बनाएं सब्जी बगीचा


स्वच्छ जल के साथ रसोईघर एवं स्नानघर से निकले पानी का उपयोग कर घर के पिछवाड़े में उपयोगी साग-सब्जी उगाने की योजना बना सकते है. इससे एक तो एकित्रत अनुपयोगी जल का निष्पादन हो सकेगा और दूसरे उससे होने वाले प्रदूषण से भी मुक्ति मिल जाएगी. साथ ही, सीमित क्षेत्र में साग-सब्जी उगाने से घरेलू आवश्यकता की पूर्ति भी हो सकेगी. सबसे अहम बात यह कि सब्जी उत्पादन में रासायनिक पदार्थों का उपयोग करने की जरूरत भी नहीं होगी. यह एक सुरिक्षत पद्धति है तथा उत्पादित साग-सब्जी कीटनाशक दवाईयों से भी मुक्त होंगे।



खेत तैयार करना
सर्वप्रथम 30-40 सेंटीमीटर की गहराई तक कुदाली या हल की सहायता से जुताई करें. खेत से पत्थर, झाड़ियों एवं बेकार के खर-पतवार को हटा दें. खेत में अच्छे ढंग से निर्मित 100 किलोग्राम कृमि खाद चारों ओर फैला दें. आवश्यकता के अनुसार 45 सेंटीमीटर या 60 सेंमी की दूरी पर मेड़ या क्यारी बनाएं.।
बीज की बुआई, पौध रोपण
सीधे बुआई की जाने वाली सब्जी जैसे-भिंडी, बीन एवं लोबिया आदि की बुआई मेड़ या क्यारी बनाकर की जा सकती है. दो पौधे 30 सेंटीमी की दूरी पर लगाई जानी चाहिए. प्याज, पुदीना एवं धनिया को खेत के मेड़ पर उगाया जा सकता है. प्रतिरोपित फसल, जैसे-टमाटर, बैगन और मिर्ची आदि को एक महीना पूर्व में नर्सरी बेड या मटके में उगाया जा सकता है. बुआई के बाद मिट्टी से ढ़ककर उसके ऊपर 250 ग्राम नीम के फली का पाउडर बनाकर छिड़काव किया जाता है ताकि इसे चीटियों से बचाया जा सके. टमाटर के लिए 30 दिनों की बुआई के बाद तथा बैगन, मिर्ची तथा बड़ी प्याज के लिए 40-45 दिनों के बाद पौधे को नर्सरी से निकाल दिया जाता है.
 टमाटर, बैगन और मिर्ची को 30-45 सेंमी की दूरी पर मेड़ या उससे सटाकर रोपाई की जाती है. बड़ी प्याज के लिए मेड़ के दोनों ओर 10 सेंटीमी की जगह छोड़ी जाती है. रोपण के तीसरे दिन पौधों की सिंचाई की जाती है. प्रारंभिक अवस्था में इस प्रतिरोपण को दो दिनों में एक दिन बाद पानी दिया जाए तथा बाद में चार दिनों के बाद पानी दिया जाए. सब्जी बगीचा का मुख्य उद्देश्य अधिकतम लाभ प्राप्त करना है तथा वर्षभर घरेलू साग-सब्जी की आवश्यकता की पूर्ति करना है. कुछ पद्धतियों को अपनाते हुए इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.बगीचा के एक छोर पर बारहमासी पौधों को उगाएं. इससे इनकी छाया अन्य फसलों पर न पड़े तथा अन्य साग-सब्जी फसलों को पोषण दे सकें.बगीचा के चारों ओर तथा आने-जाने के रास्ते का उपयोग विभिन्न अल्पाविध हरी साग-सब्जी जैसे - धनिया, पालक, मेथी, पुदीना आदि उगाने के लिए किया जा सकता है.।


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