जानिये मृत्यु को

आत्मा अनन्त में विलीन जब होती मित्र,
कोई उसे कहे मृत्यु, कोई स्वर्गवास है।
देह से अदृष्यता में आत्मा को लाती मृत्यु,
होती माया लुप्त, वहां सत्य का प्रकाष है।।


सीमित चैतन्यता, असीम में विलय है मृत्यु,
विष्व से विराट बन मोक्ष का प्रयास है।
मृत्यु एक यात्रा है, परमात्मा की ओर,
जहाँ पे हिरण्य गर्भ ज्ञान का प्रकाष है।।
जीवन यात्रा की पूर्णता कहाती मत्यु,
होता अस्थि चर्मयुक्त देह का विनाष है।


मृत्यु ज्ञान ,विद्या अदृष्य की ओर गमन है।
आत्मा का परमात्मा में यह महा मिलन है।।
मृत्यु समापन नहीं जीव का, महा विलय है।
हो अनन्त में लीन जीव होता निर्भय है।।
आदि अन्त औ मध्य काल की सीमायें मिट जातीं।
कालातीत, मृत्यु जीव को ईष्वर से मिलवाती ।।


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