उर्वरक के नाम पर हर वर्ष ६ लाख करोड़ की लूट

अपनाना होगा स्वदेशी कृषि पद्धति
ऐसा कहा जाता है की रासायनिक खाद यूरिया डीएपी पोटाश सल्फेट इत्यादि डालने से उत्पादन अच्छा होता है इसलिए किसान की मजबूरी है जबकि यह सफेद झूठ है और यह सफेद झूठ हरित क्रांति के नाम पर देश पर थोपा गया !
आज स्थिति यह है की जमीन उर्वरक होने के बजाय बंजर होती जा रही है यह भयावह स्थिति दिन प्रतिदिन विकट होती जाएगी और किसान आत्महत्या करते रहेंगे
ऐसी स्थिति से निपटने का एकमात्र उपाय स्वदेशी कृषि पद्धति ही है अब इसमें इस बात पर ध्यान देना है की रासायनिक खाद से हम क्या नुकसान कर रहे हैं
पहले प्रति हेक्टेयर उपज लगभग ५० कुन्तल तक होती थी आज 15 कुन्तल तक होती है और खाद पहले की अपेक्षा अधिक डालना पड़ता है जैसे अगर पहले एक एकड़ में 1 बोरी यूरिया लगता था अब ३-४ बोरी लगता है क्यूँ की खेत के जीवाणु मर गए हैं
यूरिया एक तरह का जहर है इसे खेत में डालने से खेत के जरूरी जीवाणु मर जाते हैं जो की फसल को पोषण देते थे अब वही पोषण उस जहर से दिया जा रहा है आपको पता है की यूरिया डीएपी पोटाश जैसे रासायनिक खाद से हर वर्ष लगभग ६ लाख करोड़ की लूट होती है यह इतना बड़ा बाजार है (सरकारी आँकड़ा ) इसके उलट अगर आप गोबर की खाद डालेंगे तो
गोबर बहुत सारे तरह के जीवाणुओं का आहार है और जीवाणु फसल के लिए आहार है इस क्रम में यह खाद ज्यादा उपयोगी है जो पोषण आप जहर से दे रहे थे वही अब जीवाणु देंगे तो अनाज भी स्वस्थ रहेगा और शरीर भी ।
केचुआ एक जीव होता है इसको किसान मित्र कहा जाता था , अब वाले जैसे नहीं अब तो सरकार आदमियों को किसान मित्र बनाती है जो जहर की खेती के लिए प्रोत्साहित करते हैं लेकिन केचुआ ऐसा नहीं है वह सच में मित्र है उसका भोजन है गोबर जो की खाद के रूप में उसको खेत में मिलेगा
अब केचुआ करता क्या है तो यह जमीन के अंदर जाता है एक होल बनाते हुए और फिर बाहर निकलता है दूसरे होल से यही काम है इसका । यह काम केचुआ दिन में तीन चार बार करता है और अगर एक केचुआ एक साल जिंदा रह जाए तो ३६ मैट्रिक टन मिट्टी को उलट पलट कर देता है अपने जीवन में । केचवे का बनाया हुआ यह छेद पानी को तलहट तक पहुँचाता है ( वॉटर रीचार्जिंग ) ! इतना ही मिट्टी अगर आपको ट्रैक्टर से उलट पलट करना है तो लगभग ६००० का डीजल लगेगा !
अब आप सोचिए एक केचुआ ६००० बचा रहा है लाखों केचुआ रहेंगे कितना बचेगा बड़े बुजुर्ग कहते हैं रोटी मिट्टी और पान को उलट पलट करते रहना चाहिए नहीं तो खघ्राब हो जाते हैं और आपका यह काम री में हो रहा है लेकिन आप यूरिया डालकर केचुआ मार देते हैं जिससे जमीन पत्थर जैसी कड़क हो जा रही है
अगर अपने खेत में केचुआ खघ्त्म कर चुके हैं आप तो दुबारा से पलिए और उसके लिए कुछ नहीं करना है कहीं से केचुआ खोदकर एक जगह गोबर में छोड़ दीजिए एक केचुआ लगभग ५०००० बच्चे पैदा करता है मरने से पहले उनको खेत में डालिए वह बढ़ते जाएँगे और आपका काम री में करेंगे ।
केचुआ आपकी जमीन को खोदेगा जो जमीन उर्वरक क्षमता खो चुकी है वह जीवित हो जाएगी जो बंजर (पानी न सोखने वाली ) हो गई है वह छोटे छोटे छेद जो केचवे ने बनाए हैं उससे पानी सोखेगी और आपका खेत अमृत की तरह अनाज पैदा करेगा
उपज की चिंता आप हमारे ऊपर छोड़ दीजिए खाद बनाने के तरीकघ्े आपको दे चुका हूँ उसका उपयोग कीजिए और गोबर ज्यादा बच रहा है तो काम्पोस्ट बनाइए उसकी विधि भी लिख देता हूँ जल्द से जल्द वापसी कीजिए समय कम है कहीं सब कुछ हाथ से निकल न जाए ।


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ब्राह्मण वंशावली

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा