सब्जियों की नर्सरी प्रबन्धन
आज के दौर में हम अपने थाली में सबसे अधिक सब्जियां पसन्द करते है और ज्यादतर घरों में कोई न कोई सब्जी उगाई है कुछ लोग किचन गार्डेन में तो गमलों में। ज्यादतर सब्जियों फसलें जैसे कि टमाटर, गोभी व प्याज जिनके बीज छोटे व पतले होते हैए उनकी स्वस्थ व उन्नत पौध तैयार कर लेना ही आधी फसल उगाने के बराबर होता है। स्वस्थ पौध तैयार करने के लिए पौधशाला के स्थान का चयन सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। इससे जुडी हुई अन्य बाते निम्नलिखित हैं:-
1-स्थान ऊंचाई पर होना चाहिए जहां से पानी का निकास उचित हो।
2-भूमि दुमट बलुई होनी चाहिए जिसका पीएच मान लगभग 6.5 हो।
3- स्थान पानी के स्रोत के समीप होना चाहिए।
4- स्थान खुले में होना चाहिए जहाँ सूर्य की पहली किरण पहुंचे।
5- स्थान देखरेख की दृष्टि से भी निकट होना चाहिए।
6- स्थान खेत के किनारे पर होना चाहिए ताकि कृषि कार्यों मे रुकावट न आए।
कैसे करें तैयारी
यदि भूमि का पहली बार उपयोग किया जा रहा है तो इसे फफूंद रहित करने के लिए इसका फारमेल्डिहाइड नामक रसायन से उपचार करना आवश्यक है, इसका 25 मिली से 1 लीटर पानी मे घोल बनाएं तथा पौधशाला के लिए चुने गए स्थान पर अच्छी तरह छिडकाव कर भिगोएँ , तत्पश्चात इस स्थान को पॉलिथीन चादर से अच्छी तरह ढँक दें लगभग एक सप्ताह पश्चात् पॉलिथीन चादर हटाकर इस जगह की अच्छी तरह 3 -4 बार जुताई व खुदाई कर खुला छोड़ दें जिससे रसायन का असर समाप्त हो जाए । इसके पश्चात् भूमि को अच्छी तरह भुरभुरा बनाएं तथा लगभग उपचार के 15 दिन पश्चात् बुवाई के लिए तैयार करें । यह उपचार कमरतोड़ तथा क्लेदगलन या डैपिंग ऑफ नामक बीमारी की रोकथाम में सहायता करेगा । क्यारी बनाते समय यह ध्यान रखे की प्रति 10 वर्ग मीटर के लिए लगभग 20 से 25 किग्रा सड़ी गली गोबर की खाद ट्राईकोडर्मा हाजिॅएनम के साथ 1रू50 के अनुपात में मिलाकर 200 ग्राण् सिंगल सुपर फास्फेट तथा 15 से 25 ग्राम इंडोफिल एम 45 नमक फफूंदनासक और कोई भी उपलब्ध धूल कीटनाशक मिलाएं ।
क्यारियाँ 15 .20 सेमी ऊँची उठी होनी चाहिए । इनकी चौड़ाई लगभग 1 मीटर तथा लम्बाई 3 मीटर होनी चाहिए जो कि सुविधा के अनुसार घटाई -बढाई जा सकती है ।
बीज का उपचार बुवाई से पहले 2 से 3 ग्राम बीज की दर से कैप्टनए थीरम बैवीस्टीन इत्यादि फफूंदनाशकों या ट्राईकोडर्मा हाजिॅएनम से करें जिससे डैपिंग ऑफ नामक बीमारी का प्रकोप कम होगा ।
बुवाई 5 सेंण्मी दूर पंक्तियाँ में 1 सेंण्मी गहराई पर करें तथा पतली मिटटी की परत से ढकें । क्यारियों को सूखी घास से ढँक दें तथा फव्वारे से हल्की सिंचाई करें ।
अंकुरण होने पर घास हटा दें तथा फव्वारे से हलकी सिंचाई से नमी बनायें रखें।
कीटों व कमरतोड़ रोग से बचाव के लिए 0.25 प्रतिशत इंडोफिल एम 45 या 2 ग्राम ट्राईकोडर्मा हाजिॅएनम प्रति लिटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें तथा 2 मिण् लिण् प्रति लिटर पानी के हिसाब से मेलाथीयोन या एण्डोसल्फान का छिडकाव समय.समय पर करते रहें
जब पौधे 8 - 10 सेंण्मी ऊँचे हो जायें तो 0.3 प्रतिशत यूरिया का छिडकाव करे, ताकि बढवार अच्छी हो ।
खरपतवार का नियंत्रण हल्की निराई दृ गुडाई से प्रति सप्ताह करें तथा अवांछनीय पौधे भी निकाल दें।
4 -6 सप्ताह आयु वाले पौधे 12-15 सेण्मी ऊँचे तथा रोपाई योग्य हो जाते हैं।
रोपाई से 3.4 दिन पूर्व सिंचाई रोक दें तथा उखाड़ने से एक घंटा पहले हलकी सिंचाई करें द्य ऐसा करने से जड़ें नहीं टूटँगीं ।
स्वस्थ पौध का रोपण सांयकाल में ही करें तथा हलकी सिंचाई करें।
एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पौध तैयार करने के लिए विभिन्न फसलों की बीज मात्रा व क्यारियों का आकार वर्ग मी निम्नवत होगा ।
फसल क्यारियां बीज की मात्रा ग्राम में प्रति क्यारी/ग्राम
टमाटर 10 35.40
बैंगन 15 35.40
शिमला मिर्च 12 115.120
मिर्च 12 125.150
फूल गोभी अगेती 10 60.70
मध्यम 10 40.50
पछेती 10 35.40
ब्रोंकली 10 50.60
बंदगोभी 10 50.60
चाइनीज गोभी 10 60.75
गांठ गोभी 20 50.60
प्याज 50 175.200