धान की फसल में कीट प्रबंधन

इस समय धान की फसल की बढ़वार अच्छी चल रही है, अगेती प्रजातियो में बालियां निकल रही हैं ।बर्षा इस समय नहीं हो रही है। सिचाई की बैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। इस समय किसान भाई विशेष कर धान की फसल पर ध्यान दें । वैज्ञानिको  के अनुसार  धान की फसल में कुछ कीटो के प्रकोप होने की ज्यादा संभावना बनी रहती है ।धान की फसल को दो प्रकार के फुदके -भूरे रंग एवं सफेद रंग के नुकसान पहुंचाते हैं, इनमें भुरा फुदका ज्यादा हानिकारक है। इनकी शिशु एवं प्रौढ.दोनों पौधे के तनों से रस चुसकर फसल को हानि पहुंचाते हैं ,क्योंकि यह कीड़े पौधों के तनों पर रहते हैं इसलिए पत्तों पर नजर नहीं आते। इन की निगरानी ना की जाए तो इस के प्रकोप का पता तभी लगता है, जब फसल सूखने लगती है, अधिक प्रकोप की अवस्था में खेत मे सुखी फसल के गोलाकार क्षेत्र नजर आते हैं । जिंहें हापर बर्न के नाम से जाना जाता है। इनकी रोकथाम के लिए नत्रजन उर्वरक का अत्यधिक प्रयोग ना करें तथा उर्वरक की मात्रा संतुलित ही दे। खेतों को लगातार पानी से भर कर ना रखें। दोबारा सिंचाई तभी करें जब पानी सूखने लगे। प्रकाश प्रपंच के प्रयोग से कीडो की गतिविधियो पर नजर रखे। मकडिघ्या तथा मिरिड वग से इन कीड़ों की प्रभावी नियंत्रण होती है। इसलिए इन्हे कीटनाशियों के दुष्प्रभाव से बचाएं। आवश्यकतानुसार जब 8 फुदके प्रति पौधा दिखाई दे तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल 1 मिलीलीटर को 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें ।प्रति हेक्टेयर के लिए 300 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड की आवश्यकता होती है ।जिस धान की फसल में बालियां निकल रही है उस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ,वालिया निकलते समय विशेष करके गंधी बग कीट का प्रकोप होता है ।
यह कीट खेत में बदबू फैलाता है, अतः इसका नाम गंधी वग पड़ा है। प्रौढ. एवं शिशु दोनों ही दूधिया अवस्था में दानों से रस चूस कर उन्हें खाली कर देते हैं। तथा दाने पर काले दाग बन जाते हैं। दूर से ही बालियां चमकीली दिखाई देती है, उनके प्रबंधन के लिए 1  वर्ग  प्रति पौधा दिखाई दे तो प्रबंधन करना आवश्यक हो जाता है। इलाके में धान की फसल लगभग एक समय पर लगाएं ।सावन खास को निकाल कर नष्ट कर दे।जो कि इसका वैकल्पिक भोजन होता है ।प्रकाश प्रपंच का प्रयोग करें। आर्थिकक्षति स्तर पर मैलाथियान धूल 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें या डीडीवीपी 76 ईसी व1.5 मिलीलीटर या क्यूनालफाँस
25 ईसी2 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर के छिड़काव करें.वालियो के प्रारम्भ मे 1मीटर खेत के चारो तरफ मैलाथियान का भुरकाव कर दिया जाय तो गंधी वगके हानि से बचा जा सकता है।
कार्यक्रम समन्वयककृषि विज्ञान केन्द्र पाँती अम्बेडकर नगर


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