कोरिओपसिस ग्रैन्डीलोरा (आकर्षक फूलों वाला बहुवर्षीय पौधा)

उपोष्णदेशीय जलवायु के अन्तर्गत गर्मी के मौसम में बाग-बगीचे रंग-बिरेंगे फूलों के अभाव में फीके लगते हैं जिसके ठीक विपरीत सर्दी के मौसम में रंग-बिरंगे फूलों के अधिक मात्रा में उपलब्धता के कारण, विशेष रूप से एक वर्षीय फूलों के पौधे बाग-बगीचों को स्मणीय बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ जैव विविधता को बढ़ाकर रंग-बिरंगे फूलों वाले पेड़-पौधों के अभाव को कम करने की दिशा में निरन्तर प्रयत्नशील हैं और अभी हाल में कोरिओपसिस ग्रैन्डीलोरा जो एक आकर्षक फूलों वाला बहुवर्षीय शाकीय पौधा है, को पोलिश एकेडमी आफ साइंसेस, वारसा, पोलैण्ड के वनस्पति उद्यान से लाकर इस संस्थान के वनस्पति उद्यान में सफलतापूर्वक लगाया गया है। यह लखनऊ की जलवायु में पिछले कई वर्षों से सुगमतापूर्वक उगाया जा रहा है। यह पौधा गर्मियों में अप्रैल-जून के महीनों में फूलों से भर जाता है और बाग-बगीचों की सुन्दरता में रंग विखेरता है। इसकी एक और प्रजाति कोरिओपसिस टिंकटोरियस जिसको आमतौर से टिकसीड प्लान्अ के नाम से जाना जाता है, एक वर्षीय शाकीय पौधा है जो लम्बे समय से सर्दी के मौसम में क्यारियों अथवा शाकीय पट्टियों (हरबेशियस बार्डर) की सुन्दरता बढ़ाने में उपयोग किया जाता रहा है।
प्रसारण-इस पौधे का प्रसारण आमतौर से बीज अथवा वानस्पतिक प्रवर्धन द्वारा जुलाई से सितम्बर माह में किया जाता है। बीजों को पौधशाला में अच्छी तरह बनाई गई क्यारियों या मिट्टी की थालियों में बलुई दोमट मिट्टी तथा छनी हुई खाद से बनाये गए 1ः1 के मिश्रण में बोना चाहिए। बीजों को छितरा कर बोने के बाद पत्ती की खाद की पतली तह से ढक देना चाहिए। बीजों को बोने के तुरन्त बाद हजारे की महीन फुहार से सींचना चाहिए जिससे बोए गए बीज पानी से बिखरने न पायें। जब पौधे 10-15 सेमी0 के हो जायें तब पौधों को 10 सेमी0 के मिट्टी के गमलों में और बाद में 25 सेमी0 के गमलों में या क्यारियों में रोप देना चहिए। वानस्पतिक प्रसारण करने के लिए गत वर्षों के पौधों के पुंजों को जुलाई-सितम्बर माह में गमलों अथवा क्यारियों से निकालकर इस प्रकार विभाजित करना चाहिए जिससे हर भाग में जड़ का कुछ भाग अवश्य रहे। ऐसे विभाजित पौधों को 15 से0मी0 के गमलें में रोपना चाहिए। जब पौधे वृद्धि करने लगें तब उनसे फूल लेने के लिए 25 से0मी0 के गमलों या 45×30 से0मी0 की दूरी पर क्यारियों में लगाना चाहिए।
शस्य क्रियायें-इस पौधे को उपोष्णदेशीय जलवायु में ऐसे स्थानों पर लगाना चाहिए जहॉ आंशिक रूप से धूप आती हो। इसकी वृद्धि के लिए दोमट या बलुई दोमट भूमि, जिसमें पानी की अच्छी निकासी हो, अच्छी रहती है। इसको लगाने के लिए आवश्यकतानुसार क्यारियों का आकार-प्रकार तथा उनके बीच में घास की पट्टियां बनानी चाहिए। क्यारियों में 5 किग्रा0 प्रति वर्ग मी0 की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद तथा 50 ग्रा0 प्रति वर्ग मी0 की दर से डाई अमोनियम फास्फेट और म्यूरेट ऑफ पोटाश पौधे रोपने के 15 दिन पूर्व मिला देना चाहिए। इससे पौधों की बढ़वार अच्छी होती है तथा उत्तम गुण वाले फूल प्राप्त होते हैं।
गमलों में लगाने के लिए बलुई दोमट मिट्टी, पत्ती की खाद तथा सड़ी हुई गोबर की खाद को 3ः2ः1 के अनुपात में मिलाकर मिश्रण बनाना चाहिए। इस मिश्रण को गमलों में भरने के बाद प्रति गमले में 5 ग्रा0 डाइअमोनियम फास्फेट तथा म्यूरेट आफ पोटाश पौधे लगाने के पहले मिला देना चाहिए।
सिंचाई -इस पौधे की सिंचाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए हल्की सिंचाई करनी चाहिए। पेड़ों की अधिक सिंचाई करने से पौधों में सड़न हो जाती है जिससे पौधे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तथा क्यारियों की शोभा खराब हो जाती है।
कीट तथा बीमारियॉ- इस पौधे को माहू कीट से काफी हानि होती है जो पत्तियों से रस चूसकर पौधों को सुखा देता है। ऐसी स्थिति में पौधों के बचाव के लिए 2 मिली0 ग्राम/ली0 की दर से मैलाथियान के घोल का छिड़काव करना चाहिए। माहू के अलावा पौधों की पत्तियों पर धब्बे पड़ जाते हैं जिसकी रोकथाम के लिए पौधों पर मैंकोजेब के 0.25 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए। पौधों के तने तथा जड़ों की सड़न रोकने के लिए हल्की सिंचाई करें यदि फिर भी पौधे रोग ग्रस्त हो जायें तो ऐसी परिस्थिति में पौधों को तुरन्त निकाल दें जिससे अन्य स्वस्थ पौधों में रोग न लगें।
आज कोरिओपसिस ग्रैन्डीलोरा पुष्प प्रेमियों की दृष्टि में एक लोकप्रिय पौधा है जिसकी मांग गुणवत्ता के आधार पर निरन्तर बढ़ रही है। इसके कटे हुए पुष्प लम्बे समय तक ताजा स्थिति में बने रहने के कारण आन्तरिक पुष्प सज्जा के लिए प्रयोग किये जा सकते हैं। अब गर्मी के मौसम में उपोष्णदेशीय जलवायु वाले स्थानों में बाग-बगीचों की सुन्दरता को इस पौधे के उपयोग द्वारा सजाया संवारा जा सकता है।


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