काले गेहूँ की खेती

ब्लैक व्हीट अथात काला गेहूँ  कृषि वैज्ञानिको ने देश के आम जनमानस में फैल रही कैंसर , मधुमेह (डायबीटीज), मोटापा , तनाव एवं हृदय से सम्बधित रोग एवं बीमारियों देखते हुए इन बीमारियों से सुरक्षा के दृष्टि से ब्लैक व्हीट अर्थात काला गेहूँ  की प्रजाति विकसित की है। यह प्रजाति भरतीय कृषि फल एवु जैव तकनीकी संस्थान एन0वी0आर0आई0 मोहाली के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सात कड़ी की देन है यहँ के वैज्ञानिकों अपने इस अनुसंधान को पेटेन्ट करा लिया है अब यह गेहूँ की   प्रजाति नाबी एम जी के नाम से जानी जायेगी । इस प्रजााति के  गेहूँ का रेग काला , नीला एवं जामुनी रंग का होगा और यह सामान्य गेहूँ की तुलना में अपेक्षाकृत ज्यादा पौष्टिक होगा। इस गेहूँ की पैदावार की पैदावार 850 कुन्तल प्रति हेक्टर है।



सामान्य गेहूँ में एंथेसाइनिन की  मात्रा 5 से 15 पास प्रति मिलियन हेामी है वही काले गेहूँ में 40 से140 पास प्रति मिलियन पायी जाती है। एंथेसाइनिन ब्लू बेरी जैसे फलों की तरह स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभदायक है। यह शरीर के फ्री रेडिकल्स निकाल कर कैंसर , मधुमेह (डायबीटीज), मोटापा , तनाव एवं हृदय और अन्य बीमारियों से हमारी सुरक्षा करेगा ।इस गेहूँ में जिंक की मात्रा सामान्य गेहूँ की अपेक्षा ज्यादा है।
यह प्रजाति किसानों के वेवसाइट के माध्यम से प्राप्त कर सकेंगे एन0वी0आर0आई0 मोहाली बहुत जल्द इसकी के वेवसाइट लांच करेगी आकर इसी  वेवसाइट के माध्यम से बीज उपजब्ध करायेगी और किसानों द्वारा उत्पादित काले गेहूँ की खरीद भी करेगी ।


 

 

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