इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के!
हम लाये हैं तूफान से कश्ती निकाल के :-
प्राचीन काल में हमारा अत्यन्त ही गौरवशाली इतिहास था। हमारे देश के गौरवशाली इतिहास को किस प्रकार से विदेशी शक्तियों द्वारा कुचला तथा नष्ट किया गया। भारत ही विश्व का ऐसा देश है जिसने सबसे पहले जीवन ज्योत जलाई और ज्ञान की किरणें सारी धरती में फैलाई है। भारत ने सबसे पहले सारे विश्व को अध्यात्म, दर्शन, धर्म, योग, आयुर्वेद, संगीत, कला, न्याय, भाषा आदि का ज्ञान दिया। देश को अन्यायपूर्ण अंग्रेजी साम्राज्य की गुलामी से आजाद कराने में अपने प्राणों की बाजी लगाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान तथा त्याग का मूल्य किसी भी कीमत पर नहीं चुकाया जा सकता। इन सभी ने अपने युग की समस्या अर्थात 'भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए' अपने परिवार और सम्पत्ति के साथ ही अपने सुख-सुविधाओं आदि चीजों का त्याग किया था। आजादी के इन मतवाले शहीदों के त्याग एवं बलिदान से मिली आजादी को हमें सम्भाल कर रखना है। इन शहीदों के बलिदानी जीवन हमें सन्देश दे रहे हैं - हम लाये हैं तूफान से किश्ती निकाल के, इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के।
उदार चरित्र वालों के लिए पृथ्वी परिवार के समान :-
भारत एक महान देश है इसकी महानता इसके शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व में छुपी हुई है। आज सारा विश्व भारत की ओर बड़ी ही आशा की दृष्टि से देख रहा है। विश्वव्यापी समस्याओं के ठोस समाधान भारत जैसे देश के पास ही हैं। भारत की संस्कृति, सम्यता तथा संविधान दुनियाँ से अलग है। देश की आजादी के समय दो विचारधाराओं के बीच लड़ाई थी। एक ओर अंग्रेजों की संस्कृति भारत जैसे देशों पर शासन करके अपनी आमदनी बढ़ाने की थी। दूसरी ओर महात्मा गांधी जी जैसे ऐसे विचारशील लोग थे जो सारी दुनियाँ में 'उदारचरित्रानाम्तु वसुधैव कुटुम्बकम्' अर्थात उदार चरित्र वाले के लिए यह पृथ्वी एक परिवार के समान है, के विचारों को फैलाने में संलग्न थे। भारत की आज़ादी के लिए अनेक शूरवीरों ने हँसते-हँसते अपने प्राण त्याग दिये। इन शूरवीरों ने जो आवाज़ उठाई थी, वह महज़ अंग्रेजां के खिलाफ़ नहीं बल्कि मानवता के शोषण के विरुद्ध थी।
मानवता के लिए आवाज़ उठाना ही ऐसे शूरवीरों के लिए सच्ची श्रद्धांजली होगी। भारत जैसे विशाल देश को एकता एवं अखण्डता की बहुत जरुरत है। हमें आपसी मतभेद मिटाकर एकता के सूत्र में बंधना चाहिए इसी में सम्पूर्ण मानव जाति की भलाई छुपी है।
भारत पर सारे विश्व को बचाने का दायित्व :-
बलिदानी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के समक्ष अंग्रेजी दासता से देश को आजाद कराने की चुनौती थी। वर्तमान में विश्व की सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, भूख, बीमारी, हिंसा, तीसरे विश्व युद्ध की आशंका, 36,000 बमों का जखीरा, ग्लोबल वार्मिंग आदि समस्याओं के कारण आज विश्व के दो अरब बच्चों के साथ ही आगे आने वाली पीढ़ियों का भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा है। ऐसी विषम परिस्थितियों से विश्व मानवता को मुक्त कराने की चुनौती भारत जैसे महान देश के समक्ष है।
हमें सारे विश्व को एक करना है :-
महात्मा गांधी ने कहा था कि कोई-न-कोई दिन ऐसा जरूर आयेगा, जब जगत शांति की खोज करता-करता भारत में आयेगा और भारत समस्त संसार की ज्योति बनेगा। अब हिरोशिमा और नागासाकी जैसी दुखदायी घटनाएं दोहराई न जायें! भारत बचेगा तभी वह सारे विश्व को बचा सकेगा। भारत ही अपनी संस्कृति, सभ्यता तथा संविधान के अनुच्छेद 51 के बलबुते सारे विश्व को बचा सकता है। भारत को अपनी संस्कृति, सभ्यता तथा संविधान के आदर्श के अनुकूल सारे विश्व में शांति स्थापित करने के लिए विश्व संसद, विश्व सरकार तथा विश्व न्यायालय का शीघ्र गठन करने की अगुवाई पूरी दृढ़ता से करनी चाहिए। वह बाल एवं युवा पीढ़ी जो अपने जीवन के सबसे सुन्दर पलों को इस देश सहित विश्व के निर्माण में लगा रहे हैं वे हमारी ताकत, रोशनी, दृष्टि, ऊर्जा, धरोहर तथा उम्मीद हैं।