कृषि स्नातकों के लिए रोजगार का अवसर एग्रीजंक्षन योजना


1.भूमिका-भारत एवं उ0प्र0 एक कृषि एवं कृषक प्रधान देश एवं प्रदेश है। यहाँ समृद्धि एवं खुशहाली किसानों के खेतो-खलिहानों से होकर आती है। इसलिए किसानों को सघन एवं जैविक खेती तथा कृषि निवेशों के तकनीकी जानकारी एवं उनके प्रयोग/कौशल की समझ होनी चाहिए जिससे उद्यमी एवं प्रदेश का बहुँमुखी सम्यक विकास हो सके। इस विकास यात्रा में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। किसानों के हित लाभ के लिए कृषि में प्रशिखित युवाओं की सेवाओं का उपयोग करने के उद्देश्य से किसानों को उनके फसल उत्पादों के लिए कृषि एग्रीजंक्शन के बैनर तले समस्त सुविधायें ''वन स्टाप शाप'' के माध्यम से उपलब्ध कराये जाने की योजना वित्तीय वर्ष 2016-17 की कार्ययोजना कृषि विभाग उत्तर प्रदेश, सरकार द्वारा उक्त योजना हेतु प्राविधानित सम्पूर्ण धनराशि रु0 70,500 हजार की वित्तीय स्वीकृति जारी की गयी है।
2.रुपरेखा
इस महत्वपूर्ण योजना का नाम है- प्रशिक्षित कृषि उद्यमी स्वावलम्बन योजनातथा एग्रीजंक्शन प्रशिक्षित कृषि उद्यमी स्वावलम्बन योजना का आदर्श वाक्य है ''तत्परिवर्तन भव''।
1.किसानों के हितलाभ के लिए कृषि में प्रशिक्षित युवाओं की सेवाओं उपयोग करने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को उनके फसल उत्पादों के लिए कृषि केन्द्र (एग्री जंक्शन) के बैनर तले समस्त सुविधायें ''वन स्टाप शॉप'' के माध्यम से कृषि स्नातकों द्वारा उपलब्ध कराये जाने का प्रस्ताव।
यह कृषि केन्द्र निम्नवत् सेवाओं को एक छत के नीचे उपलब्ध कराये जाने की सुविधा निम्नानुसार प्रदान करती है।
2.मृदा परीक्षण सुविधा तथा उर्वरक उपयोग हेतु संस्तुतियां।
3.उच्च गुणवत्ता के बीज, उर्वरक, जैव उर्वरक, माइक्रोन्यूट्रियन्ट्स, वर्मी कम्पोस्ट, कीटनाशक तथा जैव कीटनाशकों सहित समस्त कृषि निवेशों की आपूर्ति।
4.लघु कृषि-यंत्रों को किराये पर उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था।
5.प्रसार सेवायें तथा कृषि प्रक्षेत्र निर्देशन।
उक्त के अतिरिक्त कृषि केन्द्रों कृषि उपकरणों की मरम्मत तथा अनुरक्षण पशु आहार, कृषि उत्पादों एवं प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों का विक्रय, मौसम/विपणन व अन्य सम्बन्धित सूचनाओं के लिए सूचना विज्ञान नियोजन की स्थापना कराया जायेगा।
3. कृषि प्रशिक्षित उद्यमियों के लिए सुविधायें
1.कृषि व्यवसायं गतिविधियों के लिए लाइसेन्स प्राप्त करने में सहायता तथा लाइसेन्स फीस के व्यय की प्रतिपूर्ति।
2.इस उद्देश्य के लिए बैंकों से ऋण प्राप्त करने में सहायता तथा 05 प्रतिशत की दर से ब्याज अनुदान की व्यवस्था। यह अनुदान बैंक की बैंक इन्डेड सब्सिडी के रूप में रखा जायेगा तथा वर्ष की समाप्ति पर ऋणी के खाते में क्रेडिट कर दिया जायेगा।
3.एक वर्ष तक के लिए परिसर के किराये के 50 प्रतिशत की धनराशि जो रुपया 1000/- से अधिक न हो।
4.स्वतन्त्र कृषि केन्द्र व्यवसायं की स्थापना हेतु कृषि व्यवसायियों को प्रशिक्षण प्रदान कराना।
5.लघु कृषि यंत्रों को अनुदानित दर पर किराये पर उपलब्ध कराना।
प्रदेश की सभी विकास खण्डों एवं तह़सील मुख्यालयों पर स्थापित ''वन स्टाप शाप्स'' पर किसान गुणवत्ता, कृषि निवेश एवं कृषि प्रक्षेत्र निर्देशन प्राप्त कर सकेंगे। इसी के साथ युवा कृषि स्नातक स्वयं स्वरोजगार के लिए सक्षम होंगे। वित्तीय वर्ष 2016-17 में 1000 कृषि केन्द्र एवं अन्य ऐसे ही केन्दों को संचालित किए जाने की योजना है।
