जैविक सब्जी उत्पादन में प्रमुख शर्ते


*सब्जी उत्पादन हेतु आवश्यक निवेश का प्रक्षेत्र पर उत्पादन। 
*उत्पादन में पोषक तत्वों, कीट, व्याधियां तथा खरपतवार का जैविक विधाओं द्वारा  प्रबंधन। 
*रासायनक के बराबर अथवा अधिक उत्पादन। 
*भूमि की भौतिक, रासायनिक तथा जैविक दशा में उत्तरोत्तर सुधार संभावित हो। 
*उत्पाद की उच्च गुणवत्ता तथा अच्छी भंडारण क्षमता हो ।
*जैविक उत्पादन तकनीक सस्ती तथा पर्यावरण प्रदूषण निवारण में  सहायक हो। 
लगभग ठेढ दशक के अनुभव के बाद में दावे के साथ अनुरोध कर सकता हूँ कि बढ़ती जन संख्या, घटती जमीन, नियमित प्रदूषित होते भू-जल तथा वातावरण का एक मात्र निदान हेामा जैविक कृषि को अंगीकार करने तथा इसके व्यापक स्तर पर प्रोत्साहन कर किया जा सकता है। इस विधा से खेती के विभिन्न  पहलुओं का संक्षिप्त विविरण निम्नवत है।
खेती में  कृषि पंचाग का उपयोगः 
भू-मंडल में मानव, पादप, पशु-पक्षी सूक्ष्मजीव, जलचर, नभचर का आपस में गहरा सम्बन्ध है। कृषि पंचाग मूलतः चन्द्र जो पृथ्वी से निकटतम दूरी पर परिभ्रमण कर रहा है द्वारा विभिन्न गतिविधियाॅं प्रभावित होती हैं। इन्ही अनुभवों  का विवेचन का प्रयास किया गया है।
 पंचाग के अनुसार कृषि कार्य
*सूर्य वर्ष में छह माह उत्तरायण तथा छह माह दक्षिणायण में  रहता है। 
*चन्द्र माह में 14-15 दिन चढाव (ascending) उतार (descending)  के स्थिति में रहता है। 
*चढाव अवस्था में पृथ्वी ऊपर स्वांस छोडती है, ऊतार की अवस्था में अंदर स्वांस लेती है। 
*पर ये अवस्था प्रति दिन अनुभव किया जा सकता है। 
*मध्यरात से अपरान्ह  तक प्रत्येक दिवस पृथ्वी ऊपर स्वांस छोडती है, अपरान्ह से मध्य रात तक पृथ्वी अंदर स्वांस लेती है। 
*अतः खेती कि सामान्य भूमि से संबंधित गतविधियाॅ पृथ्वी के अंदर स्वांस लेने के समय तथा ऊपर की गत विधियाॅ ऊपर स्वांस छोड़ते समय किया जाना चाहिए। 


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