कहीं चोरी न हो जायें आपके खेत 



भारत वर्ष विविधताओं और अजूबों से भरा देश है। इस देश में ऐसी-ऐसी घटनायें और अजूबे होते रहते हैं जिन पर सहज ही विश्वास नहीं हो पाता है। अब मान लीजिए कि कोई आकर आप से कहे कि हमारा खेत चोरी हो गया, क्या आप इस बात पर आसानी से विश्वास कर पायेंगे कि ऐसा भी हो सकता है। नही न मगर ऐसा होता है,अपने ही देश के जम्मू एवं कश्मीर प्रांत में। विडम्बना तो यह है कि खेत चोरी की भरपाई (क्षतिपूर्ति) न तो संशोधित फसल बीमा योजना में कबर होती है और न ही मौसम फसल बीमा योजना में। अब आप ही बतायें ऐसे में पीड़ित किसान कहाँ जायें? किसका दरवाजा खट-खटायें? आइये अब चलते है कश्मीर की ओर जहां पर खेत चोरी की घटनायें प्रायः होती रहती हैं। दरअसल कष्मीर में जहां पर प्रायः पर्वत और झीलें ही है वहां पर लकड़ी के कई सारे पटरों को आपस में जोड़ कर झीलों में डाल देते हैं और उन तैरते पटरों पर मिट्टी की पर्त बिछा देते है फिर मिट्टी में फसलें बोई्र जाती है। यानी खेत झील के पानी में तैरते रहते हैं। इन तैरते खेतों में विविध प्रकार की फसलें उगाई जाती है। इन फसलों को सूर्य की रोशनी, पानी और हवा तो पर्याप्त मात्रा में सहज ही उपलब्ध रहता है फसलों को वाछित पोषक तत्व बाहर से देकर तैयार किया जाता है।
इन तैरते खेतों में केसर से लेकर फल फूल खद्यान्न और सब्जियों तक की खेती होती है। खास बात यह है कि इन फसलों पर रोग -कीट और खर पतवार का भी प्रकोप नहीं होता इसलिए इन फसलों पर कीटनाशी  और खर-पतवारनाशी रसायनों के भी इस्तेमाल की जरूरत नहीं पड़ती और सारे कृषि उत्पाद विष रहित और गुणवत्तापूर्ण होते हैं। इसलिए इनका बाजार भाव भी अच्छा रहता हें
 मगर कई बार  कुछ शरारती तत्व इन तैरते खेतों को अपनी नाव अथवा सिकारों में बांध कर सरलता पूर्वक अन्यत्र कहीं दूर उठा ले जाते हैं ओर अपने खतों के बीच में छिपा लेते हैं। चोरी गये इन खेतो की प्रथमतः तो तलाश ही बड़ी मुश्किल होती है और यदि तलाश हो ही जाये तो उन्हे अपना सिद्ध करना बडा कठिन होता है। इसीलिए यहां के किसान अपने-अपने खेतोें ,उनमें लगी फसल और मूल स्थान तथा आस-पास के खेतों की तस्वीर खींच कर रखते हैं ताकि खेत चोरी हेाने की दशा में अपने खेत और आस-पास के खेतों में लगी फसल की पहचान के साथ उस पर मजबूती से अपना दावा पेश कर सके। पानी में तैरती इस खेती को झूम खेती का नाम दिया गया है। समान भैतिक स्थिति होने के कारण पर्वाेत्तर राज्यों के कुछ भाग में भी झूम खती होती है। 


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