बिना सिंचाई के गेहूँ की खेती


देश में खेती का बहुत बडा रकबा असिंचित है या फिर यहां सिंचाई केपर्याप्त साधन नहीं है। ऐसे क्षेत्रों के किसानों के लिए जवाहरलाल नेहरू कृषिविश्वविद्यालय (जबलपुर) के वैज्ञानिकों ने गेहूं का ऐसा बीज तैयार किया है,जिसके उपयोग से बिना सिंचाई के भी 18से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार ली जा सकती है। कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ.आर.एस. शुक्ला ने बताया कि करीब तीन साल की मेहनत के बाद जे डब्ल्यू 3211 किस्म के शरबती गेहूं का बीज ईजाद करने में सफलता प्राप्त की गयी है।



डॉ. शुक्ला ने बताया कि यह बीज कम पानी से भी अच्छा उत्पादन देने की क्षमता रखता है। इस बीज से एक पानी से प्रति हेक्टेयर करीब 25 से 30 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है। इसी प्रकार यदि दो पानी की व्यवस्था हो तो प्रति हेक्टेयर करीब 35 से 40 क्विंटल तक गेहूं की पैदावार ली जा सकती है। जिन क्षेत्रों में सिंचाई के साधन उपलब्ध नहीं है उनमें किसान पहले की नमी को बचा कर अच्छी पैदावार ले सकते हैं। इसकी फसल को तैयार होने में करीब 118 से 125 दिन लगते हैं। मध्यप्रदेश के अलावा इस बीज की मांग महाराष्ट्र व आस-पास के क्षेत्रों सेअघिक हो रही है। डॉ. शुक्ला ने बताया कि मौसम में आए उतार-चढ़ाव या तापमान बढ़ने से गेहूं की फसल प्रभावित हो जाती है, लेकिन अन्य की तुलना में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता अघिक होने कारण जे डब्ल्यू 3211गेहूं की फसल पर मौसम परिवर्तन का कोई असर नहीं पड़ता है। इसके दाने चमकदार होते हैं व इसमें 10 से 12 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा होती है। इसके पौधे की लम्बाई 85 से 90 सेंटीमीटर तक होती है।


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