यह काला अंगूर नहीं, काला टमाटर है

 


           


किसान भाइयों, टमाटर प्रायः लाल रंग का होता है. टमाटर भारत की सर्वप्रिय सब्जी है. इसके अधिक सेवन करने वालों को कभी कभी पथरी हो जाया करती है. इसलिए अधिक टमाटर सेवन करने वालों को समुचित मात्रा में पानी पीना चाहिए. लेकिन आज हम जिस टमाटर की जानकारी आपको देने जा रहे है वह लाल टमाटर नहीं बल्कि काला टमाटर है. अपने विशेष काले रंग के कारण यह काफी पसंद किया जा रहा है. इसे इंडिगो रोज टोमैटो खा जाता है. पहली बार इसे लन्दन में बिक्री के समय देखा गया था. काले टमाटर को इंडिगो रोज रेड और बैंगनी टमाटर के बीजों के मेल से बनाया गया है. यूरोप में इसे सुपर फूड भी खा जाता है क्योंकि यह कई बीमारियों से लड़ने में सक्षम है. इसके बारे में दावा किया जाता है यह टमाटर कैंसर, मधुमेह, कोलेस्ट्राल, ब्लड प्रेशर, लीवर की बीमारी जैसे तमाम बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखता है. यह आँख की रोशनी भी बढाता है. काला टमाटर त्वचा के लिए भी अच्छा माना जाता है. यह कच्चा खाने में न तो खट्टा होता है ना ही मीठा बल्कि इसका स्वाद कुछ नमकीन होता है.यह टमाटर देखने में काला लेकिन काटने पर अन्दर से लाल रंग का होता है . इस टमाटर की खास बात यह है कि यह नए टमाटर के फल के रूप में शुरू होता है, लेकिन बाद में काले रंग में बदल जाता है. इसे पकाकर खाया जाता है. पकाने का तरीका यह है कि जब यह पानी में पूरी तरह से उबल जाए और इसका गूदा अलग हो जाए तो इसे खाया जा सकता है. इसकी ग्रेवी भी बनाई जाती है. इसके बीज ऑनलाइन मिल जाते है. एक पैकेट में लगभर 130 बीज होते है. एक पैकेट की कीमत 110 रूपये होती है. यह बहुत ठन्डे स्थानों पर विकसित नही हो पाती, इसके लिए गर्म क्षेत्र ज्यादा उपयुक्त होते है. लाल टमाटर की अपेक्षा काले टमाटर के पैदावार की गति धीमी होती है. जाड़े के जनवरी माह में पौध की बुवाई की जाती है. मार्च अप्रैल में काले टमाटर मिलने लगते हैं भारत मंउ बागवानी के कई शौकीनों ने इस काले टमाटर को अपने घर के किचेन गार्डेन में लगाया है और इसे खाने का लुत्फ उठा रहे है


                     


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