मौसम आधारित रबी फसल बीमा

पॉलिसी की विशेषताएं
दिसम्बर तथा अप्रैल के बीच मौसम के विभिन्न मापदण्डों, जैसे ओले, गर्मी, सापेक्षिक आर्द्रता, बारिश के विषम विचलन के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है।
वर्गीय बीमा उत्पाद जो गेहूं, आलू, जौ, सरसों, चना जैसे फसलों का बीमा प्रदान करता है।
अधिकतम जवाबदेही उत्पादन खर्च से जुड़ी होती है तथा फसल के अनुसार अलग-अलग होता है।    
दावों के त्वरित भुगतान में मदद करता है, जैसे कि बीमा अवधि के 4-6 हफ्तों के अन्दर
गेहूं, सरसों, चना, आलू, मसूर, जौ एवं धनिया मुख्यतः उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान राज्यो में रबी मौसम के दौरान उपजायी जाने वाली मुख्य फसलें है। ये फसलें मौसम के कारकों, यथा अतिवृष्टि, ओले एवं तापमान के बदलाव आदि के प्रति अति-संवेदनशील होते हैं। 
मौसम बीमा (रबी) उन व्यक्तियों एवं संस्थाओं को असरदार जोखिम प्रबन्धन प्रदान करने का तंत्र है जिनके विषम मौसम परिस्थितियों से सर्वाधिक प्रभावित होने की सम्भावना हो।  मौसम सूचक बीमे के सर्वाधिक महत्वपूर्ण लाभ हैं।
विषम मौसम परिस्थितियों जैसी सतर्कता बिन्दु की घटनाएं स्वतंत्र रूप से सत्यापित एवं मापी जा सकती है।
यह क्षतिपूर्ति के त्वरित निबटारे में सहायक है,  क्षतिपूर्ति काल समाप्ति के बस एक पखवाड़े बाद भी।
सभी पैदावार लेने वाले, लघु सीमांत किसान या बटाई वाले साझेदारी में खेती करने वाले इस मौसम बीमा का लाभ ले सकते हैं।
कवरेज
एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (।प्ब्)इन कारणों से सम्भावित घटती फसल की पैदावार के एवज में बीमित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति करती है। सतर्कता बिन्दु से ऊपर अधिकतम तापमान (° ब्)  तथा/या सतर्कता बिन्दु से सामान्य के ऊपर तापमान सीमा में विचलन तथा/या सतर्कता बिन्दु के नीचे न्यूनतम तापमान (° ब्) तथाध् या 4°ब् से नीचे न्यूनतम तापमान की वजह से पाला तथाध्या  सतर्कता बिन्दुओं (दैनिक/साप्ताहिक/मासिक आधार पर गणना किए गए) से अधिक वर्षा तथाध्या सतर्कता बिन्दु से नीचे खिली धूप के घण्टे।
बीमा काल
बीमा दिसम्बर से अप्रैल के महीनों के बीच संचालित होता है। लेकिन काल अलग-अलग मानदंडों एवं फसलों के लिए अलग-अलग होता है।
दावा प्रक्रिया नोट
दावे स्वचालित होते हैं एवं उनका निबटारा प्रत्येक फसल के लिए अलग-अलग सम्बद्ध एजेंसियोंध्/संस्थाओं से प्राप्त वास्तविक अधिकतम तापमान, न्यूनतम तापमान, वर्षा एवं बी.एस.एच के आंकडों के आधार पर होगा। भुगतान योग्य स्थिति में होने पर क्षेत्र के सभी बीमित किसानोंको (सन्दर्भित मौसम केन्द्र के अधिकार क्षेत्र में), बीमित फसल उगाने के लिए दावों का भुगतान समान दर पर किया जाएगा।
नोट   उपर्युक्त उत्पाद सारांश केवल सूचना के उद्देश्य से है तथा आवश्यक नहीं है कि यह वास्तविक पॉलिसीध् योजना से शब्द मेल खाये।
आलू की फसल बीमा



