रेयर से स्प्रे न करें
-खाली कीटनाशक कंटेनर को किसी भी दूसरे काम में इस्तेमाल न करें
छिड़काव करते समय ध्यान दें
-कृषि वैज्ञानिक द्वारा बताई गई या कीटनाशक के कंटेनर पर लिखी मात्रा में ही में छिड़काव करें।
-बहुत गर्म दिन में या जिस दिन तेज हवा चल रही हो कीटनाशक का छिड़काव न करें।
-हमेशा हवा के 90 डिग्री कोण पर छिड़काव करें।
-जब बारिश होने वाली हो तब या बारिश होने के तुरंत बाद छिड़काव न करें।
-हवा के बहाव की विपरीत दिशा में छिड़काव न करें।
-नोजल की ऊंचाई करीब डेढ़ फुट रखें व इधर उधर न घुमाएं
-कीटनाशक का घोल बनाने के लिए जिस कंटेनर या बाल्टी का इस्तेमाल करें उसे दोबारा कभी किसी घरेलू काम में उपयोग में न लाएं।


                           


-कीटनाशक के छिड़काव के बाद जानवरों या किसी भी व्यक्ति को खेत में न जाने दें।
-कभी भी खाली पेट छिड़काव न करें।
-कीटनाशक तैयार करते वक्त शरीर को जिस तरह ढका था उसी तरह इसका छिड़काव करते भी ढक लें।
-छिड़काव के बाद सारे कपड़े गर्म पानी में साबुन से धोएं और साबुन से नहा लें।
निपटान
-स्प्रे करने के बाद बचे हुए कीटनाशक को कभी भी किसी तालाब, कुएं आदि या किसी भी पानी के स्रोत में न बहाएं बल्कि कोशिश करें कि इसे ऐसी बंजर जमीन पर फेंकें किसी की का आना - जाना न हो।
-खाली कंटेनर को किसी पत्थर से तोड़कर उसे पानी से दूर कहीं जमीन में गहरा गड्ढा खोदकर दबा दें।


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