पशुओं से सम्बन्धित किसी प्रकार की समस्या के लिये टोल फ्री नं0- 18001805141 सम्पर्क  करें !

पशु एवं पक्षियों को शीत ऋतु के प्रभाव से बचाव हेतु दिशा-निर्देश जारी ! 



पशु-पक्षियों को शीत ऋतु के प्रभाव से बचाने, उनकी उचित देखरेख एवं प्रबन्धन के लिए पशुपालन विभाग द्वारा प्रदेश के समस्त मुख्य पशु चिकित्साधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। पशुओं से सम्बन्धित किसी भी प्रकार की समस्या, असुविधा या जानकारी के लिए पशुपालन निदेशालय के पशुधन समस्या निवारण केन्द्र के ट्रोल फ्री नं0-18001805141 पर सम्पर्क किया जा सकता है। 
यह जानकारी आज यहां पशुपालन विभाग के निदेशक रोग नियंत्रण एवं प्रयोग डा0 एस0 के0 श्रीवास्तव ने दी। उन्होंने बताया कि पशुपालकों को आर्थिक क्षति से बचाने और पशुओं में दूध उत्पादन गिर जाने, पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगवाने आदि विभिन्न उपायों के प्रचार-प्रसार हेतु पशुचिकित्साधिकारियों को निर्देशित किया गया है। 
निर्देशों में कहा गया है कि शीत ऋतु में पशुओं और पक्षियों को आसमान के नीचे खुले स्थान में न बांधे, पशुओं को घिरी जगह एवं छप्पर/शेड से ढके हुए स्थानों में रखें, पशुपालक यह विशेष ध्यान रखें कि रोशनदान, दरवाजों एवं खिड़कियों को टाट/बोरे से ढक दें, जिससे सीधी हवा का झोंका पशुओं के मुंह तक न पहुंचे। इसके साथ ही बाड़ें में गोबर एवं मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करें। बिछावन में पुआल/लकड़ी बुरादा/गन्नें की खोई आदि का प्रयोग करें, पशु/पक्षियों को बाडें की नमी/सीलन से बचायें। ऐसा इन्तजाम करें कि धूप पशुबाड़े में देर तक रहे। बिछावन समय-समय पर बदलते रहें। 
इसके अतिरिक्त पशुओं को ताजा पानी ही पिलायें, पशुओं को जूट के बोरे का झूल पहनायें तथा ध्यान रखें कि झूल खिसके नहीं, अतः नीचे से जरूर बांधे, पशुबाड़ें के अन्दर या बाहर अलाव जलायें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अलाव पशुओं/बच्चों की पहुंच से दूर रखने के लिए पशु के गले में रस्सी छोटी बांधे ताकि पशु अलाव तक न पहुंच सकें, बाड़ें में अलाव जलाने पर गैस बाहर निकलने के लिये रोशनदान खोल दें, संतुलित आहार पशुओं को दें। आहार में खली, दाना चोकर की मात्रा को बढ़ा दें, धूप निकलने पर पशुओं को अवश्य ही बाहर खुले स्थान पर धूप में खड़ा करें।
नवजात बच्चों को खीस (कोलस्ट्रम) अवश्य पिलायें, इससे बीमारी से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है। भेड़ बकरियों मे ंपी0पी0आर0 बीमारी फैलाने की संभावना बढ़ जाती है अतः बीमारी से बचाव का टीका अवश्य लगवायें। ठण्ड से प्रभावित पशु के शरीर में कपकपी, बुखार के लक्षण होते हैं। तत्काल निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखायें, उनसे प्राप्त परामर्श का पूर्व रूपेण पालन करें। 


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ब्राह्मण वंशावली

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा