जीरो टिल से धान की सीधी बुआई-

उत्तर प्रदेश  में खरीफ की मुख्य फसल है धान ! लेकिन धान रोपाई में नर्सरी डालने से लेकर और रोपाई तक कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और सबसे बड़ी समस्या होती है धान की रोपाई करने बाले मजदूरों की , यदि जीरो टिल मशीन से धान बुआई सीधी बुआई उचित नमी पर यथा सम्भव खेत की कम जुताई करके अथवा बिना जोते हुए खेतों में आवश्यकतानुसार गैर चयनात्मक खरपतवारनाशी का प्रयोग करके की जाय तो लागत में कमी आयेगी तथा समय भी बचेगा । इस तकनीक से रोपाई एवं लेव की जुताई की लागत में बचत होती है एवं फसल समय से तैयार हो जाती है, जिससे अगली फसल की बुआई उचित समय से करके पूरे फसल प्रणाली की उत्पादकता बढ़ाने में मदद् मिलती है। धान की बुआई मानसून आने के पूर्व अवयष्य कर लेनी चाहिये। जिससे फसल में बाद में अधिक नमी या जल भराव धान के पौधे खराब न हो। और सबसे अच्छी बात यह है कि इस मशीन पर सरकार  द्धारा  क्षमता और लघु, सीमान्त एवं महिला कृषकों के लिए रुपये 17000 से लेकर रुपये 28000 तक अनुदान है। जीरो टिल से धान की बुआई करते समय निम्न बातों पर विषेश ध्यान देना चाहिये :-


                           



जीरो टिल मशीन से बुआई करते समय सावधनी
*धान की बुआई करने से पहले जीरो टिल मशीन का संशोधन (Caliberation) कर लेना चाहिए, जिससे बीज (20-25 किग्रा0 प्रति हे0) एवं उर्वरक निर्धारित मात्रा (120 किग्रा0 डी0ए0पी0) एवं गहराई (3-4 सेमी0) में ही पड़े। ज्यादा गहरा होने पर अंकुरण तथा कल्लों की संख्या कम होगी इससे धान की पैदावार में कमी आ जाएगी।



*बुआई के समय, ड्रिल की नली पर विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इसके रूकने पर बुआई ठीक प्रकार नहीं हो पाती, जिससे कम पौधे उगेंगे और उपज कम हो जायेगी। यूरिया और म्यूरेट आफ पोटाश उर्वरकों का प्रयोग मशीन के खाद बक्से में नहीं रखना चाहिए। इन उर्वरकों का प्रयोग ड्रेसिंग के रूप में धान पौधों के स्थापित होने के बाद सिंचाई के उपरान्त करना चाहिए।


*बुआई करते समय पाटा लगाने की आवश्यकता नहीं होती अतः मशीन के पीछे पाटा नहीं बांधना चाहिए। धान की नर्सरी उगाने में होने वाला खर्च बच जाता है।
जीरो टिल मशीन धान बुआई के लाभ
*इस विधि में जीरो टिल मशीन  द्धारा  20-25 किग्रा0 बीज प्रति/हे0 बुआई के लिए पर्याप्त होता है।


*खेत को जल भराव कर लेव के लिए भारी वर्षा या सिंचाई जल की जरूरत नहीं पड़ती है। नम खेत में बुआई ू हो जाती है।

*धान की लेव और रोपनी का खर्च बच जाता है।


*समय से धान की खेती शुरू हो जाती है और समय से खेत खाली होने से रबी फसल की बुआई सामयिक हो जाती है जिससे उपज अधिक मिलती है।


*लेव करने से खराब हुई भूमि की भौतिक दशा के कारण रबी फसल की उपज घटने की परिस्थिति नहीं आती है। रबी फसल की भी उपज अच्छी मिलती है।


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