खतरे हर जगह !


आइ.सी.ए.आर की एक रिपोर्ट के अनुसार नदी के किनारे उगाइ्र्र फसलों में 50 प्रतिशत तक जहरीले तत्व पाये गये हैं 
सब्जियों में जहां इन्डो सल्फान एच सी एच एवं एल्ड्रिन जैसे कीट नाशक मोजूद हैं वहीं केडमियम,शीशा, काॅपर और क्रोमियम जैसी खतरनाक धातुएं भी शामिल हैं।
दुनिया भर में प्रतिबंधित 67 कीटनाशकों की विक्री भारत में हो रही है। जिनमें से अधिकांश का इस्तेमाल मुख्यतया खेती में हो रहा है। पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार इस बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर चुके हैं।
हमारा शरीर सब्जियों को तो हजम कर लेता है मगर उसमें मौजूद कीटनाशक और भारी धातुएं हमारी शरीर के संवेदनशील अंगों में एकत्र होकर गंभीर बीमारियों का वजह बनती हैं।
जहर के रास्ते
खेसरीदाल-इसकी प्रायःचने और अरहर की दाल में मिलावट होती है। खेसरी में एक प्रकार का जहरीला रसायन होता है।जो पाचन तंत्र को प्रभावित करता है और पथरी जैसी समस्या का कारण बनती है।
कृत्रिम रंग-नकली मिर्च पाउडर में लाल रंग भूसा ईंट का बारीक चूरा और रोडामाइन केमिकल मिलाया जाता है। मिठाइयों में भी रोडामाइन की मिलावट की जाती है। इससे आंत ,गुर्दे और लीबर की बीमारी हो जाती है। 
फसलों में रसायन-फल आर सब्जियों को शीध्रता से बढ़ाने तथा उसे लम्बे समय तक तरोताजा बनाये रखने के लिए कीट नाशी व अन्य रसायनों का उपयोग किया जाता है इससे लीवर संबंधी बीमारियां उत्पन्न होती हैं। नपुंसकता आती है और महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है।
आर्जीमोन और बिनौले का तेल-



जहरीले पौध आर्जीमोन के बीज का तेल सरसो और खाद्य तेलों में मिलाया जाता है। विनौले का तेल भी सरसो के तेल में मिलाया जाता है। कृत्रिम खुशबू के लिए केमिकल भी सरसो के तेल में मिलाये जाते हैं। 
मेटानिनयूरो और टाट्राजीन-



मेटानिनयूरो और टाटाªजीन दोनो ही खतरनाक रसायन हैं इसका उपयोग चावल और दालें चमकाने के लिए किया जाता है। इस रसायन का प्रतिकूल प्रभाव हमारे नाशिका तंत्र (नर्व सिस्टम)पर पड़ता है।
कार्वाइड-



कार्वाइड का उपयोग फलों को अप्राकृतिक रूप से पकाने में किया जाता है इससे फलों की स्वाभाविक गुणवत्ता तो मर जाती है और उसमे जहरीले तत्व घुले होने का खतरा बढ़ जाता हैं । शहर एक के प्रतिष्ठित अस्पताल के डाक्टर ने बताया कि मैं अपने मरीजों को फल खिलाने की राय कतई नहीं देता हूँ क्योंकि इससे रोगी के ठीक होने चांस कम तथा और बीमार पड़ने के चांस ज्यादा होते हैं। 
मिथेलिन-


पानी में मिथेलिन को घोल कर इसी घोल में फल और सब्जियों को धोया भिगोया जाता है इससे फलों और सब्जियों का रंग निखर जाता है उनमें चमक आ जाती है,भाव भी  अच्छा मिल जाता है मगर वह फल और सब्जी सेहत के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं।
मेले काइट ग्रीन -



यह रसायन युक्त रंग होता है  इसके प्रयोग से सब्जियां हरी-भरी और आकर्षक दिखती हैं। लेकिन सब्जियों में छिपा यह हरा रंग हमारी आंतों लीबर किडनी और समूचे पाचन तंत्र को नुक्शान पहुंचाता हेै साथ ही साथ यह नपुंशकता और बांझपन का सौगात भी मुफत में दे जाता है।
आक्सोटेासिन-



आक्सोटेासिन का इस्तेमाल ज्यादा तर दूधिये करते है। यह एक प्रकार का जहरीला इंजेक्शन होता है जिसे लगाने से पशु दूध तो अधिक देता है मगर वह दूध विषैला हो जाता है जिसका हमें पता भी नहीं चलता है इस इंजेक्शन के इस्तेमाल से सब्जियां भी बड़ी तेजी से बढ़ती हैं मगर दिखने में आकर्षक यह सब्जियां भी सेहत के लिए धातक होती है। 
इससे बच्चों में हार्मोनल बदलाव उच्च रक्त चाँप सांस में परेशानी तथा दिल संबंधी समस्या आ सकती है।


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