गोभी वर्गीय सब्जियों में एकीकृत रोग प्रबंधन
मृदुरोमिल आरिता,पेरोनोस्पोरा पैरासिटिका
लक्षण- मृदु रोमिल आसिता (डाउनी मिल्डिउ) बिमारी, पौध से फूल बनने तक कभी भी लग सकती है। लक्षण प्रायः पत्तियों पर ही दिखता है। सूक्ष्म, पतले वाल जैसे सफेद कवक तन्तु पत्ती की निचली सतह पर दिखते हैं। पत्तियों की निचली सतह पर जहाँ कवक तन्तु दिखते हैं उन्हीं के ऊपर पत्तियों के ऊपरी सतह पर भूरे नेक्रोटिक (मृत उत्तक) धब्बे बनते हैं जोकि रोग के तीव्र हो जाने पर आपस में मिलकर बड़े विक्षत बन जाते हैं।
प्रबंधन
पूर्व फसल के अवशेषों को जलाकर खेत सफाई, रोगमुक्त बीजों का चयन एवं चक्र अपनान इस रोग के रोगाणु की प्रारम्भिक संख्या कम करने में बहुत सहायक है।
मैन्कोजेब कवकनाशी के 0.25 प्रतिशत जलीय घोल (2.5 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी) को रोग की प्रारम्भिक आवस्था में पर्णीय छिड़काव एवं 6 से 8 दिन के अन्दर इसे दुहराना चाहिए। कवकनाशी के जलीय घोल में पत्तियों पर चिपकने के लिए 0.05-1 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से ट्रीटान स्टीकर का प्रयोग अवश्य करें।
अल्टरनेरिया पर्णदाग ;अल्टरनेरिया
लक्षण- अल्टरनेरिया पर्णदाग, फूलगोभी में बढ़वार की प्रारम्भिक अवस्था में जबकि पत्तागोभी में बाद की अवस्थाओं में आता है। अल्टरनेरिया पर्णदाग पत्तियों में ही आता है। संकर किस्मों में मुक्त परगित किस्मों की अपेक्षा यह रोग ज्यादे लगता है। इस रोग में पत्तियों पर गोल भूरे धब्बे बनते हैं। धब्बों में गोल छल्ले स्पष्ट दिखते हैं। बीज की फसल में पुष्पक्रम तथा कलियाँ भारी मात्रा में प्रभावित होती हैं। पत्तागोभी के ऊत्तकों में इस रोग का विस्तार ज्यादा नहीं होता है लेकिन ऊपरी सभी पत्तियाँ संक्रमित हो जाती है।
प्रबंधन
संक्रमित निचली पत्तियों को सुबह के समय पौधों से तोड़कर इकट्ठा करके जला देने पर रोग का अधिक प्रभावी प्रबन्धन होता है।
शाम के समय क्लोरोथैलोनिल कवकनाशी के 0.2 प्रतिशत जलीय घोल को स्टीकर के साथ मिलाकर एक बार छिड़काव करना चाहिए।
स्वस्थ पौधों से ही बीज का चुनाव करें तथा फली बनने के समय एक बार उपरोक्त दवा या मैकोजेब 0.25 प्रतिशत (2.5 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी) का प्रयोग करें।
सफेद गलन ;स्केलेरोटिनिया स्कलेरोसिओरम
लक्षण- फूलगोभी के फूल, पर्णवृन्त इत्यादि में जलीय मृदु गलन इसके लक्षण हैं। संक्रमण के बाद शीघ्र ही सभी क्रमित भागों पर सफेद कवक तन्तु दिखाई देते हैं और पूरा पुष्पक्रम मुरझा जाता है। पौध ऊत्तकों के पूर्ण संक्रमण के बाद कवक जालों के ऊपर जलीय बिन्दु बनते हैं। पूरा संक्रमित भाग घने कवक जाल से ढँक जा है और यही बाद में काले रंग के कड़े स्कलेरोसिया बन जाते हैं जो आगामी फसल में संक्रमण करते हैं।
प्रबंधन
संक्रमित पुष्प वृन्त पत्तियो इत्यादि को थोड़े स्वस्थ भाग सहित सुबह के समय काट कर सावधानीपूर्वक इस करें जिसे कि स्कलेरोसिया जमीन पर न गिरे। इन्हे खेत के बाहर ले जाकर जला देना चाहिए।
ठण्डे, नम एवं बादलयुक्त मौसम में प्राथमिक संक्रमण के अवलोकन हेतु फूलगोभी एवं पत्तागोभी फसलों नियमित निरीक्षण करना चाहिए।
फूल आने की अवस्था में कार्बेण्डाजिम कवकनाशी के 0.1 प्रतिशत जलीय घोल 1 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में) का एकपर्णीय छिड़काव उसके बाद 0.25 प्रतिशत मैन्कोजेब का 0.1 प्रतिशत चिपकने हेतु पदार्थ ( ग्राम दवा ़ 1 मिली0 लीटर चिपकने वाला पदार्थ) के साथ मिलाकर पर्णीय छिड़काव करें। छिड़काव पौधे की निचली पत्तियों एवं तनों तक पहुँचना चाहिए।
कालागलन;जैन्थोमोनासकम्पेसट्रिस पी.वी. कम्पेसट्रिस
लक्षण- रोग का प्रारम्भिक लक्षण श्टश् आकर में पीलापन लिए होता है। अधिक संक्रमण की दशा में पत्तियाँ की तरफ से पूरी पीली पड़ जाती हैं। खेत में फसल के दौरन यदि आँधी के साथ ओलावृष्टि हो जाती है तो रोग प्रबलता बहुत बढ़ जाती है। रोग का लक्षण पत्ती के किसी किनारे या केन्द्रीय भाग से शुरू हो सकता है। पौधे यह रोग, पत्तियों के किनारों पर स्थित जल निकास छिद्रों द्वारा, कीट जनित घावों द्वारा, संक्रमित मिट्टी द्वारा, ओला के बाद घावों द्वारा, अन्तसस्य कृषि क्रियाओं के दौरन एवं रोपाई के लिए प्रयुक्त पौध द्वारा फैलता है।
प्रबंधन
अगले वर्ष प्रयोग हेतु स्वस्थ पौधों अन्तसस्य से बीज का चुनाव करें। बीजों को स्ट्रेप्टोसाइक्लिन रसायन के 150 मिली ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल द्वारा 30 मिनट बीजोपचार करें।
पौधशाला के स्थान को हर वर्ष बदलते रहना चाहिए तथा सरसों वर्गीय सब्जियों को फसल चक्र में न करें।
संक्रमित निचली पत्तियों को शाम के समय जब जीवाणुयुक्त ओस की बूँदें सूखी रहती हैं, तब तोड़कर करके जला देना चाहिए।
10-15 दिन के अन्तराल पर स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 150-200 या 1 ग्राम प्रति 6 लीटर पानी या कासुगोमाइ 0.2 प्रतिशत के जलीय घोल का पर्णीय छिड़काव करें।
स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 100 मिग्रा0 प्रति लीटर एवं कापर आक्सीक्लोराउड 0.3 प्रतिशत (3 ग्राम दवा प्रति लीटर पर जलीय घोल के मिश्रण को 0.1 प्रतिशत चिपकने वाले पदार्थ के साथ मिलाकर भी प्रयोग कर सकते हैं।
पत्तागोभी की पूसा मुक्ता प्रजाति इस रोग के लिए अत्यधिक सहनशील है।