पॉलिसी की विशेषताएं
वृक्षों की संख्या से जुड़े खतरों पर आधारित विरला पैरामीट्रिक बीमा आलू उगाए जाने वाले क्षेत्रों में आलू उत्पादकों की ठेके पर की जाने वाली खेती के लिए उपलब्ध अधिकतम जवाबदेही 25,000 रुपये प्रति एकड़“उगाने वाले . उत्पादक . वित्तपोषक . बीमा करने वाले” की साझेदारी के मॉडल पर आधारित  यह पॉलिसी देश के विभिन्न भागों में आलू उगाए जाने वाले क्षेत्रों में किसानों द्वारा उगाई जाने वाली आलू की फसल पर लागू है। 
कवर का विषय क्षेत्र
यह रोपण के एक हफ्ते बाद से शुरू होकर फसल कटाई के 7 दिनों पहले तक निवेश मूल्य कवर है।  बीमा, बीमित जोखिमों के कारण बीमित व्यक्ति द्वारा क्षति या नुकसान के कारण (पौधों के सूखने संपूर्ण क्षति के फलस्वरूप वृक्षों की संख्या में निर्धारित सीमा से कमी) सहे गए आर्थिक नुकसान के लिए निवेश मूल्य के सन्दर्भ में क्षतिपूर्ति प्रदान करने के लिए है। यह बीमित जोखिमों के परिणामस्वरूप आलू की फसल की उपज उत्पादन के लिए लागू नहीं होगा। पॉलिसी, बीमित व्यक्ति को बीमाकाल के दौरान प्रा.कृतिक आपदाओं, जैसे बाढ़, चक्रवात, तूफान, पाला, कीट एवं बीमारियों (लेट ब्लाइट को छोड़कर) आदि की वजह से आलू की फसल को नुकसान के कारण वृक्षों की संख्या में निर्धारित सीमा से कमी के लिए अकेले या एक साथ कवर तथा क्षतिपूर्ति (दावा आकलन प्रक्रिया के अनुसार)प्रदान करेगी।
दावा प्रक्रिया
कोई भी नुकसान या हानि होने पर, बीमित व्यक्ति कम्पनी को 72 घण्टों के अन्दर सूचित करेगा (सीधे या वित्त पोषक बैंक या भागीदार संगठन के जरिये) एवं तत्पश्चात नुकसान या हानि के 15 दिनों के भीतर लिखित रूप से दावा प्रस्तुत करेगा। ऐसे किसी भी दावे के सन्दर्भ में बीमित व्यक्ति एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडिया लिमिटेडको सभी  जानकारी, सहयोग एवं प्रमाण करेगा। इस पॉलिसी के अंतर्गत प्रदत्त बीमे का प्रति इकाई क्षेत्र कुल निवेशित मूल्य, पॉलिसी में निर्दिष्ट अनुसार राशि मानी जाएगी, जो कि खेती की दशा के अनुसार प्रतिशत पर खर्च की गई मानी जाएगी। इस पॉलिसी के अंतर्गत आकलन योग्य नुकसान की मात्रा शर्तों, रक्षा करने, बहुतायत एवं अन्य कटौती के अनुसार ऐसी राशि होगी जैसी कि सूखे क्षतिग्रस्त पौधे प्रति एकड़ का प्रतिशत प्रति एकड़ निवेश राशि में लगाकर, जिस अवस्था में बीमित जोखिम नुकसान कर रहा है।
दावे के निबटारे के लिए बीमित व्यक्ति को एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडिया लिमिटेड  द्वारा विशिष्ट रूप से आग्रह किए गए बीमा प्रमाण एवं कोई भी अन्य दस्तावेज प्रमाण देना होगा।
बायो-ईधन वृक्ष का बीमा



