अमरूदः एक बार लगायें ,25 साल तक खायें

बरसात का मौसम बागवानी के लिए अच्छा माना जाता है। इस समय अमरूद की बागवानी की जा सकती है। कृषि वैज्ञानिकों ने अमरूद की कुछ नई किस्म तैयार की है, जो एक बार लगाने के 25 साल तक फलते रहेंगे। 



अमरूद की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है। इससे हर वर्ष प्रति एकड़ दो से ढाई लाख रुपए का मुनाफा लिया जा सकता है। इसमें मजदूरों की भी जरूरत कम पड़ेगी। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वैज्ञानिक डॉ.घनश्याम साहू का कहना है कि अमरूद की खेती में केवल एक ही बार लागत लगाकर सालों-साल मुनाफा कमाया जा सकता है जबकि और फलों के पेड़ तीन-चार सालों में खत्म हो जाते हैं और किसान को फिर से लागत लगाकर नए पौधे लगाने पड़ते हैं, लेकिन अमरूद की नई बागवानी तकनीक में बार-बार पौधे लगाने की जरूरत नहीं है।



सुनियोजित कृषि विकास केंद्र PFDC इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में अमरूद की अतिसघन बागवानी में एक एकड़ में 1600 पौधे लगाए गए हैं। इसमें कतार से कतार की दूरी दो मीटर और पौध से पौध की दूरी एक मीटर है। इसमें अमरूद की चार प्रजाति ललित, इलाहाबाद सफेदा, लखनऊ-49 और वीएनआरबी लगाई गई है।
ऐसे करें अमरूद की बागवानी
अतिसघन बागवानी करते समय मुख्य पौधे को सबसे पहले 70 सेंटीमीटर की ऊंचाई से काट दें। उसके बाद दो-तीन माह में पौध से चार-छह सशक्त डालियां विकसित होती हैं। इनमें से चारों दिशाओं में चार डालियों को सुरक्षित कर बाकी को काट देते हैं, ताकि पौधे का संतुलन बना रहे। इससे मात्र छह माह में ही अमरूद फल देने लगता है। प्रारंभिक अवस्था में हर पेड़ में तीन-चार फल ही रखें, बाकी फलों को छोटी अवस्था में तोड़ दें। इससे नन्हें पौधों पर ज्यादा बोझ नहीं आएगा।
प्रति एकड़ लागत (रुपए में)
1600 पौधे की लागत 48 हजार
ट्रैक्टर से दो बार जोताई 4 हजार
10 टन गोबर खाद 6 हजार
कटाई-सधाई में लगने वाली सालभर की मजदूरी 15 हजार
रासायनिक उर्वरक 3 हजार
दीमक नियंत्रक दवाई 2 हजार
कुल लागत 78 हजार रुपए
डॉ.घनश्याम बताते हैं, “अमरूद में तीन प्रकार के बौर लगते हैं। फरवरी में अम्बे बौर, जून में मृग और अक्टूबर में हस्त बौर से फल मिलने लगता है। 
प्रति एकड़ सालाना ढाई लाख मुनाफाएक एकड़ में लगे अमरूद के 1600 पौधों से सालाना 12 क्विंटल से अधिक फलों का उत्पादन होगा। इसे यदि 20 रुपए किलो पर ही बेचें तो भी हर साल ढाई लाख रुपए से अधिक का मुनाफा होगा। इसमें मुख्य लागत एक ही साल लगेंगे। इसके बाद केवल खाद व मजदूरी पर ही खर्च होंगे।


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