आप भी कर सकते हैं मोती की खेती

मध्य प्रदेश में खूब हो रही मोती की खेती,  अनाज, सब्जियां और फूलों की खेती के बारे में तो हर किसान जानता है लेकिन इन दिनों किसानों के लिए मोती की फसल मुनाफे का सौदा हो सकती है। हालांकि प्रयोग के तौर पर बड़वानी के कुछ किसान मोती बनाने का काम कर रहे हैं। ओडिशा से ट्रेनिंग लेकर आए किसान बड़वानी में सीप पालन कर रहे हैं। वे चार साल में 25 से ज्यादा मोती तैयार कर चुके हैं



साततलाई के किसान संतोष ने बताया कि 2006 में पर्ल कल्चर प्रशिक्षण की जानकारी मिली थी। इसके बाद भुवनेश्वर में 10 दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम ज्वाइंन किया। साल 2011 में घर में ही 10 बाय 40 का हौद बनाकर सीप पालन शुरू कर दिया। हालांकि शुरूआत में सफलता हाथ नहीं लगी। लेकिन धीरे-धीरे नए प्रयोगों के साथ मोती बनना शुरू हो गए। संतोष अब तक अशोक स्तंभ, साईंबाबा की आ.ति वाले कई मोती बना चुके हैं। संतोष बताते हैं कि एक सीप 100 से 200 रुपए की होती है और तीन साल बाद इसमें मोती बनना शुरू होता है। मोती बनने की अवधि 14 माह की होती है।



तीन प्रकार के होते हैं मोती
केवीटी-



सीप के अंदर ऑपरेशन के जरिए फारेन बॉडी डालकर मोती तैयार किया जाता है। इसका इस्तेमाल अंगूठी और लॉकेट बनाने में होता है। चमकदार होने के कारण एक मोती की कीमत हजारों रुपए में होती है। गोनट- इसमें प्राकृतिक रूप से गोल आकार का मोती तैयार होता है। मोती चमकदार व सुंदर होता है। एक मोती की कीमत आकार व चमक के अनुसार 1 हजार से 50 हजार तक होती है।
मेंटलटीसू-


इसमें सीप के अंदर सीप की बॉडी का हिस्सा ही डाला जाता है। इस मोती का उपयोग खाने के पदार्थों जैसे मोती भस्म, च्यवनप्राश व टॉनिक बनाने में होता है। बाजार में इसकी सबसे ज्यादा मांग है।
ऐसे बनता है मोती- सबसे पहले सीप में जीन सिक्रेशन तैयार करते हैं। इसके बाद सीप में मोती का निर्माण शुरू होता है। सीप का ऑपरेशन कर फॉरेन बॉडी डालने के बाद कैल्शियम कार्बोनेट की परत बनायी जाती है। जिस आकार की फॅारेन बॉडी सीप में डाली जाती है, उसी आकार का मोती तैयार होता है। सीप की उम्र 3 साल होने पर उसमें मोती तैयार किया जा सकता है। सीप की अधिकतम उम्र 6 साल होती है। सबसे महंगा मोती ब्लैक पर्ल होता है, जो समुद्र की सीप से बनता है।
कैसे करते हैं खेती
खेती शुरू करने के लिए किसान को पहले सीप लेनी होती है। इसके बाद प्रत्येक सीप में छोटी-सी शल्य क्रिया करनी पड़ती है। इस शल्य क्रिया के बाद सीप के भीतर एक छोटा-सा नाभिक तथा मेटल ऊतक रखा जाता है। फिर सीप को बंद किया जाता है। मेटल ऊतक से निकलने वाला पदार्थ नाभिक के चारों ओर जमने लगता है। अंत में यह मोती का रूप लेता है। कुछ दिनों के बाद सीप को चीर कर मोती निकाल लिया जाता है। मोती की खेती के लिए सबसे अनुकूल मौसम शरद ऋतु यानी अक्टूबर से दिसंबर तक का समय माना जाता है।



कम लागत ज्यादा मुनाफा- एक सीप लगभग 100 से 200 रुपए की आती है। सामान्यतः सीप 3 वर्ष की उम्र के बाद मोती बनाने के काम में ली जाती है। मोती तैयार होने में लगभग 14 माह का समय लगता है। इस दौरान सीप के रख-रखाव पर किया जाने वाला खर्च इसकी लागत में शामिल होता है।


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