गन्ना नहीं ’बीज गन्ना’’ बोयें किसान !


   गन्ने की बुवाई में बीज गन्ने की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इसका सीधा प्रभाव गन्ने की उपज पर पड़ता है अतः किसान भाई शरदकालीन गन्ने की बुवाई करते समय बीज गन्ना एवं गन्ना के अन्तर को समझ कर केवल बीज गन्ने की ही बुवाई करें। किसी भी फसल में बुवाई के समय एवं बुवाई की प्रक्रिया की बहुत अहम भूमिका होती है। बुवाई समय से एवं समुचित प्रक्रिया से करके हम बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते है। शरदकालीन गन्ना बुवाई का उपयुक्त समय चल रहा है किसान भाई गन्ने की उन्नतिशील किस्में को.शा. 08272, को.0118, को.लख.94184, को.0238, यू.पी.05125, को.शा. 08279, को.शा.09232 आदि किस्मों का 8-10 माह की फसल से जो रोग एवं कीट से मुक्त हो तथा उसकी गॉठों पर स्थित ऑखें स्वस्थ हों तथा उसमें 65 प्रतिशत से कम नमी न हो, बुवाई हेतु बीज गन्ने के रुप में प्रयोग करना चाहिए।



किसानों को गन्ने की बुवाई सदैव काटकर करनी चाहिए क्योकि गन्ने में एपिकल डामिनेन्सी पायी जाती है जिसके कारण उपर की  ऑखों/बडों में जमाव की सम्भावना अधिक रहती है। अतः गन्ने के दो अथवा तीन ऑख के टुकड़े काटकर उसे कार्बेन्डाजिम के 0.1 प्रतिशत घोल में 5 मिनट तक उपचारित करने के पश्चात ट्रेन्च में दोहरी पंक्ति विधि से प्रति हैक्टर 67 किग्रा. नत्रजन (145 किग्रा. यूरिया) 80 किग्रा. फास्फोरस (500 किग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट) 60 किग्रा. पोटाश  (100 किग्रा. म्युरेट आफ पोटाश) तथा 25 किग्रा. जिंक सल्फेट प्रति हैक्टर की दर से नालियों में डालकर गन्ने की बुवाई करे।  यदि हम जमाव बेहतर कर लें तो निश्चय ही हम अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है।


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