विश्व की ऊर्जा आवश्यकताओं की लगभग 80  प्रतिशत पूर्ति जीवाश्म ईन्धन द्वारा हो रही है जो कि दिनों-दिन बढ़ती मांग की वजह से खत्म होते जा रहे हैं। इससे ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत ढूंढे जा रहे हैं, जिनमें सबसे आशाजनक बायो-ईन्धन है। इस पर्यावरण-मित्र ईन्धन को बढ़ावा देने के लिए सरकार बायो-ईन्धन वृक्ष/पेड़ उगाने वालों को विभिन्न प्रोत्साहन एवं सब्सिडी प्रदान कर रही है ताकि ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त की जा सके। 
पॉलिसी की विशेषताएं
जट्रोफा सहित छः विभिन्न वृक्षों की प्रजातियों का बीमा
अकाल के जोखिम के लिए वैकल्पिक कवर की सुविधा
अधिकतम दावेदारी खेती के मूल्य तथा वृक्षों पेड़ों से जुडी है एवं प्रजातियों के अनुसार अलग-अलग होती है। 
उपयुक्तता
यह बीमा योजना उन बायो-ईन्धन वृक्षों पेड़ उगाने वालों एवं उत्पादकों के लिए लागू होती है, जिनके उत्पाद उपज निर्दिष्ट खतरों से प्रभावित होने की संभावना है।  इस पॉलिसी में शामिल वृक्ष पेड़ है जट्रोफा कर्कस (जट्रोफा), पोंगमिआ पिन्नाटा (करंजा), अघडिरच्ता इन्दिका (नीम), बस्सिआ लेटिफोलिआ (महुआ), कैलोफाइलम इनोफाइलम (पोलंगा) एवं सिमारौबा ग्लौका (पैरेडाइज वृक्ष)।
कवर का विषय क्षेत्र
पॉलिसी, बीमित व्यक्ति को निर्दिष्ट खतरों जोखिम जैसे आग, बाढ़, चक्रवात, तूफान, पाला, कीट एवं बीमारियों आदि की वजह से पेड़ों को पूर्ण नुकसान या क्षति के लिए कवर करेगी तथा निवेश राशि (मान्य मूल्य) से जुड़े, विलगन या संगामी रूप से आर्थिक नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति करेगी। सम्पूर्ण नुकसान का अर्थ होगा अकेले बायो-ईन्धन वृक्ष या सम्पूर्ण बागान या उसके हिस्से में क्षति या नुकसान की वजह से वृक्ष की मृत्यु या वृक्ष का आर्थिक रूप से अनुत्पादक होना।
बीमित राशि
बीमित राशि, कवर्ड बीमे की प्रति इकाई निवेश राशि (मान्य मूल्य) पर आधारित है, जो वृक्ष की प्र.जाति एवं आयु पर निर्भर करेगी। मोटे तौर पर बीमित राशि निवेश राशि के समतुल्य होती है तथा निवेश राशि के 125 से 150 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है।
प्रीमियम



प्रीमियम दर इन कारकों के आधार पर निर्धारित की गई है-
(क) पेड़फसल के जोखिम  की रूपरेखा
(ख) बीमा के अंतर्गत शामिल जोखिम की प्रजातियां
(ग) भौगोलिक स्थानय
(घ) समान जोखिम के लिए अन्य बीमाकर्ताओं द्वारा लागू की गई दरें
(ङ) कटौती राशि ।
(च) बीमाकर्ता द्वारा विभिन्न मूल्यों एवं खर्चों के लिए वहन किए गए भार।
बीमा काल-पॉलिसी वार्षिक है, तथा इसे 3 से 5 वर्षों की अवधि तक बढ़ाने का प्रावधान है।
हानि के आकलन की प्रक्रिया
किसी भी बीमित जोखिम की वघ्ह से वृक्षों को होने वाले नुकसान की स्थिति में बीमित व्यक्ति को एग्रिकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडिया को दावा प्रपत्र प्रस्तुत करना होगा। दावे के प्रसंस्करण के लिए नुकसान के आकलन हेतु एग्रिकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडियकृषि विशेषज्ञ के साथ एक लाइसेंसधारी सर्वेक्षक को क्षेत्र में भेजेगी। दावों के उद्देश्य से, मृत पूर्णतः क्षतिग्रस्त होने की वजह से आर्थिक रूप से अनुत्पादक वृक्ष इस पॉलिसी के अंतर्गत क्षतिग्रस्त माने जाएंगे। क्षय तथा बढ़त में कमी को क्षति नहीं माना जाएगा।


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