अरहर की फसल सुरक्षा


कीट नियन्त्रण
फलीमक्खी/फलीछेदक क्यूनाल फास या इन्डोसल्फान 35 ई0सी0, 20 एम0एल0/क्यूनालफास 25 ई0सी0 15 एम0एल0/मोनोक्रोटोफास 30 डबलू0एस0सी0 11 एम0एल0 प्रति 10 ली0 पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए तथा एक हैक्टेयर में 1000 लीटर घोल का प्रयोग करना चाहिए।
पत्ती लपेटक - इन्डोसल्फान 35 ई0सी0 20 एम0एल0 अथवा मोनोक्रोटोफास 36 डबलू0एस0सी0
एम0एल0 प्रति 10 ली0 पानी में घोलकर छिड़काव करें।
रोग नियन्त्रण
फाइट्रोप्थोरा ब्लाइट - बीज को रोडोमिल 2 ग्रा0/किग्रा0 बीज से उपचारित करने बोयें। रोगरोधी प्रजातियॉं जैसे आशा, मारूथि बी0एस0एम0आर0-175 तथा वी0एस0एम0आर0-736 का चयन करना चाहिए।
बिल्ट - प्रतिरोधी प्रजातियों का उपयोग करें, बीज शोधित कर के बोयें। मृदा का सौर्यीकरण करें।
बन्यमोजेक - प्रतिरोधी प्रजातियॉं जैसे शरद, बहार आशा, एम0ए0-3, मालवीय अरहर-1 आदि बोयें। रोगी पौधों को जला दें। वाहक कीट के नियन्त्रण हेतु मेटासिस्टाक का छिड़काव करें।
 प्रमुख कीट
फली मक्खी
यह फली पर छोटा सा गोल छेद बनाती है। इल्ली अपना जीवनकाल फली के भीतर दानों को खाकर पूरा करती है एवं खाद में प्रौढ़ बनकर बाहर आती है। दानों का सामान्य विकास रूक जाता है।मादा छोटे व  काले रंग की होती है जो वृद्धिरत फलियों में अंडे रोपण करती है। अंडो से मेगट बाहर आते है ओर दाने को खाने लगते है। फली के अंदर ही मेगट शंखी में बदल जाती है जिसके कारण दानों पर तिरछी सुरंग बन जाती है ओर दानों का आकार छोटा रह जाता है। तीन सप्ताह में एक जीवन चक्र पूर्ण करती है।
फली छेदक इल्ली
छोटी इल्लियॉ फलियों के हरे उत्घ्तकों को खाती है व बडे होने पर कलियों , फूलों फलियों व बीजों पर नुकसान करती है। इल्लियॉ फलियों पर टेढे दृ मेढे छेद बनाती है।
इस कीट की मादा छोटे सफेद रंग के अंडे देती है। इल्लियॉ पीली, हरी, काली रंग की होती है तथा इनके शरीर पर हल्की गहरी पटिटयॉ होती है। अनुकूल परिस्थितियों में चार सप्ताह में एक जीवन चक्र पूर्ण करती है।
फल्ली का मत्कुण
मादा प्रायः फलियों पर गुच्घ्छों में अंडे देती है। अंडे कत्घ्थई रंग के होते है। इस कीट के शिशु वयस्क दोनों ही फली एवं दानों का रस चूसते है, जिससे फली आडी-तिरछी हो जाती है एवं दाने सिकुड जाते है। एक जीवन चक्र लगभग चार सप्ताह में पूरा करते है।
प्लू माथ
इस कीट की इल्ली फली पर छोटा सा गोल छेद बनाती है। प्रकोपित दानों के पास ही इसकी विष्टा देखी जा सकती है। कुछ समय बाद प्रकोपित दानो के आसपास लाल रंग की फफूंद आ जाती है।
ब्रिस्टल ब्रिटल
