वृक्ष रक्षा-सृष्टि रक्षा

निम्बत्रयं समारोप्य नरो धर्म विचक्षणः।
सूर्यलोकं समासाद्य वसेदब्दायुतत्रयम्।।
जो  व्यक्ति विधिपूर्वक नीम का रोपण करता है वह सूर्यलोक(स्वर्ग) में बहुत काल तक निवास करता है। वृक्षायुर्वे नीमःलाखदुखों की एक दवा है ।



ठलः सद्घ्गुरु जग्गी वासुदेव

नीम में इतने गुण हैं कि ये कई तरह के रोगों के इलाज में काम आता है। यहाँ तक कि इसको भारत में 'गांव का दवाखाना' कहा जाता है। यह अपने औषधीय गुणों की वजह से आयुर्वेदिक मेडिसिन में पिछले चार हजार सालों से भी ज्यादा समय से इस्तेमाल हो रहा है। नीम को संस्कृत में 'अरिष्ट' भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है, 'श्रेष्ठ, पूर्ण और कभी खराब न होने वाला।'
नीम के अर्क में मधुमेह यानी डायबिटिज, बैक्टिरिया और वायरस से लड़ने के गुण पाए जाते हैं। नीम के तने, जड़, छाल और कच्चे फलों में शक्ति-वर्धक और मियादी रोगों से लड़ने का गुण भी पाया जाता है। इसकी छाल खासतौर पर मलेरिया और त्वचा संबंधी रोगों में बहुत उपयोगी होती है।
नीम के पत्ते में मौजूद बैक्टीरिया से लड़ने वाले गुण मुंहासे, छाले, खाज-खुजली, एक्जिमा वगैरह को दूर करने में मदद करते हैं। इसका अर्क मधुमेह, कैंसर, हृदयरोग, हर्पीस, एलर्जी, अल्सर, हिपेटाइटिस (पीलिया) वगैरह के इलाज में भी मदद करता है।
नीम के बारे में उपलब्ध प्राचीन ग्रंथों में इसके फल, बीज, तेल, पत्तों, जड़ और छिलके में बीमारियों से लड़ने के कई फायदेमंद गुण बताए गए हैं। प्राकृतिक चिकित्सा की भारतीय प्रणाली 'आयुर्वेद' के आधार-स्तंभ माने जाने वाले दो प्राचीन ग्रंथों 'चरक संहिता' और 'सुश्रुत संहिता' में इसके लाभकारी गुणों की चर्चा की गई है। इस पेड़ का हर भाग इतना लाभकारी है कि संस्कृत में इसको एक यथायोग्य नाम दिया गया है दृ “सर्व-रोग-निवारिणी” यानी 'सभी बीमारियों की दवा।' लाख दुखों की एक दवा है ।सद्गुरुः
“इस धरती की तमाम वनस्पतियों में से नीम ही ऐसी वनस्पति है, जो सूर्य के प्रतिबिम्ब की तरह है।”
इस पृथ्वी पर जीवन सूर्य की शक्ति से ही चलता है३..सूर्य की ऊर्जा से जन्मे तमाम जीवों में नीम ने ही उस ऊर्जा को सबसे ज्यादा ग्रहण किया है। इसीलिए इसे रोग-निवारक समझा जाता है दृ किसी भी बीमारी के लिए नीम रामबाण दवा है। नीम के एक पत्ते में 150 से ज्यादा रासयानिक रूप या प्रबंध होते हैं। इस धरती पर मिलने वाले पत्तों में सबसे जटिल नीम का पत्ता ही है। नीम की केमिस्ट्री सूर्य से उसके लगाव का ही नतीजा है।
नीम के पत्तों में जबरदस्त औषधीय गुण तो है ही, साथ ही इसमें प्राणिक शक्ति भी बहुत अधिक है। अमेरिका में आजकल नीम को चमत्कारी वृक्ष कहा जाता है। दुर्भाग्य से भारत में अभी लोग इसकी ओर नहीं दे हैं। अब वे नीम उगाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि नीम को अनगिनत तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर आपको  मानसिक बिमारी है, तो भारत में उसको दूर करने के लिए नीम के पत्तों से झाड़ा जाता है। अगर आपको दांत का दर्द है, तो इसकी दातून का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आपको कोई छूत की बीमारी है, तो नीम के पत्तों पर लिटाया जाता है, क्योंकि यह आपके सिस्टम को साफ कर के उसको ऊर्जा से भर देता है। 
बैक्टीरिया से लड़ता नीम



दुनिया बैक्टीरिया से भरी पड़ी है। हमारा शरीर बैक्टीरिया से भरा हुआ है। एक सामान्य आकार के शरीर में लगभग दस खरब कोशिकाएँ होती हैं और सौ खरब से भी ज्यादा बैक्टीरिया होते हैं। आप एक हैं, तो वे दस हैं। आपके भीतर इतने सारे जीव हैं कि आप कल्पना भी नहीं कर सकते। इनमें से ज्यादातर बैक्टीरिया हमारे लिए फायदेमंद होते हैं। इनके बिना हम जिंदा नहीं रह सकते, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं, जो हमारे लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। अगर आप नीम का सेवन करते हैं, तो वह हानिकारक बैक्टीरिया को आपकी आंतों में ही नष्ट कर देता है।
आपके शरीर के भीतर जरूरत से ज्यादा बैक्टीरिया नहीं होने चाहिए। अगर हानिकारक बैक्टीरिया की तादाद ज्यादा हो गई तो आप बुझे-बुझे से रहेंगे, क्योंकि आपकी बहुत-सी ऊर्जा उनसे निपटने में नष्ट हो जाएगी। नीम का तरह-तरह से इस्तेमाल करने से बैक्टीरिया के साथ निपटने में आपके शरीर की ऊर्जा खर्च नहीं होती।
आप नहाने से पहले अपने बदन पर नीम का लेप लगा कर कुछ वक्त तक सूखने दें, फिर उसको पानी से धो डालें। सिर्फ इतने से ही आपका बदन अच्छी तरह से साफ हो सकता है दृ आपके बदन पर के सारे बैक्टीरिया नष्ट हो जाएंगे। या फिर नीम के कुछ पत्तों को पानी में डाल कर रात भर छोड़ दें और फिर सुबह उस पानी से नहा लें।
एलर्जी के लिए नीम
नीम के पत्तों को पीस कर पेस्ट बना लें, उसकी छोटी-सी गोली बना कर सुबह-सुबह खाली पेट शहद में डुबा कर निगल लें। उसके एक घंटे बाद तक कुछ भी न खाएं, जिससे नीम ठीक तरह से आपके सिस्टम से गुजर सके। यह हर प्रकार की एलर्जी दृ त्वचा की, किसी भोजन से होनेवाली, या किसी और तरह की फायदा करता है।


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