यह योजना नाबार्ड के परामर्श एवं प्रदेश में कार्यरत सहकारी बैंक/भूमि विकास बैंक/अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के माध्यम से क्रियाशील की जायेगी।
4. योजना का कार्यक्षेत्र
प्रदेश के समस्त 821 विकास खण्ड़ों में योजना संचालित की जायेगी।
इस योजना के अन्तर्गत में मुख्य-मुख्य बातें निम्नवत है।
5. पात्रता
उत्तर प्रदेश में निवास करने वाले कृषि स्नातक/कृषि व्यवसायं प्रबन्धन स्नातक/स्नातक जो कृषि एवं सहबद्ध विषयों यथा-उद्यान, पशुपालन, वानिकी, दुग्ध, पशुचिकित्सा, मुर्गी पालन एवं इसी तरह की गतिविधियां जो किसी राज्य/केन्द्रीय विश्वविद्यालय या किसी अन्य विश्वविद्यालयों जो आई0सी0ए0 आर0/यू0जी0सी0 द्वारा मान्यता हों, पात्र होंगे।
इसके अतिरिक्त उपरोक्त के अनुपलब्ध होने पर अनुभव प्राप्त डिप्लोमाधारी/कृषि विषय में इन्टरमीडिएट योग्य प्रार्थी पर विचार किया जायेगा।
आयु - 40 वर्ष से अनधिक तथा अनुसूचित जाति/जनजाति/महिलाओं को 05 वर्ष की छूट अधिकतम्। पात्र अभ्यर्थियों में जिनकी जन्मतिथि पहले हो उन्हें वरीयता दी जायेगी।
योजना लागत - रु0 4.00 लाख (अधिकतम्)
ऋण सीमा - रु0 3.50 लाख
प्रतिपूर्ति राशि - रु0 0.50 लाख (योजना लागत का 12.50 प्रतिशत) ऋणी आवेदक द्वारा अभिदान किया जायेगा।
6. अनुदान व्यवस्था
प्रदेश में समस्त 821 विकास खण्डों में वर्ष 2016-17 में कुल 1000 कृषि उद्यमिता केन्द्रों की स्थापना की जायेगी, जिसमें राज्य सरकार द्वारा अधिकतम् रुपयें 7,05,00 हजार की सहायता निम्नानुसार की जायेगी-
1-ऋण सीमा की धनराशि रुपये 3.50 लाख के ब्याज पर अनुदान प्रति केन्द्र (बैंक की वर्तमान ब्याज दर 12 प्रतिशत में से 05 प्रतिशत अगिम्र ब्याज अनुदान की धनराशि 03 वर्ष के प्रस्तावित कार्य हेतु) रुपये 17500/-प्रतिवर्ष 52.50
2-परिसर किराया 50 प्रतिशत प्रति माह अधिकतम् रुपये 12000/- किराया। (रु0 1000/- प्रतिमाह केवल प्रथम वर्ष के लिए)
3-निवेशों पर निर्गत किए जाने वाले लाइसेन्स शुल्क की प्रतिपूर्ति रु0 3000/- (अधिकतम) 3.00
4-अन्य व्यय एवं 10 दिवसीय प्रशिक्षण के आयोजन पर व्यय 3.00
योग 70.50
कुल धनराशि ;(रुपये सात करोड़ पाँच लाख मात्र)
यह योजना एवं व्यवस्था प्रदेश के सभी 75 जनपदों, 821 विकास खण्डों में, 1000 उद्यमिता केन्दों की स्थापना की जा रही है। जिसके लिए ब्याज पर अनुदान प्रति केन्द्र रु0 42000/-, प्रति स्थापना केन्द्र के पर अनुदान प्रति उद्यमी केन्द्र रु0 12000/- केवल एक वर्ष के लिए एवं बीज, उर्वरक, कीटनाशी, रसायन के लाइसेस के लिए रु0 3000/- केवल प्रथम वर्ष हेतु तथा 10 दिवसीय प्रशिक्षण तथा अन्य व्यय रु0 3000/- प्रति एग्रीजंक्शन केन्द्र हेतु प्राविधानित है।
प्रशिक्षित उद्यमी कृषि निवेशों की आपूर्ति एवं अन्य क्रिया कलापों के लिए अनुमन्य अनुदान प्राप्त करने हेतु मान्य होंगे।
वितरण - प्रशिक्षण अवधि पूर्ण करने के उपरान्त
लाक इन पीरियड - 36 माह
सुविधायें - सावधि ऋण या नगद क्रेडिट ऋण की सीमा तक।
ब्याज दर- ब्याज दर बैंक के बेस दर के निकट रखी जायेगी। योजना का उद्देश्य
क्रेडिट निवेश दर को बढ़ावा देकर उत्तर प्रदेश में कृषि पूंजह सृजित करना, ताकि ''वन स्टाप शाप''के सृजन से कृषकों को लाभान्वित किया जा सके।
डाक्यूमेन्टशन- बैंक में लागू डायरेक्ट एग्री सिग्मेन्ट अग्रिम के अनुसार।
