शतावर की वैज्ञानिक खेती


सतावर एक काँटेदार महीन सूई आकार के पत्तियाँ वाला मध्यम लता है। सतावर के जड़ को औषधि के रूप में प्रयोग में लाते हैं। यह डेढ़ साल में तैयार होता है। यह पुष्टिवर्द्धक, माताओं में दूधवर्द्धक, पित्तशोधक औषधि है। 
1. सतावर एक बहुत ही उपयोगी पारिवारिक औषधि है। इसका 2-3 ग्राम चूर्ण अथवा 5-10 कच्चा जड़ चूर कर दूध के साथ उबालकर खाते हैं। 
2. यह माताओं एवं पशु के स्तन में दूध बढ़ाने में उपयोगी है। 
3. यह स्त्रियों के लिए टॉनिक का काम करता है। 4. यह पाचन सुधारने एवं भुख बढ़ाने में भी टॉनिक का काम करता है। 5. सतावर का उपयोग पित्तशोधक के रूप में किया जाता है। 6. यह शांति प्रदान करने वाला है इसलिए मानसिक रोग में भी इसका प्रयोग होता है।
 7. यह काम वासना बढ़ाने वाला है। 
8. पेशाब बढ़ाने में सतावर का उपयोगी है।
 9. एन्टी-डिसेंट्रिक होने के कारण यह डायरिया को रोकता है। 10. यह अनिद्रा में उपयोगी है। 
11. सतावर का प्रयोग पीपल एवं शहद के साथ प्रयोग करने से गर्भाशय का दर्द मिटता है। 
12. ल्यूकोरिया एवं एनीमिया (खून की कमी) में यह लाभदायक है।
 जलवायु एवं मृदा- उष्ण आद्र्र जलवायु, तापक्रम 10-40 डिग्री सूखा को यह सहन करता है। इसकी खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है लेकिन हल्की बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त है। अम्लीयता 7-8 के बीच में होनी चाहिए। बीजदर 12-15 किलो प्रति हेक्टेयर। खाद गोबर 25 टन (150 क्विंटल) नत्रजन-40 किलो, फास्फोरस 40 किलो तथा पोटाश 40 किलो जमीन के अंतिम तैयारी के समय। बिचड़ा उगाना तथा रोपाई जून-जुलाई माह में बीज की बोआई नर्सरी में करते हैं तथा अगस्त माह में 40 सेंटीमीटर चैड़े मेड़ पर रोपाई करते हैं। मेड़ पर पौधे की दूरी 45 सेंटीमीटर रखी जाती है। जब पौधे 45 सेंटीमीटर के हो जाय तो सहारा दें। रोपाई 45 सें. Û 45 सें. पर। कटनी कटनी के तुरन्त बाद जड़ों को छीलकर सुखा लें, छीलने के लिए रसदार मूल चीरा लगाकर, छिलका हटा देते हैं। उपज 800-800 क्विंटल/हेक्टेयर गीली जड़, 75-90 क्विंटल शुष्क भार। लागत करीब 2,72000 के बीच। लाभ 1,59,000 के करीब।



शुद्ध आमदनी की यह रकम उपज तथा बाजार भाव के अनुसार घट-बढ़ सकती है।


























































खेती पर होने वाले व्यय के विभिन्न मद



व्यय (रुपए में)



पौधशाला की तैयारी तथा मृदा का उपचार



5000



एक हेक्टेयर के लिए 5 किलो बीज का मूल्य (1000 रुपए किलो की दर से



5000



बीजोपचार पर व्यय



1500



भूमि की तैयारी पर व्यय



7500



खादतथा उर्वरक पर व्यय



25000



पौधों को उखाड़ना तथा मुख्य खेत में उनकी रोपाई



46000



पौधों को बांस की फट्टियों का सहारा देने पर व्यय



60000



निराई-गुड़ाई तथा जड़ों पर मिट्टी चढ़ाने पर व्यय



15000



जड़ों की खुदाई ,सफाई,संसाधन तथा भंडारण पर व्यय



55000



बीज निकालने पर व्ययएक हेक्टेयर भूमि का दो वर्ष का लगान



12000



निराई-गुड़ाई तथा जड़ों पर मिट्टी चढ़ाने पर व्यय



20000



कुल व्यय



272000







































खेती से होने वाली आय (प्रति हेक्टेयर)



 



विभिन्न मद



उपज/ आय



संसाधित जड़ों की औसत उपज



70 क्विंटल



बीज की उपज



2 क्विंटल



संसाधित जड़ों की कीमत (60 रुपए प्रति किलो की दर से)



4,20,000 रुपए



बीज की कीमत (500 रुपए प्रति किलो की दर से)



1,00,000 रुपए



दो वर्ष की कुल आय



5,20,000 रूपए



शुद्ध आमदनी प्रति वर्ष



1,59,000 रुपए



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