कहीं मर न जाए गोमती भी!


हमारे ऋषियों , मुनियों और मनीषियों हमें हमेशा प्रकृति का सम्मान करना सिखाया मगर हमने किया क्या? हमेशा प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया यही कारण है कि हमारे प्राकृतिक संसाधन हमसे रूठते जा रहे हैं यही कारण है कि आज हर कोई यह कहने लगा है कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होगा धरती माता की सेहत दिनो-दिन दबिगड़ती जा रही है इसे हर कोई  जानता है और कहता भी है किंतु मृदा स्वास्थ्य की परवाह कोई नहीं करता हैं उद्योगपतियों की तो खैर बात ही छोड़िये हमारी सरकारें भी अपनी सारी विकास योजनायें हमारे प्राकृतिक संसाधनों के विनाश की ही कीमत पर बनाती है। यह मानना शायद हमारी भूल ही होगी कि आज भी गंगा ब्रम्हा के कमण्डल और शिव जी की जटाओं से निकल रही हैं इन महादेवों के पास और भी तो बहुत सारे काम होंगे कि केवल गंगा को ही पकड़े खड़े होंगे। अरे भाई! नदियां  हों  या तालाब ,सागर हों या झरने, झीलें हों या  कुएं , अथवा भू-गर्भीय जल इन सभी जल स्रांेतों का हम केवल दोहन ही करेंगे और उनके जल ग्रहण मार्ग को बंद कर देंगे तो वे हमारा कब तक क्यो ? और कैसे साथ निभायेंगे ? लक्ष्मी के लोभ में सरस्वती की उपेक्षा हम कब तक करते रहेगे ? तमाम जल विद्युत परियोजनाओं ,बांधों चेकडेमों तथा अन्य विकास कार्यों के लिए हम अपने जलस्रोतों के जलग्रहण मार्ग को अवरुद्ध करते जा रहे हैं। ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेष की राजधानी लखनऊ का ही ले लीजिए। प्रदेश सरकार गोमती नदी के दोनों ओर 12 मीटर ऊँची भूमिगत और 8 किलो मीटर लम्बी दीवार बनाकर नदी में आ रहे गंदे पानी को रोकना चाहते हैं सूत्रों का तो यह भी कहना है कि जबसे मुख्यमंत्री जी लंदन घूम कर आये हैं तब से टेम्स नदी का आकर्षक रीवर ब्यू उनके दिमाग से उतर नहीं रहा है। वह लंदन की ही भाँति गोमती के दोनो तटों पर आकर्षक काम्पलेक्स बना कर 'बड़े 'लागों को उपकृत करना चाहते हैं। इधर वैज्ञानिक कह रहे हैं कि यदि गोमती के दानो ओर बांध बना कर  गोमती के दानो तटों पर बह कर आने वाले पानी का रास्ता रोक दिया गया तो फिर गोमती तो कंगाल हो जाएगी। जब उसके जल ग्रहण क्षेत्र को ही पैक कर दिया जाएगा तो इस नदी का कोई जल स्रोत ही नहीं बचेगा क्योकि गोमती कोई पहाड़ी नदी तो है नहीं कि ग्लैशियर पिघलने अथवा  बर्फवारी से पिघला पानी उसका पेट भर देगा। ऐसे मे तो मर जाएगी बेचारी गोमती। काफी विरोध के बाद गोमती तीरे बन रही दीवार में सुराख रखने की बात प्रशासन ने मान लिया है।


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ब्राह्मण वंशावली

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा