रंगों से पहचानें कीटनाशकों में जहर की मात्रा जहरीलापन

फसलों के कम पैदावार के कई कारणों में से कीट, बीमारियां एवं खर-पतवार प्रमुख हैं। इनके चलते हमारी फसलों को 20 से 30 तक नुक्शान पहुँचता है। अधिक उत्पादन लेने के लिएु बुवाई से पूर्व बीजोपचार तथा बुवाई के बाद कीट नियन्त्रण एवं समय-समय पर बीमारियों से बचाव तथा फसलों को खर-पतवार से बचाने के लिए विभिन्न रासायनिक दवाओं का प्रयोग करना किसानों की मजबूरी भी है और जरूरी भी क्योंकि फसल सुरक्षा के लिए बताये या अपनाये जा रहे बायो एजेंट न तो व्यवहारिक हैं और नही सर्व-सुलभ।
फसल सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले अधिकतर रसायन बहुत जहरीले होते हैं कुछ म्ध्यम श्रेणी के जहरीले और कुछ कम जहरीले भी होते हैं इन रसायनों की विषाणुता के अनुसार इनके प्रति सावधानी बरतना जरूरी है। आपके मन में शायद यह सवाल उठ रहा होगा कि प्रायः निरक्षर अथवा कम पढ़ा लिखा किसान इसकी पहचान कैसे करे ? लेकिन इन्हें पहचानना बहुत आसान है।
कीटनाशक के पैकेट के पीछे की तरफ अलग-अलग तरह के रंग छपे होते हैं। यह रंग कीटनाशक रसायन की तेजी के बारे में कई जानकारी देते हैं। इन रंगों से किसान यह पता लगा सकते हैं कि कीटनाशक कितना घातक है।
कीटनाशक की तीव्रता के लिए चार रंग चुने गए हैं, जिनके आधार पर इन्हें चार श्रोणियों में बांटा गया है। लाल निशान वाले कीटनाशी की अपेक्षा पीले रंग के निशान वाले कम और पीले रंग की अपेक्षा नीले रंग के निशान वाले कीटनाशी कम नुकसान पहुंचाते हैं तथा सबसे कम नुकसान हरे रंग के कीटनाशी से होता है।
लाल रंग-यह रंग जहर की तेजी नापने वाले स्केल पर सबसे तेज माना जाता है। जिस कीटनाशक पैकेट के पीछे लाल रंग हो वह सबसे तेज कीटनाशक रसायन की कैटेगरी में शामिल होता है। इस तेजी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस जहर की सिर्फ 1-50 मिली ग्राम मात्रा किसी जानवर को प्रति किलो वजन के हिसाब से देने की सलाह दी जाती है।
पीला रंग-यह रंग जहर की तेजी नापने वाले स्केल पर दूसरे स्तर का खतरा दर्शाते हैं। इसकी कितनी मात्रा का प्रयोग करना चाहिए पैकेट पर लिखा होता है।
नीला रंग-यह मध्यम तेजी को दर्शाने वाला रंग होता है।
हरा रंग-यह सबसे कम तेजी वाले कीटनाशक रसायन होता है। रसायन की तेजी वाले स्केल पर यह सबसे कम तेजी वाला कीटनाशक होते हैं। जितनी कीटनाशकों के प्रयोग की आवश्यकता होती है उतनी ही सावधानी बरतने की जरूरत होती है। यदि इनका सही से इस्तेमाल न किया गया तो यह मनुष्य एवं अन्य जीव-जंतुओं के लिए घातक हो सकते हैं। इसलिए इनका सावधानी पूर्वक इस्तेमाल करना चाहिए और उन पर लिखे निर्देशों का पालन करना चाहिए।
सावधानी से करें कीटनाशकों का इस्तेमाल
कीटों की अच्छी तरह पहचान कर लेनी चाहिए। यदि पहचान संभव न हो तो स्थानीय स्तर पर उपस्थित कीट वैज्ञानिक से कीट की पहचान कराकर ही कीटनाशक खरीदना चाहिए।
कीटनाशक का प्रयोग तभी करना चाहिए जब कीट की आर्थिक क्षति स्तर सीमा अधिक बढ़ गयी हो।
कीटनाशकों की विषाक्तता को प्रदर्शित करने के लिए कीटनाशकों के डिब्बों पर तिकोने आकार का हरा या नीला या पीला अथवा लाल रंग का निशान बना होता है। लाल निशान वालेकीटनाशी स्तनधारियों पर सबसे ज्यादा नुकसान करते हैं।
कीटनाशक खरीदते समय हमेशा उसके बनने की तिथि, उपयोग करने की अन्तिम तिथि देखना एवं बिल लेना न भूलें।
कीटनाशकों पर लगे लेवल तथा उसके साथ मिलने वाली विवरणिका में दिये निर्देशों को अवश्य पढना चाहिए तथा उसमें दी गई चेतावनी का पालन करना चाहिए।
कीटनाशकों का भण्डारण हमेशा साफ -सुथरी, हवादार और सूखे स्थान पर करना चाहिए।
यदि घोल बनाते समय हवा चल रही हो, तो हवा के खिलाफ मुंह करके नहीं खड़े होना चाहिए।
एक से अधिक कीटनाशकों को मिलाकर घोल नहीं बनाना चाहिए।


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्राह्मण वंशावली

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा