आम के बागों में तीतर, बटेर, जलमुर्गी और फाख्ता की आमदरफ्त शुरू


केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान 16 दिसंबर से 31 दिसंबर तक 'स्वच्छता पखवाड़ा' का आयोजन कर रहा है। इसके अंतर्गत संस्थान के प्रक्षेत्रो एवं मलिहाबाद के गाँवों में स्वच्छता के विभिन्न आयामों को प्रदर्शित कर रहा है। मलिहाबाद के बागवान बड़े उत्साह से बताते हैं कि उनके आम के बागों में तीतर, बटेर, जलमुर्गी और फाख्ता की आमदरफ्त शुरू हो गयी है। वजह है केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान की फार्मर फर्स्ट परियोजना के अंतर्गत आम के बाग में रसायनिक कीटनाशी की जगह नीम के तेल का छिड़काव। संस्थान ने स्वच्छता पखवाड़ा के अंतर्गत दिनांक 23-12-2019 को किसान दिवस का आयोजन कर उन किसानों को सम्मानित किया जो कृषि पर्यावरण की स्वच्छता के लिए कार्य कर रहे हैं। फार्मर फर्स्ट परियोजना के अंतर्गत किसानों ने बागों में मुर्गीपालन किया जिससे न केवल आम के कीटों की संख्या कम हुई बल्कि खरपतवार भी कम हुये जिससे कीटनाशकों का प्रयोग कम हुआ। आम के बागों में वर्मीकंपोस्ट बना रहे किसान भी खुश है। जहाँ एक ओर रसायनिक खादों पर निर्भरता कम हुयी वहीं यह आय का साधन भी बना।


डॉ. शैलेन्द्र राजन, निदेशक सी.आई.एस.एच. ने बताया कि फार्मर फर्स्ट एवं अनुसूचित जाति उपयोजना से जुड़े 36 गाँवों में संस्थान सिंगल यूस प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए जागरूकता पैदा कर रहा है। किसानों को रसोई के कचरे से खाद बनाने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। ग्रामीण स्चछता एक बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसमें संस्थान न केवल किसानों को प्रेरित कर रहा है बल्कि स्कूल के बच्चों को भी स्वच्छता से जोड़ा जा रहा है। राम किशोर मौर्य जो मोहम्मदनगर तालुकेदारी में विदेशी सब्जियों की खेती करते हैं बताते हैं कि संस्थान से जुड़ने के बाद अब वे सब्जियों पर रासायनिक कीटनाशियों के प्रयोग में सावधानी बरतते हैं एवं संस्तुत की गयी मात्रा ही डालते हैं जिससे पर्यावरण भी स्वच्छ बना रहता है और स्वास्थ्य भी। 


फार्मर फर्स्ट परियोजना से जुड़े हुए किसान अपने अपने गांव में स्वच्छता के  के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्य करेंगे| प्लास्टिक कचरे का किस प्रकार से संग्रहण एवं निपटान किया जाए इस पर विशेष ध्यान दिया जाएगा| घर में सब्जियों की चीज और अपशिष्ट का उपयोग करके गृह वाटिका के लिए खाद बनाने  के लिए किसानों को अवगत कराया जाएगा| अपने अपने गांव में  स्वच्छ भारत अभियान से संबंधित कार्यों को विशेष महत्व  देने के अतिरिक्त स्वच्छता और स्वास्थ्य के संबंध में ग्रामीणों को अवगत कराने के लिए किसानों ने खुद जिम्मा उठाया है| 4 गांव में 12 कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा जिसमें फार्मर फर्स्ट के किसान इस कार्यक्रम को संपादित करेंगे| इस अवसर पर किसानों को वातावरण की स्वच्छता के लिए उनके योगदान हेतु सम्मानित भी किया गया| कूड़े करकट के अलावा,  घातक रसायनों  से मुक्त वातावरण के विकास हेतु किसानों के योगदान की चर्चा की गई| श्री उपेंद्र सिंह ने कीटनाशकों के स्थान पर नीम के उत्पादों का प्रयोग करके  बाग में  पुनः पक्षियों एवं लाभकारी  कीटों के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करने में सफलता प्राप्त की| कुछ किसानों ने कूड़े करकट को वर्मी कंपोस्ट में परिवर्तित करने हेतु कदम उठाए| बागों में किसानों द्वारा मुर्गी पालन के कारण  कीटों के प्रबंधन के लिए कीटनाशकों का कम प्रयोग वातावरण को स्वच्छ रखने में सहयोगी सिद्ध हुआ|


 


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