पं0 दीनदयाल उपाध्याय कृषक समृद्धि योजना   


देश में भूमि सुधार की अनेक योजनायें आयीं और चलीं भी गईं मगर भूमि का सुधार केवल कागजों में ही होता रहा। यदि वास्तव में भूमि सुधार होता तो उत्तर प्रदेश भूमि सुधार जैसे निगम की आज जरूरत ही नहीं रह जाती। यह कार्पोरेशन सबसे पहले उत्तर प्रदेष ऊसर सुधार निगम के नाम से चलाया गष। विश्व बैंक की मदद से संचालित ऊसर सुधार के तमाम कार्यक्रम संचालित हुए और दशकों तक यह अभियान उत्तर प्रदेष भूमि सुधार निगम के मातहत  चलता रहा मगर विश्व बैंक ने जब ऊसर सुधार के नाम पर पैसा देना बंद कर दिया तो उत्तर प्रदश भूमि सुधार निगम ने ऊसर के बजाय भूमि सुधार(बीहड़,बंजर,दलदल,और कछार) के नाम पर भी विश्व बैंक से पैसा लेकर योजना का संचालन किया। उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार प्रदेश के किसानों के फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी करने, उनकी आय में वृद्धि हेतु भूमि सुधार की नयी योजना पं0 दीनदयाल उपाध्याय कृषक समृद्धि योजना के नाम से चला रही है। किसानों की कृषि योग्य भूमि के क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी हेतु सरकार किसानों व अन्य प्रकार की बेकार पड़ी भूमि को सुधारकर उसे कृषि योग्य बनाकर फसलोत्पादन करने हेतु बल दे रही है। प्रदेश में कृषि योग्य जितनी भूमि है, उतनी भूमि से कृषकों द्वारा विभिन्न फसलें बोकर उत्पादन किया जा रहा है, किन्तु प्रदेश में किसानों एवं ग्राम समाज व अन्य प्रकार की बीहड़, बंजर, जलभराव व समस्याग्रस्त काफी भूमि है, जहां किसी प्रकार का फसल उत्पादन नहीं हो रहा है। प्रदेश सरकार ने पं0 दीनदयाल उपाध्याय कृषक समृद्धि योजना के अन्तर्गत इन बेकार पड़ी भूमि को सुधारने का बीड़ा उठाया है। उत्तर प्रदेश में बीहड़, बंजर, जलभराव और समस्याग्रस्त भूमि को कृषि योग्य बनाने के लिए मा0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  ने वर्ष 2017 में पं0 दीनदयाल उपाध्याय कृषक समृद्धि योजना का लोकार्पण करते हुए आगामी 05 वर्ष यानी 2022 तक के लिए इस योजना की शुरूआत की थी। सरकार का ध्येय है कि इस योजना के तहत वर्ष 2022 तक बेकार पड़ी भूमि में कुल 1,71,186 हेक्टे0 भूमि का उपचार, सुधार करते हुए कृषि योग्य बनाकर कृषकों के विकास एवं आय में वृद्धि की जाय। इस योजना के क्रियान्वयन हेतु प्रदेश सरकार ने 477.33 करोड़ रु0 के बजट का प्रावधान भी किया है। इस योजना के अन्तर्गत सारा कार्य मनरेगा के माध्यम से किया जा रहा है। मनरेगा से कार्य कराने पर किसानों एवं संबंधित गांवों के मजदूरों को रोजगार भी मिल रहा है और किसान की कृषि योग्य भूमि भी बन रही है।पं0 दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना कृषकों के लिए संजीवनी बन गई है। जिस बंजर, बीहड़ व खराब भूमि पर किसान कभी फसल उगने के बारे में सोच भी नहीं सकते थे, आज उनकी वह भूमि उपचारित होकर लहलहाती फसल उगा रही है। भूमि की मेड़बन्दी, समतलीकरण करते हुए आवश्यक सभी कार्य कराते हुए भूमि का सुधार किया जा रहा है। भूमि को कृषि योग्य बनाकर किसानों को उनकी भूमि उपलब्ध कराई जा रही है, इससे किसानों को काफी फायदा हो रहा है। प्रदेश के कृषि विभाग द्वारा जनपदों की नदी-नालों के तट पर स्थित ऊसर, बीहड़, जलभराव या जंगली घास-कुश वाली भूमि को चिन्हित करते हुए किसान से स्वीकृति लेकर खेती योग्य बनाया जा रहा है। जो किसान भूमि की खराब दशा होने के कारण खेती व फलोद्यान नहीं कर पाते थे आज उनकी उसी भूमि में फसल लहलहा रही है। प्रदेश में इस योजना के लागू होने से अब तक प्रदेश के हजारों किसानों की हजारों हेक्टे0 भूमि का उपचार, सुधार किया गया है। सरकार की इस योजना से किसानों के कृषि क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुई है, साथ ही उपचारित भूमि में फसल उत्पादन में उनकी आय में वृद्धि भी हो रही है। पं0 दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना किसानों के जीवन में खुशी लाने के साथ उनके लिए वरदान साबित हो रही है। अब देखना यह है कि पं0 दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना कितना ईमानदारी से संचालित की जाती है और कितना परिणामदायी साबित होती है। योजना मेंतो 1,71,186 हेक्टेयर भूमि का उपचार किया जाना है। यदि योजना जमीन पर भी उतर पाती है तो निश्चय ही उत्तर प्रदेष में1,71,186 हेक्टेयर अतिरिक्त कृषि भूमि का सृजन होगा जो प्रदेश के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।


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