प्रतिभूति - रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के पत्रांक- आर0बी0आई0/2009-10/449 त्च्ब्क्ण्ैडम् - छथ्ैण्ठब्ण् 79/06.02.31/2009-10 दिनांक 06.05.2010 द्वारा माइको सूक्ष्म एवं लघु व्यवसायों को प्रतिभूति मुक्त घोषित किया गया है।
पुर्नभुगतान- 03 माह मोरैटोरियम अवधि को सम्मिलित करते हुए 36 से 60 माह में।
7. प्रशिक्षण एण्ड हैंण्ड होल्डिंग
चयनित आवेदकों को व्यवसाय के निमित्त ऋण राशि के पूर्व राज्य कृषि प्रबन्ध विस्तार प्रशिक्षण संस्था (समेती, रहमानखेड़ा, लखनऊ)/आर-सेटीज के द्वारा कम से कम 10 दिन का ग्रामीण व्यवसाय विकास योजना (आर0ई0डी0पी0) का प्रशिक्षण प्रदान कराया जायेगा।
8. चयन प्रक्रिया
आवेदकों के नाम सरकारी/सहकारी क्षेत्र के बैंकों/भमि विकास बैंक द्वारा राज्य सरकार की जिला स्तरीय समिति द्वारा आवेदकों की प्रारम्भिक छटनी के उपरान्त प्रकाशित किया जायेगा। इस समिति में जिला मैजिस्ट्रेट/मुख्य विकास अधिकारी, उप कृषि निदेशक, एल0डी0एम0 एवं सचिव/मुख्य कार्यपालक अधिकारी, जिला सहकारी बैंक लि0 सदस्य होंगे। अन्य विभागों से सम्बन्धित प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जा सकता है।
जिला स्तर पर निम्न प्रकार समिति का गठन किया जायेगा :-
1. जिलाधिकारी/मुख्य विकास अधिकारी- अध्यक्ष
2. उप कृषि निदेशक - सदस्य/सचिव
3. एल0डी0एम0 एवं सचिव/मुख्य कार्य पालक अधिकारी-सदस्य
4. जिला सहकारी बैंक लिमिटेड- सदस्य
9. योजना का वित्त पोषण
यह राज्य सेक्टर की योजना होने के कारण पूर्णतया राज्य सरकार द्वारा वित्त घोषित।
10. परियोजना पूर्ण होने की अवधितीन वर्ष अधिकतम्।
11.योजना का क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण
योजना के क्रियान्वयन का पूर्ण उत्तरदायित्व जनपद स्तर पर जिला कृषि अधिकारी का होगा एवं इसका पर्यवेक्षण उप कृषि निदेशक करेंगे तथा मण्डल स्तर पर संयुक्त कृषि निदेशक इसके पर्यवेक्षण एवं क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने हेतु पूर्ण रूप से जिम्मेदार होंगे। उप सम्भागीय कृषि प्रसार  अधिकारी , क्षेत्रीय स्थल पर क्रियान्वयन सुनिश्चित करायेंगे। योजना के सफल संचालन हेतु राज्य स्तर पर अपर कृषि निदेशक (प्रसार) योजना के नियंत्रण अधिकारी होंगे। प्रगति रिपोर्ट प्रत्येक माह की 05 तारीख तक निदेशालय के प्रसार अनुभाग को जनपदीय उप कृषि निदेशक उपलब्ध करायेंगे।
12. विविध व्यय
प्रशिक्षित कृषि उद्यमी स्वावलम्बन योजना के विभिन्न कार्यमदों के सफलता पूर्वक क्रियान्वयन, उद्यमिता केन्द्र स्थापित कराने में आने वाली समस्याओं सम्बन्धी पत्रों का उत्तर एवं कार्यालय के व्ययों के वहन करने आदि के लिए समस्त जनपदीय अधिकारियों को रुपये 3000 हजार की धनराशि उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है। इसमें मुख्य रूप से 10 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं अन्य व्यय का वहन किया जायेगा। उक्त धनराशि योजना लागत की कुल धनराशि में सम्मिलित है।
13. उपसंहार
प्रदेश के युवाओं को कृषि में आकर्षित तथा इसमें बनाएं रखने के लिए 'एग्रीजंक्सन' उ0प्र0 सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना के सफल क्रियान्वयन से कृषि एवं प्रदेश का सर्वागीढ़ विकास हो सकेगा। इस प्रकार यह योजना प्रदेश के विकास में वरदान तथा मील का पत्थर सिद्ध होगा।


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