ये भृंग कलियों, फूलों तथा कोमल फलियों को खाती है जिससे उत्घ्पादन में काफी कमी आती है। यक कीट अरहर मूंग, उड़द , तथा अन्य दलहनी फसलों पर भी नुकसान पहुंचाता है। भृंग को पकडकर नष्ट कर देने से प्रभावी नियंत्रण हो जाता है।
कीटो का प्रभावी नियंत्रण
1.कृषि के समय
गर्मी में खेत की गहरी जुताई करें
शुद्ध अरहर न बोयें
फसल चक्र अपनाये
क्षेत्र में एक ही समय बोनी करना चाहिए
रासायनिक खाद की अनुशंसित मात्रा का प्रयोग करें।
अरहर में अन्घ्तरवर्तीय फसले जैसे ज्घ्वार, मक्घ्का, या मूंगफली को लेना चाहिए।
2 . यांत्रिक विधि द्धारा
फसल प्रपंच लगाना चाहिए
फेरामेन प्रपंच लगाये
पौधों को हिलाकर इल्लियों को गिरायें एवं उनकों इकटठा करके नष्ट करें
खेत में चिडियाओं के बैठने की व्यवस्था करे।
3 . जैविक नियंत्रण द्वारा
एन.पी.वी 5000 एल.ई / हे. + यू.वी. रिटारडेन्घ्ट 0.1 प्रतिशत+गुड 0.5 प्रतिशत मिश्रण को शाम के समय खेत में छिडकाव करें।
बेसिलस थूरेंजियन्सीस 1 किलोग्राम प्रति हेक्घ्टर +टिनोपाल 0.1 प्रतिशत + गुड 0.5 प्रतिशत का छिड़काव करे।
4 जैव /पौध पदार्थ के छिड़काव द्वारा: -
निंबोली शत 5 प्रतिशत का छिड़काव करे।
नीम तेल या करंज तेल 10 -15 मी.ली. + 1 मी.ली. चिपचिपा पदार्थ (जैसे सेन्डोविट टिपाल) प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
निम्बेसिडिन 0.2 प्रतिशत या अचूक 0.5 प्रतिशत का छिड़काव करें।
5 रासायनिक नियंत्रण द्वारा
आवश्यकता पड़ने पर ही कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करें।
फली मक्खी नियंत्रण हेतु संर्वागीण कीटनाशक दवाओं का छिडकाव करे जैसे डायमिथोएट 30 ई.सी 0.03 प्रतिशत मोनोक्रोटोफॉस 36 एस.एल. 0.04 प्रतिशत आदि।
फली छेदक इल्लियों के नियंत्रण के लिए
फेनवलरेट 0.4 प्रतिशत चूर्ण या क्लीनालफास 1.5 प्रतिशत चूर्ण या इन्डोसल्फान 4 प्रतिशत चूर्ण का 20 से 25 किलोग्राम / हे. के दर से भुरकाव करें या इन्डोसलफॉन 35 ईसी. 0.7 प्रतिशत या क्वीनालफास 25 ई.सी 0.05 प्रतिशत या क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी . 0.6 प्रतिशत या फेन्वेलरेट 20 ई.सी 0.02 प्रतिशत या एसीफेट 75 डब्लू पी 0.0075 प्रतिशत या ऐलेनिकाब 30 ई.सी 500 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हे. या प्राफेनोफॉस 50 ई.सी एक लीटर प्रति हे. का छिड़काव करें। दोनों कीटों के नियंत्रण हेतु प्रथम छिड़काव सर्वागीण कीटनाशक दवाई का करें तथा 10 दिन के अंतराल से स्घ्पर्श या सर्वागीण कीटनाशक दवाई का छिड़काव करें। कीटनाशक का तीन छिड़काव या भुरकाव पहला फूल बनने पर दूसरा 50 प्रतिशत फुल बनने पर और तीसरा फली बनने बनने की अवस्था पर करना चाहिए।


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ब्राह्मण वंशावली

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा